Ratan Tata Indian Cricket: रतन टाटा को उद्योगपति कह कर, बड़ी आसानी से, उनकी 86 साल की उम्र में मौत की खबर को, व्यापार जगत की एक खबर मान सकते हैं। जिस तरह से उन्हें सम्मान के साथ चारों ओर याद किया जा रहा है वह इस बात का सबूत है कि वे भारत के विकास में शामिल थे और कई तरह से योगदान दिया। क्रिकेट भी इससे अलग नहीं है। क्रिकेट में, उनकी बदौलत, टाटा ग्रुप के सबसे बड़े सम्बंध के तौर आईपीएल (IPL) और डब्ल्यूपीएल (WPL) का नाम लिखा जा रहा है। वे आईपीएल के लिए वास्तव में एक स्पांसर से ज्यादा, नाजुक मौके पर 'मददगार' थे। जब कोविड-19 के दौरान अचानक चीनी स्पांसर खो दिया तो टाटा ग्रुप ने ही साथ दिया था।
वास्तव में उनका भारतीय क्रिकेट से सबसे बड़ा और पहला सम्बंध इससे कहीं पहले का है। टाटा ग्रुप की क्रिकेट टीम भी थी- 1937 में ही टाटा स्पोर्ट्स क्लब (टीएससी) बना दिया था जेआरडी टाटा ने। कई क्रिकेटरों ने टाटा ग्रुप की अलग-अलग कंपनी में नौकरी की- नारी कॉन्ट्रैक्टर, रवि शास्त्री, दिलीप वेंगसरकर, फारुख इंजीनियर, रूसी सुरती, युवराज सिंह, हरभजन सिंह, मोहिंदर अमरनाथ, संजय मांजरेकर, रॉबिन उथप्पा, वीवीएस लक्ष्मण, जवागल श्रीनाथ, अजीत अगरकर, मोहम्मद कैफ ,शार्दुल ठाकुर, जयंत यादव, सौरव गांगुली, एमएस धोनी, किरण मोरे, संदीप पाटिल, सुरेश रैना, निखिल चोपड़ा ,इरफान पठान, आरपी सिंह, दिनेश मोंगिया, रोहन गावस्कर, रमेश पोवार और झूलन गोस्वामी।
संदीप पाटिल को जब 1979 में इंग्लैंड में क्रिकेट खेलने का मौका मिला पर ट्रेवल इंतजाम खुद करना था और कोई मदद नहीं कर रहा था तो टाटा ऑयल मिल्स ने उनका टिकट स्पांसर किया था और बदले में शर्त रखी- इंग्लैंड में पूरा ध्यान बस क्रिकेट खेलने पर लगाना होगा। 1970 और 1990 के दशक के बीच, बॉम्बे टीम के 7 रणजी ट्रॉफी टीम कप्तान टाटा ग्रुप से थे- मिलिंद रेगे, सुधीर नाइक, रवि शास्त्री, वेंगसरकर, राजू कुलकर्णी, लालचंद राजपूत और शिशिर हट्टंगडी।