शुरुआती करियर में भाग्य का काफी साथ मिला था : सुनील गावस्कर
महान भारतीय बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने अपने बेहद सफल करियर से जुड़ी कुछ अनछुई बातें बताते कहा कि करियर के शुरुआत में उन्हें भाग्य का काफी साथ मिला।
31 मई , मुंबई (आईएएनएस) महान भारतीय बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने अपने बेहद सफल करियर से जुड़ी कुछ अनछुई बातें बताते कहा कि करियर के शुरुआत में उन्हें भाग्य का काफी साथ मिला। गावस्कर ने मार्च, 1971 से नवंबर, 1987 के बीच 16 सालों तक भारत के लिए शानदार क्रिकेट खेला।
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज माधव आप्टे की आत्मकथा 'ऐज लक वुड हैव इट' के अनावरण के अवसर पर गावस्कर ने अपने पहले टेस्ट सीरीज से जुड़ी कई रोचक बातें साझा कीं।
गौरतलब है कि गावस्कर ने 1971 में वेस्टइंडीज के दौरे पर अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की थी।
गावस्कर ने कहा, "मैं आज यहां सिर्फ अपने भाग्य के कारण हूं। 1971 में वेस्टइंडीज दौरे पर मेरे साथ कुछ-एक घटनाएं ऐसी हुईं जो इसे साबित करती हैं।"
गावस्कर ने कहा, "एक मैच में मैं छह रन के योग पर बल्लेबाजी कर रहा था, तभी मैंने स्क्वायर कट मारा और गेंद काफी ऊपर चली गई। लेकिन फील्डिंग कर रहे गैरी सोबर्स के सीने पर वह गेंद लगी और मैं आउट होने से बच गया। उसके बाद मैंने हाफ सेंचुरी जमाया था। गावस्कर ने अपने टेस्ट करियर 125 टेस्ट मैचों में 10,122 रन बनाए हैं।
गावस्कर ने एक और घटना का जिक्र करते हुए कहा ,"यह घटना मेरे पहले टेस्ट शतक से जुड़ी है। मैं 94 रन बनाकर खेल बल्लेबाजी कर रहा था और ऑफ स्पिन गेंदबाज पर मैंने फॉरवर्ड शॉट खेला। गैरी सोबर्स मुझसे ठीक पीछे खड़े थे। लेकिन मैंने चूंकि फॉरवर्ड की ओर शॉट खेला, वह बाईं ओर फॉरवर्ड शॉर्ट लेग की ओर चले गए।"
गावस्कर ने आगे बताया, "गेंद मेरे ग्लव्स से टकराई और पीछे की ओर उछल गई। गैरी अगर अपनी पहले वाली जगह पर खड़े रहते तो यह एक साधारण कैच होता। उन्होंने डाइव लगाई हालांकि वह कैच लपक नहीं सके। अगर यह भाग्य नहीं है तो क्या है।"
गावस्कर ने यह भी बताया कि उसके बाद से गैरी सोबर्स उन्हें भाग्यशाली मानने लगे और बल्लेबाजी करने उतरने से पहले वह भारतीय ड्रेसिंग रूम में आते और उन्हें छूकर चले जाते।
गावस्कर ने कहा, "रोज सुबह गैरी हमारे ड्रेसिंग रूम में आते और कप्तान अजित वाडेकर को नमस्कार करने के बाद मुझे छूकर चले जाते। इसके बाद गैरी ने उस मैच में सैकड़ा जमा डाला था।
"अगले मैच में वह फिर आए और मुझे छूकर गए और उन्होंने फिर से 78 रनों की पारी खेली। लेकिन पांचवें टेस्ट में जब वह आए तो वाडेकर ने मुझे शौचालय में बंद कर दिया ताकि वह मुझे छू न सकें। उस मैच में गैरी पहली ही गेंद पर बोल्ड हो गए थे।
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एजेंसी