इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के फ्रेंचाइजी हर बार विदेशी खिलाड़ियों से जिताने वाले प्रदर्शन की उम्मीद में उन पर काफी पैसा खर्च करते हैं। लेकिन साल दर साल यह साबित हो गया है कि ये महंगे क्रिकेटर अपने ऊंचे प्राइस टैग के बोझ तले टूट जाते हैं और धन वर्षा करने वाले इस लीग में प्रदर्शन करने में असफल होते हैं।
खिलाड़ियों के लिए प्रति निष्पक्षता बरतते हुए नीलामी का रास्ता अपनाया गया है जिसमें उनकी कीमत अक्सर मांग एवं आपूर्ति के अनुसार तय होती है। किसी खिलाड़ी को कितनी कीमत मिलेगी इस पर उसका कोई नियंत्रण नहीं होता। उसे सिर्फ अपना बेस प्राइस (न्यूनतम कीमत) तय करने का अधिकार होता है।
एक बार जब नीलामी प्रक्रिया समाप्त हो जाने के बाद आदर्श स्थिति में इन पेशेवरों को वास्तविकता को स्वीकार कर अपने फ्रेंचाइजी के लिए मैच जिताने वाले प्रदर्शन पर फोकस करना चाहिए। लेकिन आईपीएल के इतिहास देखें तो ज्यादातर मौकों पर महंगे बिकने वाले खिलाड़ी अक्सर अपेक्षाओं के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। आईपीएल 2023 सीजन में भी वही कहानी दोहराई गई।