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Cricket Tales - डीएलएस सिस्टम के उस टाई ने दक्षिण अफ्रीका को वर्ल्ड कप से बाहर कर दिया था

Cricket Tales - वैसे डीएलएस सिस्टम या उससे पहले के डीएल सिस्टम का जिक्र आने पर कई मैच के किस्से खूब मशहूर हैं पर एक कम चर्चित लेकिन मजेदार मैच और है जिसमें दक्षिण अफ्रीका की टीम शामिल थी। ये

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti December 08, 2022 • 15:27 PM
Cricket Tales DLS Method
Cricket Tales DLS Method (Image Source: Google)
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वैसे तो मौसम ने न्यूजीलैंड-भारत सीरीज पर बुरी तरह असर डाला और इस सीरीज को सबसे ज्यादा खराब मौसम के लिए याद रखेंगे पर एक ख़ास बात ये हुई कि नेपियर में तीसरा और आख़िरी टी20 इंटरनेशनल टाई रहा-डीएलएस सिस्टम की बदौलत। ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है। जीत के लिए 161 रन की जरूरत और भारत का स्कोर 9 ओवर बाद 75/4- बरसात ने यहीं मैच रोक दिया। लगातार बारिश तो डीएलएस (डकवर्थ-लुईस-स्टर्न) सिस्टम लागू हुआ- तब भी विजेता नहीं मिला। डीएलएस सिस्टम ने 75 का स्कोर निकाला और मैच टाई।

ये डीएलएस सिस्टम स्कोर के साथ टाई होने वाला सिर्फ तीसरा टी20 इंटरनेशनल है लेकिन पहला ऐसा जिसमें बड़ी टीम शामिल थीं। वैसे डीएलएस सिस्टम या उससे पहले के डीएल सिस्टम का जिक्र आने पर कई मैच के किस्से खूब मशहूर हैं पर एक कम चर्चित लेकिन मजेदार मैच और है जिसमें दक्षिण अफ्रीका की टीम शामिल थी। ये था तो वनडे इंटरनेशनल जो इस सिस्टम से टाई रहा। टाई कैसे हुआ- यही मजेदार बात है। इस टाई ने ऐसा असर डाला कि दक्षिण अफ्रीका इसकी वजह से वर्ल्ड कप से ही बाहर हो गया।

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3 मार्च 2003 का दिन और वर्ल्ड कप का 40 वां मैच- मुकाबले पर दक्षिण अफ्रीका टीम श्रीलंका के विरुद्ध अपने आख़िरी ग्रुप बी मैच में। ऑस्ट्रेलिया के साथ सेमीफाइनल में मुकाबले से 4 साल पहले वर्ल्ड कप से बाहर हुए थे दक्षिण अफ्रीका वाले और तब भी हर किसी ने कहा था वे बदकिस्मत रहे- उसी रिकॉर्ड को बदलने का मौका था 2003 में और सुपर 6 में जगह के लिए श्रीलंका को इस मैच में हराना जरूरी था। कैसे इस मौके को गंवाया- यही स्टोरी है। उनकी ख़राब किस्मत ने न्यूजीलैंड को मौका दे दिया सुपर 6 में खेलने का।

मरवन अटापट्टू के शानदार 124 और चौथे विकेट के लिए अरविंद डी सिल्वा के साथ 152 रन की पार्टनरशिप से श्रीलंका ने 50 ओवर में 268-9 का शानदार स्कोर बनाया।

जीत के लिए 269 रन की जरूरत थी दक्षिण अफ्रीका को। ओपनर ग्रीम स्मिथ और हर्शल गिब्स ने 65 रन की पार्टनरशिप की- स्मिथ 35 रन पर आउट। गैरी कर्स्टन और जाक कैलिस सस्ते में आउट और जब गिब्स 73 रन पर बोल्ड तो मेजबान टीम 149-4 बना चुकी थी।

यहां से कप्तान पोलक और उप-कप्तान बाउचर ने रन-ए-बॉल पार्टनरशिप के साथ रिकवरी की- उनकी नजर स्कोर के साथ-साथ बारिश के मौसम पर भी थी। 6 वें विकेट के लिए दोनों ने 63 रन जोड़कर स्कोर 212-6 कर दिया। मुथैया मुरलीधरन ने पोलक को रन आउट कर जीत की कोशिश को झटका दिया लेकिन लांस क्लूजनर और बाउचर जब स्कोर 45 ओवर में 229-6 तक ले गए तो बारिश ने खेल रोक दिया।

अब शुरू हुई गफलत। जब डकवर्थ-लुईस शीट को देखा तो पता चला कि खिलाड़ी आगे खेलने के लिए न लौटे तो मैच टाई हो जाएगा। बाउचर 45* पर थे। दिखाई दे रहा था कि किसी भी वक्त बारिश शुरू हो जाएगी। मुरलीधरन की एक गेंद पर 6 भी लगाया था स्कोर तेज करने के लिए पर 45वें ओवर की आखिरी गेंद पर रन बनाने में नाकाम रहे और वही इस मैच की आख़िरी गेंद बन गई। एक सिंगल दक्षिण अफ्रीका को जीत दिला देता और वे अगले राउंड में जगह बना लेते ।

अंपायर करीब 35 मिनट बाद पिच पर लौटे और ग्राउंड स्टाफ से कवर हटाने को कहा लेकिन कुछ ही पलों में आसमान से फिर से बूंदा-बांदी शुरू हो गई और मैच ऑफिशियल इसके बाद ग्राउंड पर नहीं आए।

दक्षिण अफ्रीका 1992 के वर्ल्ड कप से बाहर हुआ था तो उसमें भी बारिश ने उन्हें इंग्लैंड के विरुद्ध एक असंभव सी स्थिति में पहुंचा दिया था। यहां भी वे बस एक सबसे ख़ास रन बनाने से चूक गए। डीएल सिस्टम शीट के मुताबिक 229 'पार स्कोर' था- और चूंकि दक्षिण अफ्रीका ने 229 ही बनाए थे इसलिए वे जीते नहीं, मैच टाई हुआ। ये क्रिकेट में 'ब्रेन फेड' की एक शानदार मिसाल है। ये तो बाद में मालूम हुआ कि ऑन-स्ट्राइक बल्लेबाज मार्क बाउचर का मानना था कि डीएल सिस्टम से प्रोटियाज जीत गए हैं और इसलिए उन्होंने विजयी सिंगल रन बनाने के बजाय मैच की आखिरी गेंद को ब्लॉक कर दिया।

बड़ा तमाशा हुआ। डकवर्थ को स्टेटमेंट देना पड़ा। वे बोले- 'शॉन पोलाक (दक्षिण अफ्रीका के कप्तान) और सनथ जयसूर्या (श्रीलंकाई कप्तान) दोनों के पास एक ही स्कोर शीट थी (रन-रेट के साथ) पर सनथ ने इसे सही पढ़ा और शॉन ने नहीं।'

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मैच वैसे टाई हो जाता तो कोई बात नहीं थी- यहां तो मेजबान ने डीएलएस सिस्टम स्कोर को समझने में गलत अनुमान लगाया था और उसी में गड़बड़ कर दी- स्कोर बराबर कर दिया और मैच जीतने वाला रन बनाया ही नहीं। ये इस सिस्टम की शीट की एक ख़ास खूबी है कि ये 'पार स्कोर' बताती है- न कि जीत के लिए जरूरी स्कोर। इसका मतलब है जीत का स्कोर, 1 और रन जोड़कर, खुद तय करती है टीम। जैसे ही विकेट गिरे तो 'पार स्कोर' शीट बदल जाती है- उस दौरान भी कोई गड़बड़ न हो जाए इसलिए अब टीम के किसी स्पोर्ट स्टाफ की भी ड्यूटी होती है कि वह खुद भी गिनती करता रहे और इस सिस्टम में जरूरी स्कोर पर नजर रखे। बाचर के 45* किसी काम नहीं आए और जो सबसे जरूरी रन था, वह मौका मिलने के बावजूद नहीं बनाया।


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