247 साल पहले लाया गया था LBW का नियम, जानिए आखिरकार क्यों पड़ी इसकी जरूरत ?
आज हम उस सुनहरे दौर में जी रहे हैं जहां हर गुजरते दिन के साथ तकनीक में नया बदलाव देखने को मिल रहा है। अगर इस बदलाव को क्रिकेट में देखा जाए, तो पिछले कुछ महीनों और सालों में इस
आज हम उस सुनहरे दौर में जी रहे हैं जहां हर गुजरते दिन के साथ तकनीक में नया बदलाव देखने को मिल रहा है। अगर इस बदलाव को क्रिकेट में देखा जाए, तो पिछले कुछ महीनों और सालों में इस खेल में कई नए नियम लाए गए हैं और ये सब नए ज़माने की नई तकनीक के चलते ही संभव हो पाया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वर्ष 1774 से पहले ऐसा कुछ नहीं था और क्रिकेट के खेल में बल्लेबाज़ों का बोलबाला था।
बल्लेबाज़ स्टंप्स पर जा रही गेंदों को भी अपने पैड से रोक लेते थे और उन्हें आउट भी नहीं दिया जाता था क्योंकि ऐसा कोई नियम ही नहीं था। मगर आज से लगभग 247 साल पहले (1974) क्रिकेट में एल्बीडब्ल्यू (LBW) नाम का नियम लाया गया था और बल्लेबाज़ों के गेंद को पैड से रोकने पर थोड़ी लगाम लगी। इसके बाद 1839 का एल्बीडब्ल्यू वर्जन तकरीबन 100 साल तक रहा लेकिन 1935 में इस नियम में और सुधार किए गए।
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इस नियम के मुताबिक अगर गेंद स्टंप्स पर जा रही है और बल्लेबाज़ अपने पैर से या पैड से गेंद को रोकने की कोशिश करता है, तो उसे आउट करार दिया जाएगा। हालांकि, बल्लेबाज़ को आउट देने के लिए भी कुछ चीज़ों का ख्याल रखा जाता था, जैसे कि लेग स्टंप के बाहर टप्पा खाकर स्टंप की तरफ जाने वाली गेंद पर आउट देने का प्रावधान नहीं है।
इसके अलावा अगर बल्लेबाज़ बल्ले से गेंद को खेलने की कोशिश नहीं करता है और गेंद ऑफ स्टंप के बाहर पिच होकर स्टंप्स पर जा रही है तो भी अंपायर आउट दे सकता है। इसके बाद जैसे-जैसे समय बदलता रहा तो 1990 के बाद इस तकनीक में और सुधार देखने को मिला। आज तो तकनीक के विकसित होने के बाद DRS भी आ गया है और अब फैसले देने में गलती की गुंजाइश काफी कम हो गई है।