जब टीम इंडिया की कप्तान हरमनप्रीत कौर बनीं थी पंजाब पुलिस में DSP, लेकिन डिग्री फर्जी निकली
एक नई खबर- पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने, बेहतर प्रदर्शन के लिए टीम इंडिया की कप्तान हरमनप्रीत कौर (Harmanpreet Kaur) को पंजाब पुलिस में नौकरी का अपॉइंटमेंट लेटर दिया- डीएसपी पोस्ट के लिए। पंजाब सरकार को एक खिलाड़ी को सही सम्मान देने और हरमन को पीपीएस में नौकरी की बधाई। खबर यहीं खत्म और अब आगे की बात। इस नौकरी तक पहुंचने के लिए हरमन का करियर जिन मुकाम से गुजरा- वह है असली स्टोरी और ऐसी जिसकी और कोई मिसाल नहीं है।
वैसे तो हरमन क्रिकेट से ही आज इतना पैसा कमा रही हैं कि उन्हें नौकरी की कोई जरूरत नहीं पर क्रिकेट से रिटायर होने के बाद ये काम आएगी।हरमनप्रीत आज एक टॉप क्रिकेटर हैं- टीम इंडिया और मुंबई इंडियंस की कप्तान, हाल ही में 150 टी20 इंटरनेशनल खेलने वाली दुनिया की पहली खिलाड़ी (पुरुष-महिला दोनों से) बनीं। अब आते हैं उनके नौकरी के किस्से पर।
अपने इंटरनेशनल क्रिकेट करियर की शुरुआत 20 साल की उम्र में 2009 वर्ल्ड कप में की और एकदम टीम की टॉप बल्लेबाज बन गईं। 2012 में तो कप्तान भी बनीं। ये एक बड़ा मुकाम था क्रिकेट में और तब उन्होंने नौकरी के बारे में सोचा। स्पष्ट है नौकरी स्पोर्ट्स कोटा में चाहिए थी ताकि खेलने पर कोई पाबंदी न हो। इसलिए 2013 में पंजाब सरकार से सरकारी नौकरी के लिए अनुरोध किया। पंजाब सरकार ने नौकरी देने से इनकार कर दिया- इस दलील पर कि वे किसी सरकारी स्कीम में फिट नहीं होतीं।
बहरहाल नौकरी की तलाश जारी रही और आख़िरकार 2014 में वे मुंबई चली गईं- उन्हें रेलवे में नौकरी मिल गई। रेलवे में कई क्रिकेटर नौकरी करती हैं और हरमन को स्पोर्ट्स कोटा में वेस्टर्न रेलवे में ऑफिस सुपरिटेंडेंट की ड्यूटी मिली। ये भी रिकॉर्ड में है कि इस के लिए हरभजन सिंह ने उनकी मदद की थी- हरभजन ने उस समय के राज्य सभा सदस्य सचिन तेंदुलकर से बात की और उन्होंने रेलवे मिनिस्टर से। 2017 हरमन के लिए एक ख़ास साल रहा- अर्जुन अवार्ड मिला और सबसे ज्यादा तो इंग्लैंड में वर्ल्ड कप में उनके ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध 171* की धूम मची।
इसी से भारत फाइनल खेल गया। उन पर खूब इनाम बरसे और पंजाब सरकार भी पीछे न रही- उन्हें डीएसपी की पोस्ट ऑफर कर दी। हरमन तो सालों से इसी का इंतजार कर रही थीं इसका। इसलिए हां कर दी।
रेलवे को अपना इस्तीफा सौंप दिया हरमन ने। इसी के साथ रेलवे ने हरमन के लिए 13 लाख रुपये का नकद इनाम (जो टीम की हर खिलाड़ी को मिला) और प्रमोशन की घोषणा कर दी- अब उन्हें स्पेशल ड्यूटी (स्पोर्ट्स) ऑफिसर बना दिया। हरमन को तो वापस पंजाब जाना था इसलिए प्रमोशन से इंकार कर दिया और अपना इस्तीफा मंजूर करने के लिए कहा। इस बीच, वे पंजाब पुलिस की नौकरी के लिए मेडिकल टेस्ट भी दे आईं और बाकी जरूरतें भी पूरी कर लीं। गड़बड़ ये हुई कि वे ड्यूटी पर नहीं जा सकीं क्योंकि रेलवे इस्तीफा मंजूर नहीं कर रही थी और आखिरकार इस से इनकार भी कर दिया।
इतना ही नहीं, रेलवे ने तो जवाब में नोटिस थमा दिया कि नौकरी लेते वक्त जो 5 साल का बांड भरा था वह अभी पूरा नहीं हुआ है (2 साल बचे थे)- इसलिए नौकरी नहीं छोड़ सकती। हरमन ने तब तक ड्यूटी पर जाना बंद कर दिया था और अब न रेलवे से सेलेरी मिल रही थी और न पंजाब पुलिस से। यहां उनके अनुरोध पर पंजाब सरकार मदद के लिए आगे आई और उन्होंने रेलवे से कहा कि इसे नौकरी से इस्तीफे की तरह न लेकर एक सरकारी डिपार्टमेंट (रेलवे) से दूसरे सरकारी डिपार्टमेंट (पंजाब पुलिस) को ट्रांसफर की तरह लें- रेलवे ने इसे न माना और पूरे 5 साल की सेलेरी के 27 लाख रुपये मांग लिए।
आखिर में पंजाब के चीफ मिनिस्टर कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने खुद रेलवे मिनिस्टर पीयूष गोयल से बात की, अनुरोध किया और तब रेलवे ने बांड की शर्त में रियायत देकर इस्तीफा मंजूर कर लिया। इस तरह से हरमन बन गईं पंजाब पुलिस में डीएसपी। खूब फोटो छपीं।
पंजाब पुलिस ने अपनी अंदरूनी कार्रवाई में, हरमन की ग्रेजुएशन की डिग्री वेरिफिकेशन के लिए उस चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी को भेज दी जहां से डिस्टेंस एजुकेशन सिस्टम में वे 2009-11 में ग्रेजुएट हुई थीं। यूनिवर्सिटी ने जवाब दिया- ये डिग्री फर्जी है और उनके रिकॉर्ड से ऐसी कोई डिग्री जारी नहीं हुई। पंजाब पुलिस ने खबर आग की तरह फैला दी कि हरमन की डिग्री जाली है- इसलिए उन्हें डीएसपी की पोस्ट से हटा दिया है। ये तो फ्रॉड का मामला बन गया और बहुत बड़ा बवाल हो सकता था- न सिर्फ मिले अर्जुन अवार्ड पर आंच आती, रेलवे भी कार्रवाई करती क्योंकि वहां भी इसी डिग्री से नौकरी मिली थी।
ये तो अच्छा रहा कि पंजाब पुलिस ने बिना किसी एक्शन ये फाइल बंद कर दी- हां, उससे पहले हरमन को ये बता दिया था कि अगर वे चाहें तो अपनी बाक़ी की एजुकेशन की बदौलत पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी ले सकती हैं। इस बीच हरमनप्रीत किसी विदेशी टी20 लीग में खेलने वाली न सिर्फ पहली भारतीय क्रिकेटर बन गई थीं (डब्ल्यूबीबीएल की तीन टीम से खेलने का ऑफर था)- चैंपियन टीम सिडनी थंडर के लिए खेलते हुए वे पहले सीज़न में अपने ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट थीं। इस नई कामयाबी ने भी उनकी मदद की।
वैसे उस समय जो ख़बरें लीक हुईं उनके मुताबिक इस केस में आगे कोई एक्शन रोकने के लिए पंजाब सरकार ने तय किया कि हरमनप्रीत ऑनरेरी डीएसपी रहेंगी और अपनी ग्रेजुएशन पूरी करने के लिए उन्हें समय दे दिया। हरमनप्रीत के मैनेजर की स्टेटमेंट थी कि कहीं न कहीं कुछ गलत-फहमी है और अगर ये डिग्री रेलवे में सही थी तो अब फर्जी कैसे हो सकती है? खैर उसके बाद सब चुप हो गए और हरमन की पंजाब पुलिस की डीएसपी की पोस्ट की हसरत अधूरी रह गई।
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इस तरह, उम्मीद है अब मौजूदा पंजाब सरकार ने जो ऑफर दिया है- उस पर वास्तव में हरमन डीएसपी की पोस्ट संभालेंगी। उन्हें इस बड़ी पोस्ट की बधाई।