एक सिक्के पर टिका था पूरा वर्ल्ड कप, पूरे वर्ल्ड कप में रिपीट होती रही टॉस की कहानी
टी-20 वर्ल्ड कप 2021 के फाइनल मैच में भी वही कहानी देखने को मिली जो पूरे टूर्नामेंट में देखने को मिल रही थी। ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बीच जैसे ही फाइनल मुकाबले के लिए ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीता वैसे ही
टी-20 वर्ल्ड कप 2021 के फाइनल मैच में भी वही कहानी देखने को मिली जो पूरे टूर्नामेंट में देखने को मिल रही थी। ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बीच जैसे ही फाइनल मुकाबले के लिए ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीता वैसे ही ये फैसला भी हो गया कि ऑस्ट्रेलिया पहली बार चैंपियन बनने जा रही है।
जी हां, ये बिल्कुल सच है कि टॉस के साथ ही वर्ल्ड कप के बॉस का भी पता चल गया था क्योंकि ये कहानी पूरे वर्ल्ड कप के दौरान होती दिखी। यूएई और ओमान में खेले गए इस वर्ल्ड में टॉस के दौरान ही विजेता का पता चल जाता था। जिस टीम ने टॉस हारा उसे कहीं न कहीं पता चल जाता था कि वो मैच में पिछड़ चुके हैं और आंकड़े भी यही कहानी बयां कर रहे हैं।
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टी-20 वर्ल्ड कप के 44 मैचों में से 29 मैच उस टीम ने जीते जिसने टॉस जीता और अगर दुबई की बात करें जहां ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बीच फाइनल मैच खेला गया, वहां तो 12 में से 10 मैच उसी टीम ने जीते थे जिसने टॉस जीता था। भारतीय टीम को पहले दो मैचों में पाकिस्तान और न्यूज़ीलैंड के हाथों हार का सामना करना पड़ा क्योंकि उन दोनों मुकाबलों में टॉस ही निर्णायक था।
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अगर भारत उन मैचों में टॉस जीत जाता, तो शायद टीम इंडिया ग्रुप स्टेज से ही बाहर नहीं होती। ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि एक इतने बड़े इवेंट में जहां दुनियाभर की टीमें अपने खेल से छाप छोड़ने के लिए बेताब रहती हैं, उनके खेल से पहले टॉस ही मैच का फैसला कर दे, तो ये कितना सही है। कहीं न कहीं ये टूर्नामेंट आईसीसी और आयोजकों के लिए एक सबक देकर जा रहा है कि अगली बार से ऐसे माहौल और पिचों पर मैच कराए जाएं जहां टॉस के हारने और जीतने से मैच के हारने और जीतने पर असर ना पड़े।