महिला क्रिकेटर स्मृति मंधाना ने कहा, माता-पिता के कारण मेरा करियर बना इतना बड़ा
5 जुलाई। भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार बल्लेबाज स्मृति मंधाना का मानना है कि एक समय ऐसा भी था, जब उनकी मां चाहतीं थीं कि वह क्रिकेट की जगह टेनिस जैसा कोई व्यक्तिगत खेल चुनें लेकिन क्रिकेट के प्रति उनके प्यार के आगे मां को झुकना पड़ा और आज उनके करियर को तराशने में उनके माता-पिता का सबसे अहम योगदान है।
अपनी बल्लेबाजी से सबका ध्यान आकर्षित कर चुकीं मंधाना को इस साल आईसीसी ने 'साल का सबसे अच्छा वनडे खिलाड़ी' और 'साल का सबसे अच्छा क्रिकेटर' चुना। मंधाना भारत की सबसे युवा टी-20 कप्तान बनीं। मार्च में मंधाना ने इंग्लैंड के साथ हुए टी-20 मैच में पहली बार कप्तानी की थी।
आज बाटा जैसी मल्टीनेशनल कम्पनी का ब्रैंड एम्बेसेडर बन चुकीं मंधाना के लिए अब तक का सफर आसान नहीं रहा है क्योंकि उनके घर में उनके खेल के चयन को लेकर दो राय थी लेकिन समय के साथ सब एक राय होते चले गए और आज आलम यह है कि उनके माता-पिता उनके करियर को संवारने में सबसे अहम कारक बनकर उभरे हैं।
मारवाड़ी परिवार से ताल्लुक रखने वाले मंधाना ने कहा, "मेरी मां चाहती थीं कि मैं खेलूं लेकिन वह चाहती थीं कि मैं कोई व्यक्तिगत खेल खेलूं, टीम गेम नहीं। वह चाहती थीं कि मैं टेनिस खेलूं। एक समय के बाद हालांकि उन्हें अहसास हुआ कि मैं क्रिकेट को लेकर पागल हूं और तब जाकर हमने क्रिकेट को लेकर फैसला किया। इसके बाद मेरे माता-पिता पूरी तरह मेरे साथ रहे।"
घरेलू क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाली पहली भारतीय स्मृति को अपने इस सफर के दौरान समाज की छींटाकशी का भी सामना करना पड़ा। शुरुआत में लोग कहा करते थे कि लड़की है और दिन-दिन भर खेलेगी तो काली हो जाएगी और फिर इससे शादी कौन करेगा।
बकौल मंधाना, "मेरे सांवले होने को लेकर भी चर्चा होती थी। लोग कहते थे कि काली हो गई तो इससे शादी कौन करेगा। लेकिन मैंने कभी प्रतिक्रिया नहीं दी। मेरी मां ने मुझसे कहा था कि कि उन्हें कहने दो..जब तुम भार के लिए खेलोगी तो वही लोग तुम्हारी ओर देखेंगे। अब लोग मेरी काबिलियत को पहचानते हैं और मेरी ओर देखते हैं।"
बाटा के ब्रैंड-पावर द्वारा शुरू किए गए-हैशटैगफाइंडयोरपावर-कैम्पेन का हिस्सा मंधाना मानती हैं कि हर खिलाड़ी के करियर में एक दौर ऐसा भी आता है, जब वह अच्छा-और अच्छा करना चाहता है।
मंधाना के मुताबिक उनके करियर में वह दौर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ किम्बर्ले में शतक लगाया था क्योंकि इस पारी के माध्यम से उन्होंने खुद को साबित किया था। मंधाना ने कहा, "किम्बर्ले में मेरा शतक काफी संतोषजनक था और इसके बाद घर में इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया के खिलाफ मेरा प्रदर्शन अच्छा रहा। लोग कहते थे कि मैं घर में स्कोर नहीं कर सकती। मुझे कुछ साबित करना था और इस बात ने मुझे प्रेरित भी किया था।"