1983 वर्ल्ड कप की पूरी कहानी, जब टीम इंडिया ने किया क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा उलटफेर
भारतीय क्रिकेट टीम ने अपना पहला वर्ल्ड कप 1983 में जीता था और उस समय टीम के कप्तान कपिल देव थे। वेस्टइंडीज लगातार तीसरा वर्ल्ड कप फाइनल खेल रही थी लेकिन फाइनल में वो भारत से हार गए।
दूसरा सेमीफाइनल
उसी दिन ओवल में पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के बीच दूसरा सेमीफाइनल खेला गया। वेस्टइंडीज ने टॉस जीतकर पाकिस्तान को बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया। पाकिस्तानी टीम को अपने बल्लेबाजों से उम्मीद थी कि वो एक बड़ा स्कोर बनाएंगे लेकिन पूरी टीम सिर्फ 60 ओवरों में 8 विकेट खोकर सिर्फ 184 रन ही बना पाई। पाकिस्तान के लिए मोहसिन खान (176 गेंदों में 70 रन, 1 चौका) ने टीम के लिए सबसे ज्यादा रन बनाए। मोहसिन के अलावा और कोई भी पाकिस्तानी बल्लेबाज वेस्टइंडीज के मजबूत गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ ना टिक सका। वेस्टइंडीज के लिए मैल्कम मार्शल (3/28) और एंडी रॉबर्ट्स (2/25) ने गेंद से शानदार प्रदर्शन किया। इस मामूली से लक्ष्य का पीछा करते हुए वेस्टइंडीज ने विव रिचर्ड्स (96 गेंदों में 80 रन, 11 चौके, 1 छक्का) की शानदार पारी के चलते केवल दो विकेट खोकर लक्ष्य को हासिल कर लिया। विवियन रिचर्ड्स को उनकी शानदार बल्लेबाजी के लिए मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार दिया गया।
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फाइनल की कहानी
भारत वर्ल्ड कप इतिहास का पहला फाइनल खेल रहा था जबकि वेस्टइंडीज लगातार तीसरा वर्ल्ड कप फाइनल खेल रही थी और पूरी दुनिया को ये मैच सिर्फ एक औपचारिकता लग रहा था क्योंकि भारतीय टीम उस समय ताकतवर वेस्टइंडीज के सामने कहीं भी नहीं टिकत थी लेकिन वो कहते हैं ना कि क्रिकेट में जब तक आखिरी गेंद ना फेंकी जाए तब तक कुछ भी हो सकता है, इस मैच में वैसा ही कुछ देखने को मिला।
इस बड़े फाइनल में अंडरडॉग भारत टॉस हार गया और उसे वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले बल्लेबाजी करने के लिए कहा गया। इस मैच में भारतीय बल्लेबाजों से तगड़ी लड़ाई की उम्मीद थी लेकिन केवल कृष्णमाचारी श्रीकांत (57 गेंदों में 38) और मोहिंदर अमरनाथ (80 गेंदों में 26) ने ही लड़ने का दमखम दिखाया और बाकी बलल्लेबाजों ने घुटने टेक दिए। गिरते-पड़ते भारतीय टीम 54.4 ओवरों में 183 रन बनाकर ऑल आउट हो गई।
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वेस्टइंडीज के मज़बूत बैटिंग ऑर्डर के लिए 360 गेंदों में 184 रन बनाना बहुत आसान बात थी लेकिन ये फाइनल मुकाबला था और दबाव वेस्टइंडीज पर हावी हो गया।भारतीय गेंदबाजों ने इस मैच में चमत्कारिक गेंदबाजी की और मौसम और पिच की स्थिति का पूरी तरह से फायदा उठाते हुए वेस्टइंडीज को 52 ओवरों में 140 रनों पर समेट दिया। भारतीय टीम की 43 रनों से जीत क्रिकेट इतिहास में सबसे आश्चर्यजनक उलटफेरों में से एक थी। ये अब भी वर्ल्ड कप फाइनल में सफलतापूर्वक बचाव किया गया सबसे कम स्कोर भी रहा। अमरनाथ और मदन लाल ने तीन-तीन विकेट लिए। जबकि वेस्टइंडीज के लिए विव रिचर्ड्स 28 गेंदों में 33 रन बनाए। अमरनाथ सबसे किफायती गेंदबाज थे, उन्होंने अपने सात ओवरों में केवल 12 रन दिए, जबकि 3 विकेट लिए, और उनके हरफनमौला प्रदर्शन के लिए एक बार फिर उन्हें मैन ऑफ द मैच पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हैरानी वाली बात ये रही कि 1983 वर्ल्ड कप में कोई 'मैन ऑफ द सीरीज' नहीं दिया गया। इस मैच में वैसे तो कई यादगार पल रहे लेकिन कपिल देव का विवियन रिचर्ड्स का कैच पकड़ना और बाद में लॉर्ड्स की बालकनी में वर्ल्ड कप की ट्रॉफी पकड़ना भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे सुनहरे पलों में से एक है।