2007 वर्ल्ड कप में एक टीम के कप्तान ने कहा था,मैं सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी देखने के लिए उनकी कैच छोड़ दूंगा
क्रिकेट मैदान पर अपने अद्भुत प्रदर्शन से लेकर जमीन से जुड़े होने की अपनी छवि के साथ सचिन तेंदुलकर ने दुनिया भर में प्रशंसकों का अथाह प्यार और सराहना हासिल की है। सचिन का बल्ला एक जादू की छड़ी जैसा
क्रिकेट मैदान पर अपने अद्भुत प्रदर्शन से लेकर जमीन से जुड़े होने की अपनी छवि के साथ सचिन तेंदुलकर ने दुनिया भर में प्रशंसकों का अथाह प्यार और सराहना हासिल की है। सचिन का बल्ला एक जादू की छड़ी जैसा रहा है जिसने प्रशंसकों को मंत्रमुग्ध कर उन्हें कट्टर समर्थक बनने के लिए मजबूर किया है। ऐसे ही प्रशंसकों में से एक हैं महान गायिका लता मंगेशकर।
लता मंगेशकर बड़ी क्रिकेट फैन हैं और उन्होंने खेल के प्रति अपने प्यार को कई बार प्रदर्शित किया है। उनका खेल के प्रति प्यार ऐसा है कि उन्होंने 1983 के वर्ल्ड कप हीरोज को सम्मानित करने के लिए कंसर्ट के जरिये धन जुटाया था।
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मंगेशकर ,2001 में खुद भारत रत्न अवार्डी रही हैं, अपनी खुशी और उत्साह नहीं छुपा सकीं , जब उन्हें यह खबर मिली कि सचिन को भारत रत्न दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, "मैं तीन वर्षों से कह रही थी कि सचिन भारत रत्न के हकदार हैं। सरकार को सचिन को भारत रत्न देने का इससे अच्छा मौका नहीं मिल सकता।"
सचिन मुम्बई में अपना 200वां और आखिरी टेस्ट खेलकर पवेलियन से बाहर आ रहे थे कि सरकार ने उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा की। इसके बाद सचिन देश के इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान को पाने वाले पहले खिलाड़ी और सबसे ज्यादा युवा बन गए। उन्होंने स्वर्गीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी को पीछे छोड़ा।
लता मंगेशकर ने कहा, "अभी सचिन के प्रति लोगों की भावनाएं अपने चरम पर हैं। शुक्रवार को सचिन आखिरी बार मैदान से बाहर निकले। पूरा देश उन्हें देखने के लिए रो पड़ा। मैंने ऐसी चीज पहले कभी नहीं देखी थी। मैं बहुत खुश हूं कि सचिन को भारत रत्न मिल गया है। अभी वह युवा हैं और इस सम्मान का आनंद उठाने के लिए उनके पास कई वर्ष हैं।"
उन्होंने सचिन के 2013 में क्रिकेट से संन्यास लेने पर निराशा जताई थी।
जब सचिन के प्रशंसकों की बात होगी तो कोई सुधीर कुमार चौधरी को कैसे भूल सकता है। वह 2003 में बिहार से साइकिल चलाते हुए उनसे मिलने पहुंचे थे और उसके बाद सचिन ने देश में भारत के हर मैच में उन्हें टिकट दिलाने में मदद की थी। हर मैच में तिरंगे के रंग में अपने शरीर को पेंट कराने के बाद वह 2002 से भारत के हर मैच में उतरते रहे थे। उनके आदर्श का नाम उनके शरीर से जैसे चस्पा हो गया था।
2011 वर्ल्ड कप के दौरान सुधीर ने अपने सिर पर वर्ल्ड कप की मिनी रेप्लिका पहनी थी। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खिताब जीतने के बाद सचिन ने उन्हें ड्रेसिंग रूम में जश्न में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। सुधीर को वर्ल्ड कप ट्रॉफी हाथ में उठाने का मौका भी मिला था।
लियोनल कैन, बरमूडा के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर, ने भी अपना नाम दुनिया भर में सचिन के प्रशंसकों की लिस्ट में शुमार करा लिया।
जब बरमूडा 2007 के वर्ल्ड कप में खेला तो उन्हें भारत के ग्रुप में रखा गया था। बरमूडा के कप्तान ने तब कहा था यदि कोई कैच कैन की दिशा में गया तो वह सचिन को बल्लेबाजी करता देखने के लिये कैच टपका देंगे।
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क्रिकेट से संन्यास लेने के बावजूद सचिन कई युवा क्रिकेटरों और दुनिया भर में प्रशंसकों के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं। हम सचिन का 50वां जन्मदिन (24 अप्रैल) मनाने जा रहे हैं। यह स्पष्ट है कि वर्षों से उनके प्रशंसक केवल बढ़े हैं और क्रिकेट तथा भारतीय संस्कृति पर उनका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक महसूस किया जाएगा।