भारत के वर्ल्ड चैंपियन बनने में गेंदबाजों ने निभाया था अहम रोल
1983 का वर्ल्ड कप जीतना भारतीय टीम के लिए किसी सपने के सच होने जैसा ही था। भारत के लिए इस कारनामे को अंजाम देने में तो सभी खिलाड़ियों का प्रदर्शन एक समान ही
1983 का वर्ल्ड कप जीतना भारतीय टीम के लिए किसी सपने के सच होने जैसा ही था। भारत के लिए इस कारनामे को अंजाम देने में तो सभी खिलाड़ियों का प्रदर्शन एक समान ही था पर खासकर भारतीय गेंदबाजों ने इंग्लैंड में हुए इस वर्ल्ड कप में भारत की जीत की राह को अमली–जामा पहनाया था। 1983 वर्ल्ड कप के अपने पहले मैच में रोजर बिन्नी और रवि शास्त्री ने जो प्रदर्शन की उससे एक बात तो स्पष्ट हो गई थी कि भारत के लिए इस वर्ल्ड कप में गेंदबाज खास रोल निभाएंगे ।
पहले मैच से ही भारतीय गेंदबाजों ने जिस जज्बे के साथ बेहतरीन प्रदर्शन किया था वह कहीं ना कहीं भारत के लिए वर्ल्ड कप 1983 में जीत की कहानी को बयां करता है। पहले मैच में वेस्टइंडीज टीम के विवियन रिचर्ड्स , क्लाइव लॉयड , डेसमंड हेन्स जैसे बल्लेबाजों को आउट कर रोजर बिन्नी ने भारतीय टीम को जीत दिलाई थी। रवि शास्त्री ने भी अपनी स्पिन से बाकी के बचे बल्लेबाजों को मैदान के बाहर का रास्ता दिखाकर भारत के लिए वर्ल्ड कप में पहली जीत की नींव रखी थी। रोजर बिन्नी ने अपने 12 ओवर के गेंदबाजी कोटे में 48 रन देकर 3 विकेट लिए तो वहीं शास्त्री ने भी 3 विकेट लिए थे। इस मैच के बाद रोजर बिन्नी ने जो प्रदर्शन करी वो भारत के लिए काफी मददगार साबित हुआ। बिन्नी का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आया जब उन्होंने 8 ओवर में 2 मेडन सहित केवल 29 रन देकर 4 बल्लेबाजों को आउट किया था।
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बिन्नी ने अपने खेले 8 वर्ल्ड कप मैचों में कुल 18 विकेट लेकर वर्ल्ड कप 1983 में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज साबित हुए।
भारत को वर्ल्ड कप जीताने में अहम योगदान देने वालों में बिन्नी के अलावा मदन लाल औऱ मोहिन्दर अमरनाथ का भी रहा था। मदन लाल ने तो अपनी गेंदबाजी से जो साथ रोजर बिन्नी और कपिल देव का दिया था वो असमान्य था। मदन लाल ने 8 मैचों में 17 विकेट लिए थे और खासकर फाइनल मैच में वेस्टइंडीज के 3 विकेट लेकर इतिहास रचने में अहम योगदान दिया था।
83 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम की कमान संभालने वाले कपिल देव ने अपने हरफनमौला खेल सबका मन मोह लिया था। उन्होंने जितनी शानदार बल्लेबाजी की उससे कई शानदार गेंदबाजी भी की। कपिल ने 8 मैचों में जहां 303 रन बनाए थे वहीं 12 विकेट भी अपने नाम भी किए थे। कपिल देव ने अहम मुकाबलों में शानदार प्रदर्शन किया, इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में उन्होंने किफायती गेंदबाजी करते हुए 11 ओवर में 35 रन देकर 3 महत्वपूर्ण विकेट लिए थे औऱ टीम को पहली बार वर्ल्ड कप के फाइनल मे पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लीग मुकाबले में कपिल देव ने 12 ओवरों में 43 रन देकर बेहतरीन 5 विकेट लिए थे जो उनके वन डे करियर का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शऩ था।
इस वर्ल्ड कप में एक और खिलाड़ी जिन्होंने अहम मौकों पर अतुल्नीय प्रदर्शन करके भारतीय टीम को वर्ल्ड चैंपियन बना दिया वो नाम था महिंदर अमरनाथ का । अमरनाथ वर्ल्ड कप के शुरूआती मैचों में कोई कमाल नहीं कर पाए थे लेकिन अपने टीम के साथ – कंधे से कंधा मिलाकर खेले और अपना सौ फीसदी दिया। लेकिन अमरनाथ सेमीफाइनल और फाइनल में जो कमाल किया था वह प्रदर्शन अमरनाथ को भारत का सबसे चहेता खिलाड़ी बना दिया था।
इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में मोहिंदर अमरनाथ ने ऑल – राउंड प्रदर्शन करके टीम भारत को जीत दिलाकर वर्ल्ड कप के इतिहास में पहली बार भारतीय टीम फाइनल में पहुंचाया था । सेमीफाइनल में इंग्लैंड को 213 रन पर समेटने में अमरनाथ का अहम योगदान रहा उन्होंने अपने किए 12 ओवरों में केवल 27 रन देकर 2 विकेट अपने झोली में डाले जिससे इंग्लैंड के बल्लेबाज भारत के सामने बड़ा लक्ष्य नहीं बना पाए।
मोहिंदर अमरनाथ के हीरों बननें के रास्ते में एक और कड़ी जुड़ गई जब क्रिकेट के मक्का लॉर्ड्स पर खेले गए फाइनल मैच में अमरनाथ ने हैरान करने वाली प्रदर्शन देकर वेस्टइंडीज के लगातार 3 बार वर्ल्ड चैंपियन बनने के ख्बाव को चकनाचूर कर दिया था।
वेस्टइंडीज के खिलाफ फाइनल मैच में अमरनाथ ने अपने प्रदर्शन से सबको चौंका दिया था । भारत के 183 रन के जवाब में वेस्टइंडीज के 6 विकेट केवल 76 रन पर ही गिर गए थे जिसमें मदन लाल ने अहम किरदार निभाया था। ऐसा लगने लगा कि मैच भारत असानी से जीत जाएगा लेकिन क्रिकेट हमेशा की तरह अनिश्चिताओं का खेल रहा है इसलिए कुछ भी कहना मुश्किल था। कुछ भी हो सकता था, वेस्टइंडीज के पुछ्ल्लें बल्लेबाज मार्शल और दुजों के बीच पार्टनरशिप बनने लगी जिससे मैच विरोधी टीम की तरफ जाता लगने लगा। लेकिन ऐन मौके पर अमरनाथ ने अपने गेंदबाजी से शानदार प्रदर्शन कर दुजों को क्लीन बोल्ड करके भारतीय टीम को मैच में वापस ला दिया और साथ ही अमरनाथ ने मार्शल को गवासकर के हाथों कैच कराकर वेस्टइंडीज टीम को हार के बेहद करीब लाकर खड़ा कर दिया था। जब वेस्टइंडीज की टीम का स्कोर 140 रन था तभी अमरनाथ ने माइकल होल्डिंग को एलबीडब्लयू आउट कर भारत को वर्ल्ड चैंपियन बना दिया था । मोहिंदर अमरनाथ ने उस दिन सिर्फ 7 ओवर ही किए थे पर अपने इस छोटे से स्पैल में मोहिंदर अमरनाथ ने केवल 12 रन देकर 3 विकेट लिए थे।
मोहिंदर अमरनाथ के शानदार ऑल – राउंडर प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द मैच से नवाजा गया । इस तरह भारतीय गेंदबाजों ने वर्ल्ड कप 1983 को जीताने में मजबूत कड़ी साबित हुई ।
विशाल भगत/CRICKETNMORE