जिन रिपोर्ट और किताबों में क्रिकेटरों के निकनेम का जिक्र है, उनमें एक निकनेम का जिक्र कहीं नहीं मिलेगा। विश्वास कीजिए- लंबे, पतले और गठीले शरीर की बदौलत, एक ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर को 1964-65 के भारत टूर के दौरान 'गांधी' निकनेम मिला था। बाद में ऐसा लगा कि कहीं ऐसा न हो कि इस निकनेम से कोई नया विवाद शुरू हो जाए तो उस डर से, इसे भूल गए। उस दौर की अख़बारों में इस बारे में लिखा हुआ है। ये निकनेम किसने दिया- ये तो मालूम नहीं पर गलत नहीं था। न सिर्फ शरीर में उन जैसे थे, सारी जिंदगी बिना किसी विवाद बिता दी- सही मायने में जेंटलमैन क्रिकेटर और बैटिंग में किताबी स्टाइल में परफेक्ट। फ्रैंक टायसन (Frank Tyson) ने उन्हें 'क्रिकेट का सबसे पतला आदमी (the most substantial thin man in cricket)' कहा था।
ये परिचय है ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर, 'रेडर्स' के नाम से मशहूर इयान रेडपाथ का। जब 1969 में बिल लॉरी की टीम भारत टूर पर थी तो वे अपने कप्तान के लिए 'मैं हूं न!' थे- टीम को संकट से निकालने में परफेक्ट। रेडियो कमेंट्री के उस दौर में जिनका क्रिकेट में रुझान शुरू हुआ, उनके कानों में लॉरी, सिम्पसन, इयान चैपल, रेडपाथ, शेहान, मेलट, ग्लीसन और वाल्टर्स जैसे ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर के नाम हमेशा रहे। इन रेडपाथ का देहांत हो गया है।
उम्र 83 साल। दाएं हाथ के बल्लेबाज- 1964 से 1976 तक 66 टेस्ट में 43.45 औसत से 4737 रन बनाए (जनवरी 1964 में मेलबर्न में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध टेस्ट डेब्यू) 8 शतक और 31 फिफ्टी के साथ। 83 कैच पकड़े- ज्यादातर स्लिप में। 5 वनडे भी खेले (9.20 औसत से 46 रन) पर वे टेस्ट क्रिकेटर ही थे। टेस्ट डेब्यू पर कप्तान बॉबी सिंपसन ने टॉस से सिर्फ 10 मिनट पहले बताया था कि टेस्ट खेल रहे हैं- इसलिए कोई ख़ास तैयारी नहीं थी और तब भी 97 रन बनाए- साथी विक्टोरियन बिल लॉरी के साथ 219 की ओपनिंग पार्टनरशिप में। टेस्ट 100 का ये मौका हाथ से निकला तो अगला लगभग 5 साल बाद ही मिला- एससीजी में वेस्टइंडीज के विरुद्ध (132) 1969 में।