Advertisement
Advertisement
Advertisement

रतन टाटा ने कभी जरूरत में भारतीय क्रिकेट को 'टा-टा' नहीं कहा, धोनी से लेकर युवराज सिंह तक को दी नौकरी

Ratan Tata Indian Cricket: रतन टाटा को उद्योगपति कह कर, बड़ी आसानी से, उनकी 86 साल की उम्र में मौत की खबर को, व्यापार जगत की एक खबर मान सकते हैं। जिस तरह से उन्हें सम्मान के साथ चारों ओर

Advertisement
रतन टाटा ने कभी जरूरत में भारतीय क्रिकेट को 'टा-टा' नहीं कहा, धोनी से लेकर युवराज सिंह तक को दी नौकर
रतन टाटा ने कभी जरूरत में भारतीय क्रिकेट को 'टा-टा' नहीं कहा, धोनी से लेकर युवराज सिंह तक को दी नौकर (Image Source: Twitter)
Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
Oct 26, 2024 • 10:06 AM

Ratan Tata Indian Cricket: रतन टाटा को उद्योगपति कह कर, बड़ी आसानी से, उनकी 86 साल की उम्र में मौत की खबर को, व्यापार जगत की एक खबर मान सकते हैं। जिस तरह से उन्हें सम्मान के साथ चारों ओर याद किया जा रहा है वह इस बात का सबूत है कि वे भारत के विकास में शामिल थे और कई तरह से योगदान दिया। क्रिकेट भी इससे अलग नहीं है। क्रिकेट में, उनकी बदौलत, टाटा ग्रुप के सबसे बड़े सम्बंध के तौर आईपीएल (IPL) और डब्ल्यूपीएल (WPL) का नाम लिखा जा रहा है। वे आईपीएल के लिए वास्तव में एक स्पांसर से ज्यादा, नाजुक मौके पर 'मददगार' थे। जब कोविड-19 के दौरान अचानक चीनी स्पांसर खो दिया तो टाटा ग्रुप ने ही साथ दिया था। 

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
October 26, 2024 • 10:06 AM

वास्तव में उनका भारतीय क्रिकेट से सबसे बड़ा और पहला सम्बंध इससे कहीं पहले का है। टाटा ग्रुप की क्रिकेट टीम भी थी- 1937 में ही टाटा स्पोर्ट्स क्लब (टीएससी) बना दिया था जेआरडी टाटा ने। कई क्रिकेटरों ने टाटा ग्रुप की अलग-अलग कंपनी में नौकरी की- नारी कॉन्ट्रैक्टर, रवि शास्त्री, दिलीप वेंगसरकर, फारुख इंजीनियर, रूसी सुरती, युवराज सिंह, हरभजन सिंह, मोहिंदर अमरनाथ, संजय मांजरेकर, रॉबिन उथप्पा, वीवीएस लक्ष्मण, जवागल श्रीनाथ, अजीत अगरकर, मोहम्मद कैफ ,शार्दुल ठाकुर, जयंत यादव, सौरव गांगुली, एमएस धोनी, किरण मोरे, संदीप पाटिल, सुरेश रैना, निखिल चोपड़ा ,इरफान पठान, आरपी सिंह, दिनेश मोंगिया, रोहन गावस्कर, रमेश पोवार और झूलन गोस्वामी।

Trending

संदीप पाटिल को जब 1979 में इंग्लैंड में क्रिकेट खेलने का मौका मिला पर ट्रेवल इंतजाम खुद करना था और कोई मदद नहीं कर रहा था तो टाटा ऑयल मिल्स ने उनका टिकट स्पांसर किया था और बदले में शर्त रखी- इंग्लैंड में पूरा ध्यान बस क्रिकेट खेलने पर लगाना होगा। 1970 और 1990 के दशक के बीच, बॉम्बे टीम के 7 रणजी ट्रॉफी टीम कप्तान टाटा ग्रुप से थे- मिलिंद रेगे, सुधीर नाइक, रवि शास्त्री, वेंगसरकर, राजू कुलकर्णी, लालचंद राजपूत और शिशिर हट्टंगडी।

सबसे बड़ी चर्चा एक टूर्नामेंट की बदौलत है जिसका नाम टाटा ग्रुप के एक ब्रांड पर था। यहां बात कर रहे हैं टाइटन कप (Titan Cup) की जो कई तरह से भारतीय क्रिकेट को एक नई पहचान देने वाला टूर्नामेंट था और कहते तो ये हैं कि इस टूर्नामेंट के साथ रतन टाटा ने भारत को वर्ल्ड क्रिकेट का टाइटन (पावरफुल) बनने में मदद की। तब टीम इंडिया के कप्तान सचिन तेंदुलकर थे और वहीं से उनका रतन टाटा से नजदीकी का सम्बंध बना और उनके निधन से कुछ ही दिन पहले सचिन तेंदुलकर उनसे मिलने उनके घर गए थे। 

आज के आईपीएल से तुलना करें तो अक्टूबर-नवंबर 1996 में खेला टाइटन कप एक छोटा टूर्नामेंट था। सिर्फ 3 टीम- भारत, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया पर तब ऑस्ट्रेलिया को, उनके अपने क्रिकेट सीजन के बीच, वनडे क्रिकेट के एक टूर्नामेंट में खेलने भारत बुलाना बहुत बड़ी बात थी। उस दौर में वनडे के ट्रायंगुलर बड़े मशहूर थे और हर देश ऑस्ट्रेलिया के वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट (WSC) जैसा ट्रायंगुलर आयोजित करना चाहता था। 1983 में वर्ल्ड कप जीत के बाद, भारत में क्रिकेट में कमर्शियल क्रांति 1991 में आर्थिक उदारीकरण (Liberalisation) के बाद ही आई। 1993 में खेला हीरो कप ऐसी पहली कोशिश था। 5 टीम पर इनमें ऑस्ट्रेलिया नहीं था और इसीलिए इसे बहुत चर्चा नहीं मिली। 

इस नजरिए से टाइटन कप ऑस्ट्रेलिया के खेलने से 'बड़ा' हो गया। मजे की बात ये कि वे 'ऑफ कलर' थे- सभी 6 गेम हारे पर अपने घरेलू सीजन की शुरुआत में खेलने के लिए उनका भारत आना इस बात का संकेत था कि क्रिकेट में बदलाव की हवा किस तरफ बह रही थी। रतन टाटा इस टूर्नामेंट के साथ बड़े स्पांसर बने और इतनी बड़ी रकम को टूर्नामेंट के साथ जोड़ा कि उस दौर की दोनों टॉप टीम ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका टूर्नामेंट खेलने भारत आए।

ये बड़ा अजीब सा टूर्नामेंट था। मेजबान भारत ने आख़िरी क्वालीफाइंग गेम के आख़िरी ओवर में फाइनल के लिए क्वालीफाई किया और फाइनल में फेवरिट दक्षिण अफ्रीका को हराकर टाइटन कप जीता। वे अपने सभी 6 क्वालीफाइंग मैच बड़े अच्छे अंदाज में जीते थे। 1996 वर्ल्ड कप में भी उनके साथ लगभग ऐसा ही हुआ था- तब सभी 5 क्वालीफाइंग मैच जीते लेकिन क्वार्टर फाइनल हार गए। इस तरह उन्होंने 1996 में भारत और पाकिस्तान में अपने 13 वनडे में से 11 जीते, बिना कोई ट्रॉफी जीते। सचिन तेंदुलकर की टीम जिस तरह तीनों क्वालीफाइंग मैच में उन से हारी थी- तेंदुलकर ने टीम के घटिया खेल के लिए माफी तक मांगी। भारत ने ऑस्ट्रेलिया को दो बार हराया जबकि वे तीन बार दक्षिण अफ्रीका से हार गए। सितंबर में सिंगर वर्ल्ड सीरीज़ के फाइनल में श्रीलंका से हारने के साथ ऑस्ट्रेलिया की वनडे में सबसे खराब हार का सिलसिला जारी रहा था। अपने आखिरी मैच में वे भारत को हरा देते तो फाइनल खेलते। 

फाइनल में टॉस ने सनसनीखेज रोल निभाया। भारत ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी की- स्कोर रहा 220-7 (तेंदुलकर 67, अजय जडेजा 43*, डि विलियर्स 3-32) और जवाब में 48वें ओवर में दक्षिण अफ्रीका को 185 रन पर आउट कर दिया। मैन ऑफ द सीरीज एलन डोनाल्ड थे। 

1996 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में हार और उसके बाद इंग्लैंड टूर में एक भी मैच न जीत पाने के बाद टीम इंडिया का कप्तान बदला था और युवा सचिन तेंदुलकर नए कप्तान थे। इसलिए टाइटन कप उनके लिए बड़ा ख़ास था। इस टूर्नामेंट से बहरहाल दक्षिण अफ्रीका को लांस क्लूसनर जैसा खिलाड़ी मिला जिसने 3 साल बाद 1999 वर्ल्ड कप के फ़ाइनल के करीब तक पहुंचा दिया था टीम को।

रतन टाटा ने टाइटन कप के बाद कहा था कि वे भारतीय क्रिकेट के साथ स्पांसर के तौर पर जुड़े रहेंगे पर 2000 के दशक में जिस तरह मैच फिक्सिंग से क्रिकेट बदनाम हुआ, वे बैक फुट पर हो गए और इसीलिए बीसीसीआई की, आईपीएल टीम खरीदने के संभावित दावेदार की लिस्ट में टॉप पर होने के बावजूद टाटा ग्रुप ने बिड ही नहीं किया और आईपीएल में टाटा ग्रुप की टीम नहीं बनी। बहरहाल वीवो (Vivo) के बाद वे आईपीएल स्पांसर बने और मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट 2028 तक का है- 2500 करोड़ रुपये (लगभग 301 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का और ये आईपीएल में अब तक सबसे बड़ा स्पांसरशिप कॉन्ट्रैक्ट है। 

Also Read: Funding To Save Test Cricket

मुंबई में कई नए और भव्य होटल बनने के बाद भी, बीसीसीआई के लिए, अपने किसी भी ऑफिशियल फंक्शन या टीम के ठहरने के लिए पहली पसंद इसी ग्रुप का वह ताज होटल है जो संयोग से एक आतंकवादी हमले की वजह से ज्यादा चर्चा में रहा। 

Advertisement

Advertisement