तीसरा वर्ल्ड कप जीतने के लिए तैयार है कोहली की सेना,ये हैं टीम के मजबूत पक्ष,देखें पूरी टीम
नई दिल्ली, 20 मई (CRICKETNMORE)| 1975 से 2015 तक हुए अभी तक के सभी वर्ल्ड कप में भारतीय टीम जब भी गई एक बेहतरीन बल्लेबाजी ईकाई के रूप में गई और हमेशा से उसकी बल्लेबाजी ही उसकी पहचान रही। इस
वर्ल्ड कप में भारत के पास चार तेज गेंदबाज है। जसप्रीत बुमराह- जो डेथ ओवरों के विशेषज्ञ हैं। बुमारह में दम है कि वह रन रोकने के अलावा विकेट लेने में भी सफल रहते हैं। बुमराह बेशक मौजूदा समय के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में गिने जाते हैं और उन्होंने इस बात को सोबित भी किया। क्रिकेट के महाकुंभ में यह गेंदबाज सभी के लिए सिरदर्द साबित होगा यह लगभग तय है।
बुमराह के अलावा भारत के पास स्विंग के दो उस्ताद भुवनेश्वर कुमार और मोहम्मद शमी है। इंग्लैंड जैसी परिस्थतियों में यह दोनों भारत के लिए कारगर साबित हो सकते हैं। इन दोनों की ताकत सिर्फ स्विंग ही नहीं बल्कि इनकी तेजी भी है। स्विंग और तेजी का मिश्रण इन दोनों को खतरनाक बनाता है।
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इन तीनों के अलावा भारत के पास दो हरफनमौला खिलाड़ी हैं जो तेज गेंदबाजी करते हैं। हार्दिक पांड्या और विजय शंकर, लेकिन पांड्या का अंतिम-11 में खेलना तय है। पांड्या के पास इंग्लैंड में खेलने का अनुभव है। वह 2017 में खेली गई चैम्पियंस ट्रॉफी में टीम का हिस्सा था। तब से लेकर अब तक पांड्या एक गेंदबाज के तौर पर पहले से बेहतर हुए हैं और जानते हैं कि इंग्लैंड में किस तरह की गेंदबाजी करनी है। यह गेंदबाज मध्य के ओवरों में एक छोर पर अच्छा कम कर सकता है। पांड्या की भी खासियात है कि वह लाइन टू लाइन गेंदबाजी करते हैं और रनों को रोकने पर ध्यान देते हैं।
सिर्फ तेज गेंदबाज ही नहीं भारत के पास ऐसे स्पिनर भी हैं जो मध्य के ओवरों में मैच का पासा पलट सकते हैं और बड़े स्कोर की तरफ जाती दिख रही टीम को कम स्कोर पर रोक सकते हैं। हालिया दौर में चाइनमैन कुलदीप यादव और लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल की जोड़ी ने ऐसा कई बार किया है। भारत को दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया में वनडे सीरीजों में जो जीत मिली उसमें इन दोनों का बहुत बड़ा रोल रहा है। यह दोनों मध्य के ओवरों में काफी असरदार साबित रहै हैं। इंग्लैंड में वर्ल्ड कप के दूसरे हाफ में गर्मी ज्यादा होगी और तब विकेट सूखे मिलेंगे जो स्पिनरों के मददगार होंगे। वहां कुलदीप और चहल का रोल बढ़ जाएगा। इन दोनों के अलावा भारत के पास रवींद्र जडेजा जैसा अनुभवी बाएं हाथ का स्पिनर भी है।
ऐसा नहीं है कि भारत की बल्लेबाजी कमजोर है। टीम के पास कोहली, रोहित शर्मा, शिखर धवन, महेंद्र सिंह धोनी जैसे दिग्गज है लेकिन कोहली के अलावा कोई भी बल्लेबाज निरंतर अच्छा नहीं कर सका है। यहां तक की हालत यह रही है कि अगर भारत के शीर्ष-3 बल्लेबाजों में से कोई एक भी नहीं चला तब भारत को 280-300 रनों के लक्ष्य को हासिल करना भी मुश्किल लगता है। बीते कुछ वर्षों में यह कई बार देखने को मिला है। हाल ही में भारत में आस्ट्रेलिया के साथ खेली गई वनडे सीरीज इस स्थिति का ताजा उदाहरण है। यही इस वर्ल्ड कप में भारत की सबसे बड़ी चिंता है कि अगर कोहली, रोहित या धवन में से कोई एक भी नहीं चला तो टीम को संभालेगा कौन? अंत में हालांकि धोनी हैं लेकिन वह अब उस तरह के धुआंधार बल्लेबाज नहीं रहे हैं जैसे हुआ करते थे लेकिन अभी भी मैच पलटने का माद्दा रखते हैं, बशर्ते दूसरे छोर से उन्हें समर्थन मिले।