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Cricket History - भारत का इंग्लैंड दौरा 1986, जब युवा चेतन शर्मा ने गेंदबाज़ी से जीता था दिल

अभी लगभग दो सप्ताह ही हुए थे जब भारतीय टीम के तेज गेंदबाज चेतन शर्मा को एशिया कप के फाइनल में आखिरी गेंद पर छक्का लगा था और कहीं ना कहीं इससे ना सिर्फ गेंदबाज को बल्कि पूरे भारतवर्ष को

Shubham Shah
By Shubham Shah February 04, 2021 • 00:14 AM
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पहला टेस्ट, लॉर्ड्स(लंदन):5 जून-10जून 1986

5 जून, 1986 को लॉर्ड्स के मैदान पर पहला टेस्ट मैच शुरू हुआ। भारतीय कप्तान कपिल देव ने टॉस जीता और गेंदबाजी का फैसला किया। इंग्लैंड ने सधी हुई शुरुआत की और पहले विकेट के लिए 66 रन जोड़े। लेकिन मनिंदर सिंह ने इंग्लैंड के ओपनिंग बल्लेबाज टिम रॉबिन्सन को मोहम्मद अजहरुद्दीन के हाथों कैच आउट कराकर मेजबान टीम को पहला झटका दिया। उसके बाद चेतन शर्मा की गेंद पर कप्तान डेविड गावर भी 18 रन के निजी स्कोर पर विकेट के पीछे लपके गए। देखते-देखते इंग्लैंड टीम के 4 बल्लेबाज 98 पर ही ढह गए।

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भारत को पांचवे विकेट के लिए एक लंबा इंतजार करना पड़ा। दूसरे छोर से इंग्लिश ओपनर ग्राहम गूच ने शानदार शतक लगाते हुए 114 रनों की पारी खेली। लेकिन चेतन शर्मा ने एक बेजोड़ गेंद डाली और गूच बोल्ड हुए। आखिरकार भारतीय टीम को 245 के स्कोर पर पांचवी सफलता। उसके बाद डेरेक प्रिंगले(63) को छोड़कर कोई भी बल्लेबाजा टिककर नहीं खेल पाया और इंग्लैंड की पहली पारी 294 रनों पर समाप्त हुई। पहली पारी में चेतन शर्मा ने 5 विकेट झटके।

भारतीय बल्लेबाजों ने इंग्लैंड का मुहतोड़ जवाब दिया और पहली पारी में 341 रन बनाते हुए 47 रनों की बढ़त ली। भारत की ओर से दिलीप वेंगसरकर ने 126 रनों की लाजवाब पारी खेली और मोहिंदर अमरनाथ ने भी 241 गेंदों में 64 रन बनाते हुए अंग्रेजों को खूब परेशान किया।

हालांकि तीसरे दिन का खेल खत्म होने के बाद मैच ड्रॉ की तरफ जा रहा था। लेकिन चौथे दिन कप्तान कपिल देव और बाएं हाथ के स्पिनर मनिंदर सिंह की घातक गेंदबाजी के आगे अंग्रेजों ने घुटने टेक दिए। कपिल के खाते में 4 तो मनिंदर सिंह 3 विकेट हासिल करने में कामयाब रहे।

भारत को 134 रनों का लक्ष्य मिला। दूसरी पारी में भी दिलीप वेंगसरकर भारत के लिए सबसे कामयाब बल्लेबाज रहे और उनके बल्ले से 33 रन  निकले। अन्य बल्लेबाजों की सूझबूझ से भारत को 5 विकेटों की शानदार जीत मिली।

भारत के लिए मैच की दोनों पारियों में गेंद और बल्ले से कमाल का प्रदर्शन करने वाले टीम के कप्तान कपिल देव को "मैन ऑफ द मैच" चुना गया।

दूसरे टेस्ट मैच से पहले भारत को बड़ा झटका

लीड्स के मैदान पर दूसरे टेस्ट से पहले भारत के लिए बुरी खबर आई। लॉर्ड्स के मैदान पर पहले टेस्ट मैच में अपनी धारदार गेंदबाजी से 6 विकेट चटकाने वाले चेतन शर्मा को पीठ में चोट के कारण बाहर होना पड़ा। उनकी जगह टीम मैनेजमेंट ने मदन लाल को शामिल किया।

19 जून, 1986 को लीड्स के मैदान पर दूसरा टेस्ट मुकाबला शुरू हुआ। भारतीय टीम टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी कर रही थी और टीम की पहली पारी 272 रनों पर सिमट गई। भारत की तरफ से दिलीप वेंगसरकर ने सर्वाधिक 61 रन बनाए।

इंग्लैंड की पहली पारी में भारतीय गेंदबाज आग उगल रहे थे। रोजर बिन्नी के 5 विकेट और मदन लाल के 3 विकेट ने अंग्रेजों को तहस-नहस कर दिया और उनकी पूरी टीम 102 रनों पर ढ़ेर हो गई। भारत को 170 रनों की विशाल बढ़त मिली।

दूसरी पारी में भारत ने अपने सभी विकेट खोकर 237 रन बनाए। भारत के पांच विकेट 70 रन पर गिर गए, ऐसे में दिलीप वेंगसरकर ने एक बार फिर बीच मंझधार से टीम को बाहर निकाला। वेंगसरकर शानदार शतक जमाते हुए 102 रन बनाकर नॉटआउट रहे। दूसरी तरफ से सभी बल्लेबाज पवेलियन आते-जाते रहे। इंग्लैंड को अब इस 3 मैचों की सीरीज में जिंदा रहने के लिए 408 रनों की दरकार थी।

दूसरी पारी में भारतीय गेंदबाजों को खेल पाना इंग्लैंड के बल्लेबाजों लिए काफी कठिन रहा। स्पिनर मनिंदर सिंह ने 4 विकेट चटकाए जिससे अंग्रेज बैकफुट पर चले गए। रही सही कसर कपिल देव और रोजर बिन्नी ने 2-2 विकेट लेकर पूरे कर दीए। रवि शास्त्री के खाते में एक विकेट गया। भारत ने 279 रनों के विशाल अंतर से मेजबानों को धूल चटाया और सीरीज भी 2-0 से अपने नाम की। 23 जून 1986 का ऐतिहासिक दिन जब भारत ने इंग्लैंड की सरजमी पर 2 टेस्ट मैच जीतने के सपने को साकार किया।



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