यह एक सच्ची घटना है — एक ऐसा किस्सा जिसमें हत्या हुई थी, और उस अपराध के लिए एक क्रिकेटर को फांसी की सज़ा मिली। वह इतिहास का एकमात्र टेस्ट क्रिकेटर था जिसकी मौत फांसी पर हुई। यह कहानी जितनी चौंकाने वाली है, उतनी ही दिल को छू लेने वाली भी — क्योंकि इसके ज़रिए यह महसूस होता है कि वह किस कदर अभाग्यशाली थे।
ये थे वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज लेस्ली हिल्टन (Leslie Hylton) जो 1934-35 एवं 1939 की दो सीरीज में वेस्टइंडीज के लिए कुल 6 टेस्ट खेले (रिकॉर्ड : 26.12 औसत से 16 विकेट)। उन पर अपनी ही पत्नी के मर्डर का आरोप लगा, कोर्ट में बच नहीं पाए और उन्हें फांसी की सजा सुनाई। 1955 में किंग्स्टन में उन्हें फांसी दी गई और मर्डर के लिए फांसी की सजा पाने वाले अकेले क्रिकेटर हैं। ये किस्सा यूं तो यहीं खत्म हो जाता है पर जब इसके अंदर झांकें तो पता चलता है कि किस्मत ने उनके नाम क्या लिखा था?
क्रिकेट ने बॉब वूल्मर की रहस्यमय मौत, बेन स्टोक्स के शराब के नशे में झगड़े और कई मैच फिक्सिंग तूफान देखे पर कोई भी हिल्टन की फांसी की सजा से मुकाबला नहीं करता।29 मार्च 1905 को एक गरीब परिवार में जन्म, कुछ याद नहीं रहा कि पिता कैसे थे क्योंकि 3 साल के थे तो वे नहीं रहे, मां भी चली गई जब 13 साल के थे और ऐसे में बड़ी बहन ने पाला। पढ़ाई छूट गई और छोटी उम्र में ही एक दर्जी की दुकान पर नौकरी और उसके बाद डॉक पर मजदूर बन गए। फुर्सत में क्रिकेट खेलते थे और जमैका टीम में आ गए ऑलराउंडर के तौर पर और 1926 से 1939 तक कुल 40 फर्स्ट क्लास मैच खेले।