कहानी भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए उस टाई टेस्ट मैच की, अब तक इतिहास में सिर्फ दो टेस्ट मैच ही हुए हैं टाई
टेस्ट क्रिकेट में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि कोई टेस्ट मैच टाई पर समाप्त हुआ हो लेकिन टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में अब तक दो टेस्ट मैच टाई पर खत्म हुए हैं और मज़े की बात ये रही है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम इन दोनों टाई टेस्ट मैचों का हिस्सा रही है। पहला टेस्ट मैच 1960 में 14 दिसंबर के दिन टाई रहा था, ये टेस्ट मैच क्रिकेट की दुनिया का पहला टाई टेस्ट मैच था जो कि ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच खेला गया था। इसके बाद टेस्ट क्रिकेट इतिहास का दूसरा टाई टेस्ट मैच 26 साल बाद 22 सितंबर, 1986 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया। हालांकि, ये टेस्ट मैच भारत जीत सकता था लेकिन आखिरी ओवर में ये मैच टाई पर समाप्त हुआ। तो चलिए आपको उतार-चढ़ाव भरे मद्रास टेस्ट मैच की पूरी कहानी के बारे में बताते हैं।
ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी
मद्रास में खेले गए इस टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग चुनी थी और बल्लेबाज़ों के शानदार प्रदर्शन के चलते पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया ने 7 विकेट के नुकसान पर स्कोरबोर्ड पर 574 रन लगाकर अपनी पारी घोषित कर दी। ऑस्ट्रेलिया को इस पहाड़नुमा स्कोर तक पहुंचाने में डीन जोन्स, डेविड बून और एलेन बॉर्डर ने अहम भूमिका निभाई। जोन्स ने संयम से खेलते हुए दोहरा शतक लगाया जबकि डेविड बून और एलेन बॉर्डर ने शतकीय पारियां खेली। वहीं, भारत के लिए गेंदबाज़ों को विकेटों के लिए संघर्ष करना पड़ा लेकिन बल्लेबाज़ों से मार खाने के बावजूद शिवपाल यादव ने 4 और चेतन शर्मा -रवि शास्त्री ने एक-एक विकेट चटका दिया था।
भारत की पहली पारी
ऑस्ट्रेलिया के 574 रनों के जवाब में भारतीय टीम अपनी पहली पारी में 397 रन बनाकर ऑलआउट हो गई और पहली पारी के आधार पर ऑस्ट्रेलिया को 177 रनों की भारी-भरकम लीड मिल गई। भारत के लिए पहली पारी में कप्तान कपिल देव ने लड़ने का जज्बा दिखाया और 119 रनों की शतकीय पारी खेली।
ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी
भारत की पहली पारी समेटने के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम ने दूसरी पारी में तेज़तर्रार शुरुआत की और कंगारू टीम भारत से इस मैच को दूर ले गई। ऑस्ट्रेलिया ने अपनी दूसरी पारी 170 रनों पर घोषित कर दी और भारत को आखिरी दिन 348 रनों का टारगेट दिया।
भारत की दूसरी पारीः
जिस समय ये टेस्ट मैच खेला जा रहा था उस समय पांचवें दिन 348 रन चेज़ करना तो असंभव था लेकिन मैच को ड्रॉ जरूर कराया जा सकता था और शायद भारत भी यही चाहता था लेकिन जब ओपनर सुनील गावस्कर और कृष्णमचारी श्रीकांत ने पहले विकेट के लिए 55 रन जोड़कर टीम इंडिया को अच्छी शुरुआत दिलाई और उसके बाद अमरनाथ ने गावस्कर के साथ मिलकर दूसरे विकेट के लिए 103 रनों की साझेदारी करके भारत को जीत की आस दे दी। दूसरी पारी में गावस्कर ने (90), अमरनाथ (51), अजहरुद्दीन (42), चंद्रकांत पंडित (39) और रवि शास्त्री ने नाबाद 48 रनों की पारियां खेली।
दूसरी पारी में बल्लेबाज़ों के शानदार प्रदर्शन ने इस हारे हुए टेस्ट मैच में भारत को जीत की दहलीज तक पहुंचा दिया था लेकिन आखिरी ओवर में भारतीय टीम 347 रन बनाकर ऑलआउट हो गई और ये मैच टाई पर ही खत्म हो गया। मज़े की बात ये थी कि भारत को आखिरी ओवर में जीत के लिए सिर्फ 4 रनों की दरकार थी। क्रीज पर रवि शास्त्री 48 रन बनाकर खेल रहे थे और मनिंदर सिंह उनके साथ थे।
भारत को आखिरी ओवर में चाहिए थे सिर्फ 4 रन
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पहली तीन गेंदों में शास्त्री ने दो रन बनाए और चौथी गेंद पर एक रन बनाकर मनिंदर सिंह को स्ट्राइक दे दी। इस तरह भारत को अब दो बॉल पर सिर्फ एक रन चाहिए था और ऐसा लग रहा था कि भारत ये मैच जीत जाएगा। ऑस्ट्रेलियाई खेमे की धड़कनें बढ़ चुकी थी और भारत ये मैच सिर्फ जीत सकता था हार नहीं सकता था लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था औऱ ओवर की पांचवीं गेंद पर मनिंदर सिंह एलबीडब्ल्यू आउट हो गए और ये मैच टाई पर ही खत्म रहा। इस मैच में शानदार प्रदर्शन करने वाले डीन जोन्स और कपिल देव को संयुक्त रूप से मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार दिया गया था। आपको बता दें कि तीन मैचों की ये टेस्ट सीरीज 0-0 ड्रॉ पर समाप्त हुई।