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Cricket History - भारत का इंग्लैंड दौरा 1986, जब युवा चेतन शर्मा ने गेंदबाज़ी से जीता था दिल

अभी लगभग दो सप्ताह ही हुए थे जब भारतीय टीम के तेज गेंदबाज चेतन शर्मा को एशिया कप के फाइनल में आखिरी गेंद पर छक्का लगा था और कहीं ना कहीं इससे ना सिर्फ गेंदबाज को बल्कि पूरे भारतवर्ष को

Shubham Shah
By Shubham Shah February 04, 2021 • 00:14 AM
India tour of England 1986
India tour of England 1986 (Image Source - Google)
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अभी लगभग दो सप्ताह ही हुए थे जब भारतीय टीम के तेज गेंदबाज चेतन शर्मा को एशिया कप के फाइनल में आखिरी गेंद पर छक्का लगा था और कहीं ना कहीं इससे ना सिर्फ गेंदबाज को बल्कि पूरे भारतवर्ष को निराशा हुई थी। लेकिन 3 महीने के अंतराल में चेतन शर्मा ने कुछ ऐसा करिश्मा किया जिससे भारतीय क्रिकेट में चार चांद लगे, साथ ही यह गेंदबाज कई दिनों तक अख़बार, रेडियो और टेलीवीजन में चर्चा का केंद्र रहा।  

18 अप्रैल 1986 को शारजाह के मैदान पर जावेद मियांदाद ने छक्का जड़ा और आखिरी गेंद पर उस करारे शॉट ने सभी भारतीय क्रिकेट फैंस को झकझोर कर रख दिया था। हालांकि अब भारत को कपिल देव की कप्तानी में आगे इंग्लैंड के खिलाफ एक बड़े दौरे के लिए अग्रसर होना था। चेतन शर्मा के नाम पर भी मुहर लगी और उन्होंने इंग्लैंड उड़ान भरने से पहले चंडीगढ़ में अपने कोच देश प्रेम आजाद के साथ अपनी गेंदबाजी पर जमकर पसीना बहाया।

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तब चेतन शर्मा सिर्फ 20 साल के थे और उनके गेंदबाजी कोच प्रेम आजाद ने उनके साथ इंग्लैंड जाने का फैसला किया। 

साल था 1986 का और भारतीय टीम इंग्लैंड की सरजमीं पर अपना 11वां टेस्ट दौरा करने जा रही थी। इससे पहले भारत ने 10 बार इंग्लैंड का रुख किया था जहां उन्हें मात्र एक बार साल 1971 में अजित वाडेकर की कप्तानी में 1-0 से सीरीज में फतेह हासिल हुई थी। 

इंग्लैंड के खिलाफ साल 1986 की यह टेस्ट सीरीज भारतीय टेस्ट क्रिकेट इतिहास के यादगार और ऐतिहासिक दौरे में से एक रहा है। कारण था की भारत ने इस बार बल्लेबाजों से ज्यादा गेंदबाजों के दम पर इंग्लैंड को उन्हीं की सरजमीं पर धूल चटाने का कारनामा किया था। उस सीरीज के टॉप-5 गेंदबाजों की बात करे तो उनमें 3 भारतीय शामिल थे और जिस गेंदबाज ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं थी वो है वर्तमान में बीसीसीआई के मुख्य चयनकर्ता - चेतन शर्मा। 

सीरीज शुरू होने से पहले इंग्लैंड में मूसलाधार बारिश हो रही थी लेकिन बदलते मौसम के साथ भारतीय टीम के तेवर ने भी करवट ली। अभ्यास मैचों में भारतीय गेंदबाज हावी रहे और चेतन शर्मा सबसे प्रभावशाली गेंदबाज बनकर उभरे। उनकी लहराती गेंदों ने अंग्रेजों के लिए खतरे की घंटी बजा दी थी।

इन सब के बावजूद भारत और इंग्लैंड के बीच पिछली बार जितने भी मुकाबलें हुए थे उसमें इंग्लैंड का पलड़ा भारी रहा था। बहरहाल, भारतीय क्रिकेट टीम को अब उन सभी कड़वी यादों से पीछा छुड़ाने का वक्त था।

1986 की इस सीरीज से पहले साल 1984 की सर्दियों में अंग्रेजों ने भारत का दौरा किया था और तब सुनील गावस्कर की कप्तानी में 5 मैचों की टेस्ट सीरीज के दौरान मेहमानों ने 2-1 से बाजी मारी थी।

सरजमीं इंग्लैंड की थी इसलिए तेज गेंदबाजों को तरजीह दी गई। 1984 की घरेलू सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट चटकाने वाले लेग स्पिनर एल शिवरामकृष्णन को टीम में जगह नहीं मिली। भारत की रणनीति साफ थी कि कपिल देव और रोजर बिन्नी शुरू के मुख्य गेंदबाज होंगे और पहले बदलाव के तौर पर चेतन शर्मा कमान संभालेंगे।

चेतन शर्मा ने इसके बारे में बात करते हुए एक बयान में कहा,"मुझे नई गेंद चाहिए थी लेकिन मैं तब युवा था और कप्तान ने मुझे अच्छे से इस्तेमाल किया। हमारे पास ऐसे बल्लेबाज तो थे जो 275-300 तक का स्कोर बना लेते लेकिन हमारी गेंदबाजी कमजोर थी। लेकिन इस बार कपिल देव अकेले नहीं थे।"


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