2011 वनडे वर्ल्ड कप को लीजेंड सचिन तेंदुलकर के लिए प्रतिष्ठा पाने का आखिरी मौका माना गया था।सचिन ने भारत की इंग्लैंड में 1983 की वर्ल्ड कप जीत को टीवी पर एक बच्चे के रूप में देखा था और जब भारत और पाकिस्तान ने 1987 में वर्ल्ड कप की संयुक्त रूप से मेजबानी की तो वह बॉल ब्वाय की भूमिका में थे। एक खिलाड़ी के रूप में वह 1992 से हर वर्ल्ड कप में भारतीय टीम का हिस्सा थे लेकिन वर्ल्ड कप उनसे दूर ही रहा।
वह 2003 में दक्षिण अफ्रीका में हुए वर्ल्ड कप में ट्रॉफी पर हाथ लगाने के करीब आ गए थे। जहां वह 11 मैचों में 673 रन के साथ शीर्ष स्कोरर थे और प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बने थे। हालांकि भारत फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गया था।
लेकिन 2011 में भारत ने श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ संयुक्त रूप से वर्ल्ड कप आयोजित किया। इस बात की प्रबल संभावना थी कि भारत सचिन के लिए ट्रॉफी जीते जो वर्ल्ड टूर्नामेंट के लिए उनका आखिरी मौका होगा।