Advertisement

जब विराट कोहली ने पिता के देहांत के बाद भी मैदान पर जाकर जमाया शतक फिर किया अंतिम संस्कार

18 दिसंबर 2006 की बात है, उस दौरान रणजी मैच में विराट कोहली दिल्ली के लिए खेला करते थे। रणजी ट्रॉफी के ग्रुप “ए” के एक मैच में फिरोजशाह कोटला मैदान पर कर्नाटक और दिल्ली के बीच मैच खेला जा रहा

Advertisement
जब विराट कोहली ने पिता के देहांत के बाद भी मैदान पर जाकर जमाया शतक फिर किया अंतिम संस्कार Images
जब विराट कोहली ने पिता के देहांत के बाद भी मैदान पर जाकर जमाया शतक फिर किया अंतिम संस्कार Images (Twitter)
Vishal Bhagat
By Vishal Bhagat
Nov 05, 2018 • 10:49 AM

18 दिसंबर 2006 की बात है, उस दौरान रणजी मैच में विराट कोहली दिल्ली के लिए खेला करते थे। रणजी ट्रॉफी के ग्रुप “ए” के एक मैच में फिरोजशाह कोटला मैदान पर कर्नाटक और दिल्ली के बीच मैच खेला जा रहा था।

Vishal Bhagat
By Vishal Bhagat
November 05, 2018 • 10:49 AM

उस रणजी मैच में कर्नाटक के खिलाफ रणजी मैच में दिल्ली की तरफ से एक युवा बल्लेबाज विराट कोहली बल्लेबाजी कर रहे थे। उस वक्त कोहली की उम्र यही 18 साल रही होगी और सबसे बड़ी बात ये थी की उस मैच से कोहली रणजी क्रिकेट में डेब्यू कर रहे थे।

Trending

कर्नाटक ने पहली पारी में 446 रन का स्कोर पहले दिन खड़ा कर लिया था तो वहीं दूसरे दिन दिल्ली की टीम कर्नाटक के पहली पारी के स्कोर का पीछा करने उतरी तो दिल्ली के 5 विकेट जल्द ही आउट हो गए थे। इसके बाद 18 साल का एक युवा बल्लेबाज कोहली बल्लेबाजी करने आए।

दूसरे दिन के खेल खत्म होने तक कोहली और पूनीत बिस्ट ने पारी को संभला और स्कोर को 103 तक ले गए। दूसरे दिन के खेल खत्म होने तक कोहली 40 रन बनाकर नॉट आउट पवेलियन लौटे थे। लेकिन इसके बाद कोहली के लाइफ में एक ऐसी ट्रेजडी घटी जिससे कोहली की पूरी जिंदगी बदलकर रख दी थी।

अचानक उसी रात कोहली को पता चला कि उनके पिता का ब्रेन हैमरेज के चलते देहांत हो गया है। जिस वक्त कोहली को ये पता चला उस वक्त कोहली दिल्ली के ओवरनाइट बैट्समैन थे, दिल्ली को मैच में वापस आने के लिए कोहली का अगले दिन बल्लेबाजी करना बेहद ही जरूरी था।

टीम मैट को लगा कि कोहली को अब अपने घर जाना चाहिए लेकिन अगली सुबह कोहली ने अपना फर्ज टीम के लिए पहले समझा और उन्होंने मैदान पर जाकर दिल्ली की टीम की पारी को आगे बढ़ाया। उस मुश्किल भरे वक्त में कोहली ने ना सिर्फ मैदान पर रूक कर बेमिसाल पारी खेली बल्कि दिल्ली की टीम को फॉलोऑन से बचाने के लिए बिल्कुल करीब लाकर खड़ा कर दिया था। उस मैच में कोहली ने जिस परिस्थिती में बल्लेबाजी करी थी वो असमान्य था।

कोहली ने उस ऐतिहासिक मैच में 281 मिनट और 238 गेंद का सामना करते हुए 90 रन की पारी खेली थी। जिस वक्त कोहली आउट हुए उस समय तक दिल्ली को फॉलोओन बचाने के लिए सिर्फ 36 रनों की जरूरत थी। कोहली के इस बेहद ही महत्वपूर्ण पारी के कारण दिल्ली की टीम मैच बचानें में सफल रही थी।

90 रन की बेहतरीन पारी खेलने के बाद कोहली तुरंत अपने पिता की अंत्येष्टि में चले गए।

"उस मैच में दिल्ली के कप्तान रहे मिथुन मन्हास ने उस वक्त के बारे में एक बयान में कहा था कि हमारी टीम ने कोहली को उस मुश्किल भरे वक्त में कहा कि तुम्हें घर जाना चाहिए, लेकिन कोहली ने खेलने का फैसला किया था। उस मैच में कोहली जिस तरह से बल्लेबाजी कर रहे थे उससे मुझे एहसास हो गया था कि कोहली कोई समान्य खिलाड़ी नहीं है।"

इसके साथ - साथ उस वक्त दिल्ली के कोच रहे चेतन चौहान भी कोहली के इस फैसले से दंग रह गए थे। " कोहली उस वक्त 18 साल थे थे, उनके पिता के बारे में उनको खबर 4 बजे सुबह मिली थी। मैनें कोहली से बात भी करी थी लेकिन कोहली घर जाने से पहले टीम के लिए योगदान देना चाहते थे। कोहली के इस बर्दास्त करने की क्षमता को जानकर मैं भी हैरान रह गया। कहीं ना कहीं मुझे एहसास हो गया था कि आगे जाकर विराट कोहली महान खिलाड़ी बनेगें।

कोहली ने यह पारी उस वक्त खेली जब उन्हें पूरी तरह से मालूम था कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं ये सबके बावजूद जिस तरह से कोहली ने अपने भावनाओ पर काबू पाकर बल्लेबाजी करी थी वो किसी शब्द में बयान नहीं किया जा सकता है।

विराट के साथ हुई इस घटना ने कोहली को पूरी तरह से बदल दिया था। अपने पिता को खोने के बाद कोहली ने पूरी परिपक्वता के साथ क्रिकेट को अपना करियर बनानें के लिए कोशिश करते रहे थे। उनका मानना था कि उनके पिता का यह सपना था कि मैं एक अच्छा क्रिकेटर बनूं।

Advertisement

Advertisement