#AsiaCup कब,कैसे और क्यों ये सोचा कि एशिया के क्रिकेट देश 'अपने' एक टूर्नामेंट में खेलें? रिकॉर्ड बताता है कि एशियन क्रिकेट काउंसिल की स्थापना 1983 में हुई और हर जगह लिखा है- इसे बनाया एशियाई देशों के बीच सद्भावना को बढ़ावा देने के लिए। नतीजा एशिया कप की शुरुआत है। ये सब पढ़ने में अच्छा लगता है पर सच्चाई की स्टोरी कुछ अलग है।
असल में एशिया कप की शुरुआत का श्रेय इंग्लैंड को दिया जाना चाहिए- भले ही वे न तो एशिया में गिने जाते हैं और न ही उन्होंने कभी एशिया कप में कोई दिलचस्पी ली। इंग्लैंड वालों ने कुछ ऐसा कर दिया कि उसका जवाब देने का तरीका था एशियन क्रिकेट काउंसिल का बनना। चलिए अब पूरे किस्से पर चलते हैं :
क्रिकेट की दुनिया में 1983 में वह हुआ जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था। लॉर्ड्स में वर्ल्ड कप फाइनल में वेस्टइंडीज के सामने थी वह टीम इंडिया जिसने उससे पहले के दोनों वर्ल्ड कप में, वन डे क्रिकेट के लिए 'अनाड़ी' की प्रतिष्ठा बनाई थी। फाइनल देखने, BCCI चीफ एनकेपी साल्वे (वे सांसद थे उस समय) इंग्लैंड में थे। 25 जून के फाइनल से पहले उन्होंने इंग्लिश बोर्ड के अधिकारियों से, अपने जान पहचान वालों के लिए, दो और पास मांगे- ये नहीं दिए गए उन्हें। आईसीसी ने भी ये पास दिलाने से इंकार कर दिया। ये था उस समय इंटरनेशनल क्रिकेट के मंच पर भारत का 'सम्मान'!