कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है। गीत ऋषि गोपालदास नीरज की यह पंक्ति सिर्फ पंक्ति न होकर जीवन का एक बहुत बड़ा दर्शन है, जो जीवन के किसी सपने के पूरा न होने की स्थिति में रुकने या निराश होने की जगह अपनी क्षमताओं को जानकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। पूर्व क्रिकेटर आकाश चोपड़ा की जिंदगी कहीं न कहीं इस पंक्ति को चरितार्थ करती है।
आकाश चोपड़ा का जन्म 19 सितंबर 1977 को आगरा, उत्तर प्रदेश में हुआ था। जब थोड़े बड़े हुए तो क्रिकेट में दिलचस्पी बढ़ी और फिर इस खेल में देश का प्रतिनिधित्व करने का सपना लिए घरेलू क्रिकेट की शुरुआत दिल्ली से की। 1997 से दिल्ली के लिए उन्होंने खेलना शुरू किया। यह सिलसिला 2010 तक चला। 1997 से 2003 तक उनका दिल्ली के लिए शानदार प्रदर्शन रहा और इसी आधार पर 2003 में उन्हें न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में खेलने का मौका मिला।
अक्तूबर 2003 से अक्तूबर 2004 के बीच चोपड़ा को भारत की तरफ से 10 टेस्ट खेलने का मौका मिला। अक्तूबर 2004 में 25 साल की उम्र में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आकाश ने अपना आखिरी टेस्ट खेला। 10 टेस्ट मैचों में 2 अर्धशतक लगाते हुए 437 रन उनके बल्ले से निकले।