जब सब्स्टीट्यूट ने अपनी ही टीम के खिलाड़ी को किया कैच आउट, टेस्ट इतिहास में 3 बार हुआ है ऐसा
कुछ दिन पहले श्रीलंका-पाकिस्तान कोलंबो टेस्ट के दौरान एक बड़ी अजीब बात हुई। पाकिस्तान के क्रिकेटर मोहम्मद रिजवान प्लेइंग इलेवन में नहीं थे। टेस्ट शुरू होने के थोड़ी देर बाद रिजवान ने सब्स्टीट्यूट के तौर पर शाहीन शाह अफरीदी की गेंद पर कुसल मेंडिस (6) का कैच लपका। उसके बाद, पाकिस्तान की पारी में सरफराज (22 गेंद में 14*) रिटायर हर्ट हुए तो रिजवान कनकशन सब्स्टीट्यूट बन गए यानि कि अब टेस्ट टीम में आ गए।
तो इस तरह टेस्ट में रिजवान की भूमिका रही- सब्स्टीट्यूट के तौर पर एक कैच, कनकशन सब्स्टीट्यूट के तौर पर 50* और दूसरी पारी में रमेश मेंडिस को स्टंप किया। एक खिलाड़ी के, एक ही टेस्ट में, अलग-अलग तरह के रोल का ये अनोखा नजारा था। टेस्ट क्रिकेट में पहली बार ही ऐसा हुआ कि एक टीम की दोनों पारी में, फील्डिंग में किसी खिलाड़ी का नाम अलग-अलग तरह से लिखा गया।
टेस्ट इतिहास में, ऐसा तो हो चुका था कि टेस्ट खेल रहे एक खिलाड़ी ने, उसी टेस्ट में सब्स्टीट्यूट के तौर किसी को आउट किया यानि कि दूसरी टीम के लिए सब्स्टीट्यूट थे। तब, टीम टेस्ट में बहुत कम खिलाड़ियों के साथ खेलती थीं (खर्चा बचाने के लिए- टूर पर आई आस्ट्रेलिया टीम में भी सिर्फ 12 खिलाड़ी थे ताकि टूर के मुनाफे को ज्यादा खिलाड़ियों के बीच न बांटना पड़े ; ऑस्ट्रेलिया की टीम तो इस मांग के मंजूर होने के बाद ही आई थी कि गेट मनी उनकी होगी) और अक्सर जरूरत में दूसरी टीम के किसी भी खिलाड़ी को अपना सब्स्टीट्यूट बनाकर फील्डिंग के लिए कह देते थे।
ऐसा सिर्फ तीन बार हुआ कि तब उस सब्स्टीट्यूट ने कैच भी लिया यानि कि अपनी ही टीम के किसी खिलाड़ी का कैच लपका- ऑस्ट्रेलिया के बिली मर्डोक (1884), एफ़ी जार्विस (1884-85) और चार्ल्स टर्नर (1886-87) के नाम है ये रिकॉर्ड। मजेदार बात ये है कि इन तीन में से किसी ने भी, उस टेस्ट में, अपनी टीम की तरफ से कोई कैच नहीं लिया।
अब विस्तार से बात करते हैं मर्डोक के ऐसा करने की- ये तो ऐतिहासिक किस्सा है। अपनी टीम के किसी खिलाड़ी का कैच लपकने का रिकॉर्ड बना और ऐसा करने वाले पहले थे ऑस्ट्रेलिया के कप्तान बिली मर्डोक- उन्होंने 1884 में लॉर्ड्स में इंग्लैंड के विरुद्ध टेस्ट में, अपनी टीम के 'टुप' स्कॉट (75 ) का कैच पकड़ा। मर्डोक तब डब्ल्यूजी ग्रेस की जगह फील्डिंग कर रहे थे (उनकी एक उंगली में चोट थी)। सबसे बड़ा रिकॉर्ड- ये टेस्ट क्रिकेट में ये ऐसा पहला कैच था जो किसी सब्स्टीट्यूट ने पकड़ा।
यह टेस्ट नंबर 15 था लेकिन 'होम ऑफ क्रिकेट' लॉर्ड्स में पहला। 3 टेस्ट की सीरीज के पहले मैच में मौसम ने इंग्लैंड को बचा लिया था। तब इंग्लैंड में 3 दिन के टेस्ट होते थे और ओल्ड ट्रैफर्ड के उस पहले टेस्ट के पहले दिन बारिश की वजह से स्पष्ट फैसले का समय ही नहीं था।
लॉर्ड्स में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बैटिंग की और 229 रन बनाए। ये स्कोर भी हेनरी 'टुप' स्कॉट और हैरी बॉयल के बीच 10 वें विकेट की 69 रन की पार्टनरशिप की बदौलत बना था। स्कॉट का कैच, लेग स्पिनर एजी स्टील की गेंद पर उनके अपने कप्तान बिली मर्डोक ने लपका और उस से ये पार्टनरशिप टूटी।
बड़ा मजेदार सवाल ये है कि ऐसा क्या हुआ कि खुद कप्तान मुर्डोक आए डब्ल्यूजी ग्रेस के सब्स्टीट्यूट के तौर पर? बिली मर्डोक पर अपनी किताब में, रिक सिसन्स और रिचर्ड कैशमैन ने इस सवाल का जवाब देने की कोशिश की और उनके मुताबिक़ मर्डोक और ग्रेस बड़े अच्छे दोस्त थे और इसीलिए जब ग्रेस को चोट लगी तो मुर्डोक उनकी जगह फील्डिंग के लिए आ गए। दोस्ती का सबूत ये कि ग्रेस का टॉप स्कोर था 152 रन था और जब मर्डोक ने ओवल के तीसरे टेस्ट में इस रिकॉर्ड को तोड़ा तो ग्रेस ने उन्हें एक कीमती तोहफा दिया था।
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टेस्ट पर लौटते हैं। इंग्लैंड ने जवाब में 379 रन बनाए- स्टील के 230 मिनट में 13 चौकों की मदद से 148 रन इसमें शामिल थे। जब ऑस्ट्रेलिया ने फिर से बल्लेबाजी की, तो स्पोफोर्थ के फॉलो-थ्रू के कारण ख़राब हुई पिच का फायदा उठाकर जॉर्ज यूलियेट ने 39.1-23-36-7 की गेंदबाजी की (तब 4 गेंद के ओवर थे)। सबसे बेमिसाल था यूलियेट का अपनी ही गेंद पर बोनोर का कैच- हालांकि पॉवरफुल हिटर में से एक बोनोर ने पिस्टल के शॉट की तरह का स्ट्रोक लगाया था पर यूं लगा कि गेंद तो इलास्टिक से बंधी है और सीधे यूलियेट के हाथ में चली गई। ऑस्ट्रेलिया एक पारी से हार गया।