14 जुलाई। श्रीलंका दौरे पर जा रही भारत की अंडर-19 टीम में उत्तर प्रदेश के भदोही के यशस्वी जगह बनाने में सफल हुए हैं। मुंबई के आजाद मैदान पर पानीपुड़ी की दुकान पर काम करने वाले यशस्वी को भारत की अंडर-19 वनडे टीम में जगह मिली है। इस युवा प्रतिभाशाली खिलाड़ी के कोच ज्वाला सिंह बताते हैं कि यशस्वी के अंदर क्रिकेट की एक दीवानगी है। वह पैसे के लिए नहीं नाम के लिए खेलना चहता है।
पूरा परिवार बेटे की इस उपलब्धि पर खुश है। सुरियावां नगर में पेंट की दुकान चलाने वाले पिता भूपेंद्र जायसवाल उर्फ गुड्डन ने बताया कि क्रिकेट यशस्वी के जिंदगी का सपना था। उसने कहा था बूट पालिश करना पड़ेगा तो भी करुंगा, लेकिन एक दिन अच्छा क्रिकेटर बन कर दिखाऊंगा।
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यशस्वी की प्रतिभा के कायल क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर भी हैं। उनके पिता बताते हैं कि सचिन ने यशस्वी को अपने घर भी बुलाया था और खेल के गुर सिखाने के बाद खुद के हस्ताक्षर से युक्त बल्ला सौंपा था। सचिन के बेटे का भी अंडर-19 टीम में चयन हुआ है लेकिन वह टेस्ट टीम में चुने गए हैं।
यशस्वी के अंदर महज पांच साल की उम्र से क्रिकेट का जुनून सवार था। यशस्वी को नींद में क्रिकेट मैदान, बल्ला और गेंद दिखते थे। यशस्वी के पिता भी एक अच्छे क्रिकेटर रहे हैं और अपने बेटे के कोच भी। वो अहमदाबाद की सिल्वर कंपनी के लिए कभी खेला करते थे। भारत की अंडर-19 टीम बंगलौर में शिविर में हिस्सा ले रही है। इसी महीने भारतीय टीम श्रीलंका जाएगी।
यशस्वी की कामयाबी के पीछे क्रिकेट अकादमी चलाने वाले सर ज्वाला सिंह का हाथ हैं। जिन्होंने 10 साल की उम्र में उसकी प्रतिभा को समझा और उसे आजाद मैदान उठाकर अपने पास ले गए। उन्हें पूरा परिवार भगवान कहता है। यशस्वी के पिता के मोबाइल में इनका नाम मेरे भगवान नाम से सेव है। 11 साल की उम्र में यशस्वी आजाद मैदान का चहेता बन गया।