Advertisement

मिताली राज ने वनडे क्रिकेट में पूरे किए 20 साल, कैसे बनी भारतीय महिला टीम की महान खिलाड़ी !!

10 अक्टूबर। मिताली राज कई बार पुरुष और महिला क्रिकेट में समानता की बात करती रही हैं। वह मुखर रूप से कई बार बोल चुकी हैं कि पुरुष क्रिकेटरों को जो तवज्जो मिलती है, उतनी ही महिला क्रिकेट खिलाड़ियों को भी

Vishal Bhagat
By Vishal Bhagat October 10, 2019 • 17:19 PM
Advertisement

मिताली ने यहां से रुकी नहीं। वह आगे चल कर महिला क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली बल्लेबाज भी बनीं और भारत की सबसे सफल कप्तान भी। मिताली की कप्तानी में भारत ने दो बार महिला विश्व कप के फाइनल में कदम रखा। 2004 में मिताली ने भारत को पहली बार अपनी कप्तानी में फाइनल में पहुंचाया था और इसके बाद 2017 में भी वह अपनी कप्तानी में इंग्लैंड में खेले गए विश्व कप के फाइनल में ले गई थीं। किस्मत शायद इस खिलाड़ी के साथ नहीं थी इसलिए दोनों बार उन्हें हार मिली।

लेकिन इन दोनों फाइनलों के बीच मिताली ने काफी कुछ देखा, जो बुरा भी था, हताश करने वाला भी। मिताली हाालंकि हताश नहीं हुई और इसी कारण वह उस दौर में भी भारत की बागडोर संभाले हुए हैं जब महिला क्रिकेट को पहचान मिलनी शुरू हुई है- और इसकी प्रमुख वजहों में से एक मिताली भी हैं।

दोनों फाइनलों में क्या अंतर था इस बात को मिताली ने 2017 के बाद भारत लौटने पर ही बयां कर दिया था। मिताली ने बीसीसीआई द्वारा आयोजित कराए गए संवाददाता सम्मेलन में कहा था, "तब (2005) हमें कोई जानता नहीं था। बहुत कम लोगों को पता था कि भारत की महिला टीम विश्व कप के फाइनल में पहुंची है, लेकिन अब चीजें बदली हैं और आज जब हम इंग्लैंड से लौटे हैं तो सभी की जुबान पर हमारी चर्चा है। इसमें वक्त लगा लेकिन यह बड़ा बदलाव है।"

2005 में महिला क्रिकेट की अलग संस्था हुआ करती थी-जिसका नाम भारतीय महिला क्रिकेट संघ (आईसीडब्ल्यूए) था। बाद में महिला क्रिकेट भी बीसीसीआई के अधीन आ गया और बदलाव की शुरुआत हुई जिसकी अगुआई मिताली ही कर रही थीं।

वक्त के साथ परिपक्वता न सिर्फ उनके खेल में आई बल्कि उनके चरित्र में भी। मिताली को जहां भी मौका मिला उन्होंने महिला क्रिकेट को पहचान दिलाने और आगे बढ़ाने की बात को बड़े ही मुखर तरीके से बेहतरीन शब्दों की माला में पिरोकर रखा। उनके बयानों से साफ पता चलता है कि वह कितनी चीजों से गुजरी हैं और कितनी गहराई और भावुकता से उन्होंने अपने आप को इस खेल से जोड़े रखा है।

अभी भी जब महिला क्रिकेट में सुधार की बात आती है तो वह संभावनाओं के साथ मौजूद समस्याओं को भी उजागर कर प्रशासकों से उनको दूर करने को कहती है। उदाहरण के तौर पर जब महिला आईपीएल की बात की गई थी तो मिताली ने साफ कहा था कि इससे बेशक फायदा होगा लेकिन लीग टूर्नामेंट के लिए भारत के पास घरेलू खिलाड़ियों का मजबूत पूल नहीं है और पहले पूल बनाने की जरूरत है जिसके लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा घरेलू टूर्नामेंट आयोजित किए जाएं।

मिताली सिर्फ बयानों से महिला क्रिकेट को आगे नहीं बढ़ाती बल्कि टीम में रहकर ड्रैसिंग रूम में युवा खिलाड़ियों को वो हौसला देती हैं जो उनकी सफलता का कारण भी बनता है। मिताली के रहते ही इस देश ने स्मृति मंधाना और हरमनप्रीत कौर जैसी खिलाड़ियों को उभरते देखा। इन दोनों ने कई बार खुले मंच पर यह स्वीकार किया है कि मिताली ड्रेसिंग में बड़ा अंतर पैदा करती हैं।

भारत में महिला क्रिकेट की अगुआई करते हुए मिताली ने काफी कुछ देखा और उससे उभरी भीं। लेकिन कई विवाद ऐसे भी रहे जिसमें उन्हें निजी तौर पर आहत किया। हाल ही में टीम के पूर्व कोच रामेश पोवार के साथ विवाद ने मिताली को इतना आहत किया था कि उन्होंने भावुक लिख कर सीओए को पत्र भी लिखा था।

टी-20 विश्व कप के सेमीफाइनल में बाहर बैठना मिताली के लिए सदमे से कम नहीं रहा होगा, लेकिन इस खिलाड़ी ने कड़वा घंटू पीने से भी परहेज नहीं किया।

विवाद सुलझे और मिताली ने वापसी भी की। वह टी-20 से संन्यास ले चुकी हैं लेकिन टेस्ट और वनडे में अभी भी खेल रही हैं। मिताली वनडे टीम की कप्तान भी हैं।

Trending




Cricket Scorecard

Advertisement