दूसरे वर्ल्ड कप में भारतीय टीम का मायूसी भरा सफर
1975 वर्ल्ड कप में भारत का प्रदर्शन बेहद ही निराशा के साथ खत्म हुआ था । 1975 में भारतीय टीम केवल एक मैच जीत पाई थी जिसके चलते ही दूसरे वर्ल्ड कप में भी
1975 वर्ल्ड कप में भारत का प्रदर्शन बेहद ही निराशा के साथ खत्म हुआ था । 1975 में भारतीय टीम केवल एक मैच जीत पाई थी जिसके चलते ही दूसरे वर्ल्ड कप में भी वेस्टइंडीज,ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी बड़ी टीमों के सामनें भारत को बेहद कमजोर माना जा रहा था। टीम कमजोर साबित हुई भी और 1979 मे गुए दूसरे वर्ल्ड कप में भी भारत का प्रदर्शन बेहद ही निराशाजनक रहा।
ऐसा नहीं था कि भारतीय टीम में कोई बड़ा नाम नहीं था। भारत के पास बल्लेबाजी में जहां सुनील गावस्कर,अंशुमन गायकवाड़ ,दिलिप वेंगसरकर , गुंडप्पा विश्वनाथ जैसे बेहद ही अच्छे औऱ शानदार बल्लेबाज थे वहीं गेंदबाजी में भी भारतीय टीम में कपिल देव , मोहिंदर अमरनाथ ,बिशन सिंह बेदी ,औऱ श्रीनिवासन वेंकटराघवन जैसे बड़े गेंदबाज थे। लेकिन कोई भी खिलाड़ी ऐसा खेल नहीं दिखा पाया जिससे भारत को जीत हासिल हो पाती।
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पहला मैच ⇒ भारत बनाम वेस्टइंडीज
भारत को शक्तिशाली वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड औऱ श्रीलंका के साथ ग्रुप बी में रखा गया था। पहले ही मैच में भारत का मुकाबला वेस्टइंडीज जैसी ताकतवर टीम के साथ था। बर्मिघम में हुए इस मैच के नतीजे को लेकर किसी को भी कोई शक नहीं था कि भारत की टीम वेस्टइंडीज के सामने कुछ खास कर पाएगी।
वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड ने टॉस जीतकर पहले फिल्डिंग करने का निर्णय लिया। बर्मिंघम के पिच पर पहले सत्र में भारत को बल्लेबाजी के लिए कहना भारत के बल्लेबाजों के लिए टेढ़ी खीर साबित हुई । इंडीज गेंदबाजों के सामने भारतीय बल्लेबीजी पूरी तरह चरमारा गई जिसका अंदाजा सभी क्रिकेट पंडितों को था। भारत की आधी टीम 77 रन पर पवेलियन पहुंच गई थी। भारत के लिए केवल गुंडप्पा विश्वनाथ ने 75 रन की साहसिक पारी खेली और भारत की टीम किसी तरह 190 रन बनानें में सफल रही। विश्वनाथ ने 75 रन की जुझारू पारी खेलकर भारतीय टीम के अंदर आत्मविश्वास की थोड़ी ललक जरूर जगाई। लेकिन वेस्टइंडीज की पारी जब शुरू हुई तो गॉर्डन ग्रीनिज ने भारतीय गेंदबाजों की अकेले ऐसे धुनाई करी जिससे मैच आसानी से वेस्टइंडीज ने जीत लिया। गॉर्डन ग्रीनिज ने नाबाद 106 रन की पारी खेली और वेस्टइंडीज 9 विकेट से यह मैच जीत गया ।
दूसरा मैच ⇒ भारत बनाम न्यूजीलैंड
न्यूजीलैंड के साथ हुए दूसरे मैच में एक बार फिर भारतीय टीम का निराशाजनक परफॉर्मेंस जारी रहा। हालांकि बल्लेबाज सुनिल गवास्कर(55) औऱ ब्रजेश पटेल(38)ने सटीक बल्लेबाजी करी पर इन दोनों बल्लेबाजों के अलावा और कोई भी दूसरा बल्लेबाज टिक कर खेल नहीं पाया औऱ पूरी टीम 182 रन पर सिमट गई। न्यूजीलैंड के बायें हाथ के बल्लेबाज ब्रूस एडगर ने नाबाद 84 रन बनाकर भारत को मैच से बाहर कर दिया औऱ न्यूजीलैंड ने मैच 8 विकेट से जीतकर भारतीय टीम की हर एक चुनौती की हवा निकाल दी थी।
तीसरा मैच ⇒ भारत बनाम श्रीलंका
लगातार 2 मैच में बुरी हार से ग्रस्त होकर भारतीय टीम जब तीसरा मैच खेलने श्रीलंका के खिलाफ मैदान पर उतरी तो कहीं ना कहीं भारतीय टीम चाह रही थी कि श्रीलंका जैसी टीम को हराकर वर्ल्ड कप 1979 में अपनी साख बचा सके। लेकिन श्रीलंका के साथ हुए मैच में भारत को बेहद ही निंदनीय हार का सामना करना पड़ा। भारत की तरह ही कमजोर आंकी जा रही श्रीलंकन टीम के बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजों के सामने बेहद ही उम्दा खेल दिखाकर भारत को निराशा के संमंदर में धकेल दिया। श्रीलंकन बल्लेबाज सुनील वेट्टीमुनी, रॉय डायस और दिलीप मेंडिस ने हाफ सेंचुरी बनाकर श्रीलंका के स्कोर को 60 ओवरों में 238 रन बनानें में शानदार भूमिका निभाई। वैसे भारत के ओपनर बल्लेबाज गवास्कर औऱ गायकवाड़ ने भारत को बेहद ही किफायती शुरूआत करी पर दोनों की पार्टनरशिप जोड़ी 60 रन पर टूटते ही मैच का रूख बिल्कुल हवा की झोके की तरह श्रीलंका के पाले में मुड़ गया। श्रीलंका के तेज गेंदबाज टोनी ओपथा और स्पिनर सोमचंद्र दे सिल्वा ने आपस में भारत के 6 विकेट अपनी झोली में डालकर भारत की बल्लेबाजी क्रम को धराशायी कर दिया।
श्रीलंका ने मैच 47 रन से जीतकर 1979 वर्ल्ड कप में भारत का एक भी मैच जीतने की कोशिश पर पानी फेर दिया था । 1979 वर्ल्ड कप में भारत एक भी मैच नहीं जीत पाया था। भारत के तरफ से सबसे ज्यादा रन गुंडप्पा विश्वनाथ (106 रन) ने बनाए थे तो वहीं मोहिंदर अमरनाथ 4 विकेट लेकर भारत के तरफ से सबसे सफलतम गेंदबाज रहे थे।
विशाल भगत/CRICKETNMORE