अलविदा डीन जोन्स..हमेशा याद रहेगी भारत के खिलाफ मद्रास टेस्ट की आपकी वो महान पारी

Updated: Thu, Sep 24 2020 17:33 IST
Dean Jones (Image Credit: Twitter)

डीन मर्विन जोंस अब हमारे बीच नहीं रहे। ऑस्ट्रेलिया के इस महान बल्लेबाज ने गुरुवार को मुम्बई में अंतिम सांस ली। डीन उस कमेंटरी टीम का हिस्सा थे, जो स्टार स्पोटर्स के लिए आईपीएल डगआउट कार्यक्रम पेश कर रही थी। डीन का दिल का दौरा पड़ने से निधन हुआ। अपने करियर में डीन ने कई शानदार पारियां खेलीं लेकिन इनमें से एक पारी ऐसी थी, जिसके लिए क्रिकेट इतिहास में उन्हें हमेशा याद किया जाएगा और वह सितम्बर 1986 में चेन्नई (मद्रास) में भारत के खिलाफ खेली गई उनकी 210 रनों की पारी थी।

उस पारी ने सर डॉन ब्रैडमैन के 334, मार्क टेलर के 334, मैथ्यू हेडन के 380 और जेसन गिलेस्पी के नाबाद 201 रनों की पारी को फीका कर दिया था और आज भी उसकी गिनती किसी ऑस्ट्रेलियाई द्वारा खेली गई अब तक की सबसे महानतम पारी के रूप में होती है।

टेस्ट क्रिकेट की हर एक बड़ी पारी में शारीरिक और मानसिक क्षमताओं को अंतिम छोर तक दोहन होता है लेकिन डीन की वह पारी तमाम सीमाओं को लांघकर एक नई परिधि में पहुंच गई थी। वह एक ऐसी पारी है, जिसके बारे में टेस्ट बल्लेबाजों को आने वाले कई दशकों तक बताया जा सकता है।

डीन की वह पारी ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों द्वारा खेली गई सबसे बड़ी पारियों में 45वें स्थान पर आती है लेकिन अगर इंसानी शरीर की क्षमता की पराकाष्ठा की बात की जाए तो वह सबसे ऊपर दिखाई देती है।

1986 में ऑस्ट्रेलियाई टीम का भारत दौरा कई मायने मे खास था। पहला, यह बॉब सिम्पसन का ऑस्ट्रेलिया से बाहर पहला टूर था और दूसरा डीन ने इस सीरीज के माध्यम से दो साल के बाद टेस्ट टीम में वापसी की थी। साथ ही डीन को नम्बर-3 पर खेलने की अहम जिम्मेदारी मिली थी और इस सीरीज के माध्यम से वह इसे कई सालों तक अपने पास रखने वाले थे।

जोंस अपने टेस्ट करियर के तीसरे मैच के बाद टीम में वापसी कर रहे थे और इससे पहले उनके खाते में 48, 5, 1, 11 रनों की पारियां थीं। कप्तान एलन बार्डर के सामने एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि घर में हमेशा मजबूती से खेलने वाली भारतीय टीम के खिलाफ जोंस जैसे नए खिलाड़ी को तीसरे नम्बर पर उतारना किसी जुए से कम नहीं था।

बहरहाल, बार्डर ने मद्रास में टॉस जीता और बल्लेबाजी चुनी। ज्यौफ मार्श और डेविड बून की जोड़ी ने पहले विकेट के लिए 48 रन जोड़े और बून और जोंस ने दूसरे विकेट के लिए 158 रनों की साझेदारी की। बून स्टम्प्स से ठीक पहले 122 रनों के निजी योग पर आउट हुए। जोंस 56 पर नाबाद थे और दिन की समाप्ति तक उनके साथ थे नाइटवॉचमैन रे ब्राइट।

दूसरा दिन बिल्कुल अलग था। गर्मी और उमस के बीच जोंस ने अपना पहला टेस्ट शतक पूरा किया और फिर बार्डर के साथ मिलकर अपनी टीम को बड़े स्कोर की ओर से गए। गर्मी और उमस ने हालांकि उनकी हालत खराब कर दी थी। उनके शरीर में चारो ओर क्रैम्प उठ रहे थे। पहले हाथ, फिर पैर फिर दूसरे पैर और फिर पीठ में क्रैम्प उठने लगा।

तापमान 40 के करीब था और आद्रता 80 फीसदी से अधिक थी, खेल के लायक बिल्कुल माहौल नहीं रह गया था। मैदान किसी ओवन की तरह लग रहा था और ऐसा लग रहा था कि किसी ने गरमी के बीच कम्बल ओढ़ लिया हो।

जोंस ने सन 2000 में क्रिकइंफो को दिए इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने अपना अंतिम 100 सिर्फ 66 गेंदों पर बनाया था क्योंकि व्ह दौड़ नहीं पा रहे थे। ऐसे में जबकि शरीर से सारा पानी निचुड़ रहा था और इसकी ताकत खत्म होती जा रही थी, ऐसे में अपनी उर्जा बचाए रखने के लिए एक जगह खड़ा होकर ही रन बनाना समझदारी थी।

डीन ने कहा था कि 170 रनों तक जाते-जाते उनका शरीर पूरी तरह जवाब देने लगा था और उन्हें उल्टियां शुरू हो गई थीं। इससे शरीर में पानी की कमी बढ़ती जा रही थी। वह मैदान से बाहर जाना चाहते थे लेकिन जा नहीं सकते थे क्योंकि वह टीम को मजबूत स्थिति में ले जाना चाहते थे और उन्हें खुद को भी साबित करना था।

दूसरी ओर, कप्तान बार्डर भी स्थिति की गम्भीरता को समझ नहीं पा रहे थे। उन्हें लग रहा था कि यह फुड प्वाइजनिंग के कारण हो रहा है और एनर्जी ड्रिंक लेने से सही हो जाएगा लेकिन जब हालात काफी बिगड़ गया तो किसी ने उन्हें बाहर जाने की सलाह दी। 210 रनों पर जब वह अंतत: आउट हुए तो उन्हे ड्रेसिंग रूम में ले जाकर आईस बाथ दिया गया और फिर अस्पताल ले जाकर ड्रिप लगाई गई।

जोंस जल्द ही ठीक होकर दूसरी पारी में बल्लेबाजी के काबिल हो गए लेकिन बार्डर ने बाद में कहा था कि , "हे भगवान..मैंने तो उसे मार ही दिया था।"

आज जोंस नहीं हैं और बार्डर यहीं हैं। ऐसे में बार्डर को जोंस की वह पारी जरूर याद आई होगी, जिसे वह भी क्रिकेट इतिहास की महानतम पारियों में शामिल करते हैं।
 

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