जब तेज गेंदबाजी को खेलना तकनीक के साथ जुनून और जिगर का भी खेल था, तब मोहिंदर अमरनाथ अपने समकालीन बल्लेबाजों से बहुत आगे थे। इतने आगे कि एक बार लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर ने कहा था, "मैंने तेज गेंदबाजी को खेलने के लिए अमरनाथ जैसा बल्लेबाज नहीं देखा।"
24 सितंबर 1950 को पंजाब के पटियाला में जन्मे अमरनाथ को क्रिकेट विरासत में मिला था। उनको लोकप्रिय तौर पर 1983 विश्व कप की जीत के हीरो के रूप में याद किया जाता रहा है। उनका सहज व्यक्तित्व आधुनिक दौर में युवाओं के बीच उतना ही लोकप्रिय रहा है, लेकिन उनकी जीवटता, उनका खेलने का अंदाज और मानसिकता अपने पिता से मिली सीख से बनी थी। मोहिंदर अमरनाथ एक बल्लेबाज थे, जो अपने आंकड़ों से बहुत ज्यादा थे।
मोहिंदर अमरनाथ का परिचय उनके लीजेंडरी पिता लाला अमरनाथ के बगैर अधूरा है। लाला अमरनाथ का कद भारतीय क्रिकेट में पितामह तुल्य है। मोहिंदर अमरनाथ को क्रिकेट कुछ इस तरह विरासत में मिला था कि उन्होंने कहा था, "मेरे पिता ने पहली शादी क्रिकेट से की, दूसरी मेरी मां से। यह उनका क्रिकेट को लेकर जुनून था। वह हमारे लिए हीरो थे।"