England Cricket Team: चैंपियंस ट्रॉफी ने पिछले कुछ महीने में कई बड़े मसले सुलझते देखे और ट्रॉफी का आयोजन आगे बढ़ा। भारत का खेलना और हाइब्रिड मॉडल पर सहमति कोई साधारण मसले नहीं थे। लगा अब सब मुश्किल दूर पर तभी एक नया तूफ़ान इंग्लैंड में उठा- अफ़ग़ानिस्तान से मैच मत खेलो। वजह- आरोप है कि यह तालिबान कंट्रोल देश महिलाओं के साथ सही व्यवहार नहीं कर रहा और इसी में अफगानिस्तान महिला क्रिकेट का 'खत्म' होना शामिल है।
इस मसले पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है। इसी मसले पर आपसी क्रिकेट सीरीज रद्द होने की मिसाल हैं पर अब किसी ग्लोबल टूर्नामेंट में मैच खेलने से इंकार की बात उठ रही है। इसी को और हाईलाइट करने के लिए चैंपियंस ट्रॉफी में अफगानिस्तान के साथ खेलने से इंकार को इंग्लैंड वाले एक 'बड़ा मौका' मान रहे हैं। कहा जा रहा है कि इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड ऐसा कर, वही करेगा जो 21 साल के दक्षिण अफ्रीका के ग्लोबल बहिष्कार ने वहां रंगभेद खत्म करने में बड़ी ख़ास भूमिका निभाई थी। तो क्या इंग्लैंड वास्तव में अफ़ग़ानिस्तान के विरुद्ध 26 फरवरी को खेलने से इंकार करेगा?
इसी से ये सवाल सामने आया कि क्या इंग्लैंड ने इससे पहले भी किसी मैच में खेलने से इंकार किया है? इस सवाल के जवाब के लिए सीधे 2003 वर्ल्ड कप में झांकना होगा। इस चर्चा को आगे बढ़ाने से पहले आपको बता दें कि तब इंग्लैंड के कप्तान नासेर हुसैन ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि उनके कुछ खिलाड़ी वर्ल्ड कप में जिम्बाब्वे के विरुद्ध मैच न खेलने के सवाल पर रो पड़े थे। इसीलिए अब जब फिर से मैच के बहिष्कार का मुद्दा चर्चा में है तो 2003 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड से जुड़े लोगों में से कोई इसे सपोर्ट नहीं कर रहा। दो दशक पहले रॉबर्ट मुगाबे सरकार की पॉलिसी के कारण हरारे में जिम्बाब्वे के विरुद्ध वर्ल्ड कप मैच न खेलने का फैसला, इंग्लैंड ने खिलाड़ियों पर छोड़ दिया था।