पाकिस्तान के पूर्व टेस्ट कप्तान सईद अहमद के 86 साल की उम्र में इंतकाल के बाद (बीमार थे) हैरानी है कि पाकिस्तान में भी इस खबर की कोई ख़ास चर्चा नहीं हुई। पाकिस्तान बोर्ड ने उन्हें श्रद्धांजलि दी पर इससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ। ऐसा होने की कई वजह हैं जिनमें उनकी अच्छी क्रिकेट से ज्यादा, उनके विवाद, झगड़े, टीम में बगावत और पाकिस्तान टीम में धर्म की एंट्री सबसे ख़ास हैं। 1958 से 1973 के बीच 41 टेस्ट खेले- 40.41 औसत से 2991 रन, 5 शतक और 22 विकेट। उस दौर के पाकिस्तान के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज में से एक थे और सिर्फ 20 पारी में 1000 टेस्ट रन बनाए- उस समय पाकिस्तान रिकॉर्ड था ये।
जब 1957-58 में वेस्टइंडीज टूर में हनीफ मोहम्मद ने 337 रन बनाए थे तो उस पारी में लगभग 20 साल के सईद ने उनके साथ पार्टनरशिप में तीसरे विकेट के लिए 154 रन जोड़े थे। पाकिस्तान का कप्तान बनने का सपना था और इसी चाह में वे सबसे विवादास्पद खिलाड़ियों में से एक बन गए। बोर्ड ने 1969 के इंग्लैंड टूर के लिए कप्तान तो बनाया पर सीरीज में कोई टेस्ट न हारने के बावजूद कप्तानी से हटा दिया। इसी गुस्से में विवाद उनके नाम के जुड़ते रहे। कीमत उनके साथ-साथ परिवार और टेस्ट क्रिकेटर सौतेले भाई (यूनिस अहमद) ने भी चुकाई। ये सभी क्रिकेट की हैरान करने वाली स्टोरी हैं। दो बार बोर्ड ने 'लाइफ बैन' लगाया।
जब 1969 में उन्हें हटाकर इंतखाब आलम को कप्तान बना दिया तो वे गुस्से में खेलना रोक कर इंग्लैंड चले गए और वहां नाइट लाइफ़ में खूब एक्टिव रहे- कई स्टोरी हैं इसकी। तब भी बोर्ड ने 1971 के इंग्लैंड टूर की टीम में चुन लिया। पाकिस्तान सीरीज हार गया तो उन्हें लगा कि फिर से कप्तान बन जाएंगे पर ऐसा हुआ नहीं।