रॉस टेलर: हॉकी खिलाड़ी से बना क्रिकेटर, तब बना कप्तान जब दिग्गजों ने दिया था टीम को धोखा

Updated: Mon, Apr 04 2022 11:04 IST
Ross Taylor crying

Ross Taylor Retirement: रॉस पोउटोआ लोटे टेलर न्यूजीलैंड का वो हीरा जिसकी चमक विश्वक्रिकेट में सदियों तक रहेगी। न्यूजीलैंड और नीदरलैंड के बीच चल रहे तीसरे और अंतिम एकदिवसीय मैच में रॉस टेलर अपना विदाई मैच खेल रहे हैं। रॉस टेलर न्यूजीलैंड का प्रतिनिधित्व करने वाले बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक हैं जिन्होंने अपने शानदार इंटरनेशनल करियर में ढेर सारे रन बनाए और कीवी टीम की रीढ़ बने।

रॉस टेलर की कहानी दिलचस्प है। शुरुआती दिनों में टेलर क्रिकेट नहीं बल्कि हॉकी खेलते थे। रॉस टेलर के बारे में ये बात बेहद कम लोग जानते हैं कि वो एक शानदा हॉकी खिलाड़ी थे लेकिन, बाद में उन्होंने क्रिकेट में उनकी रूची बढ़ती गई और उन्होंने क्रिकेट को चुना। इसके बाद जो कुछ हुआ उससे सभी वाकिफ हैं। रॉस टेलर ने इंटरनेशनल क्रिकेट में अपना लोहा मनवाया।

रॉस टेलर के करियर का खास पल तब आया जब 2010 में उन्हें श्रीलंका में तीन देशों की सीरीज के लिए कप्तान नियुक्त किया गया। रॉस टेलर ने तब न्यूजीलैंड की कप्तानी संभाली जब दिग्गज क्रिकेटर डैनियल विट्टोरी और ब्रैंडन मैकुलम जैसे दिग्गजों ने कप्तानी की जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया था। टेलर ने यहां न्यूजीलैंड टीम का साथ नहीं छोड़ा और टीम की कमान संभाली।

हैमिल्टन के सेडॉन पार्क में नीदरलैंड के खिलाफ मुकाबले में रॉस टेलर अपने तीन बच्चों मैकेंज़ी, जोंटी और एडिलेड को राष्ट्रगान के लिए अपने साथ लेकर आए। तीनों ने न्यूजीलैंड की जर्सी भी पहनी हुई थी, जिसके पीछे उनके पिता यानी रॉस टेलर का नाम लिखा हुआ था। जैसे ही राष्ट्रगान शुरू हुआ टेलर अपनी भावनाओं को कंट्रोल नहीं कर सके और उनके आंसू बह निकले।

नेशनल एंथम के समाप्त होने के बाद टीम के साथी मार्टिन गुप्टिल ने रॉस टेलर को सांत्वना दी जो उनके ठीक बगल में खड़े थे। टेलर की आंखों में आंसू भरे हुए थे राष्ट्रगान खत्म हुआ तो उन्होंने अपने दोनों हाथों से आंसू पोछे और अपने बच्चों से कुछ कहा। ये वाकई काफी ज्यादा इमोशनल पल था।

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मार्च 2006 में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू करने वाले टेलर न्यूजीलैंड के लिए अपना 450वां और अंतिम मैच खेल रहे हैं। उन्होंने पिछले साल के अंत में अपने रिटायरमेंट की घोषणा कर दी थी। इंटरनेशनल क्रिकेट में रॉस टेलर का सफर शानदार रहा है। विशेष रूप से, वो इंटनेशनल क्रिकेट में तीनों फॉर्मेट में कम से कम 100 मैच खेलने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं।

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