2 नवंबर 2012 से, दिल्ली के बिलकुल करीब गाजियाबाद के नेहरू स्टेडियम में एक 4 दिन का, उत्तर प्रदेश-दिल्ली रणजी ट्रॉफी ग्रुप मैच खेला गया। जो इस मैच के साथ जुड़े थे, भले ही मैच में खेल रहे खिलाड़ी हों या दर्शक, उन्हें यह अंदाजा भी नहीं था कि वे किस 'इतिहास' का हिस्सा बन रहे हैं। ये मैच, आने वाले सालों में विराट कोहली का आखिरी घरेलू फर्स्ट क्लास मैच बन कर रह गया। विराट कोहली ने इसके बाद और कोई रणजी ट्रॉफी मैच खेला ही नहीं। इसके बाद भले बात विराट के रणजी करियर (या घरेलू क्रिकेट में खेलने) की हो या टीम इंडिया के स्टार क्रिकेटरों के घरेलू क्रिकेट को नजरअंदाज करने के मुद्दे की- ये मैच हमेशा चर्चा में आया।
विराट कोहली ने 2006 में तमिलनाडु के विरुद्ध रणजी डेब्यू किया पर इतने सालों में सिर्फ 23 मैच खेले हैं दिल्ली के लिए (रिकॉर्ड : 50.77 औसत से 1574 रन)। अब बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में विराट कोहली और कुछ अन्य के बैट से जूझने के बाद, फिर से टीम इंडिया के स्टार क्रिकेटरों के घरेलू ट्रॉफी मैचों में न खेलने का मुद्दा गरमाया और नतीजा ये है कि विराट कोहली भी रणजी ट्रॉफी में इतने सालों बाद लौट रहे हैं। उनके राजकोट में सौराष्ट्र के विरुद्ध खेलने की चर्चा थी पर फिट नहीं थे और अब खुद कह दिया है कि वे रेलवे के विरुद्ध 30 जनवरी से शुरू मैच में खेलेंगे। जैसे ही ये तय हुआ तो फिर से विराट कोहली का वह आखिरी रणजी ट्रॉफी मैच चर्चा में आ गया।
था तो ये एक रणजी ट्रॉफी ग्रुप मैच पर कई और बात बातें भी ऐसी हुईं जिनसे ये मैच चर्चा में रहा। मैच का आयोजन मिला था उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन को और इसे उनके गाजियाबाद में खेलने के फैसले ने दिल्ली को 'मेजबान' बना दिया। ईस्ट दिल्ली से बिल्कुल सटा है गाजियाबाद और दिल्ली के खिलाड़ी रोज मैच खेलने दिल्ली से जाते थे। मजेदार बात ये कि टीम इंडिया के टेस्ट ओपनर वीरेंद्र सहवाग (कप्तान) और गौतम गंभीर ही दिल्ली के ओपनर थे। सिर्फ वे नहीं, विराट कोहली, आशीष नेहरा, उन्मुक्त चंद और ईशांत शर्मा भी दिल्ली की टीम में थे। यूपी के पास प्रवीण कुमार, भुवनेश्वर कुमार (तब टेस्ट क्रिकेटर नहीं थे), मोहम्मद कैफ और सुरेश रैना थे। भारत के पिछले टेस्ट की प्लेइंग इलेवन के टॉप 7 में से 4 खिलाड़ी इस मैच में खेले। इन सभी स्टार क्रिकेटरों के खेलने से मैच वैसे भी चर्चा बन गया और उस पर उत्तर प्रदेश ने 6 विकेट से जीत दर्ज की।