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वेस्टइंडीज का वर्ल्ड कप का सपना तोड़ने वाले लोगन वैन बीक, जिनके दादा वेस्टइंडीज-न्यूजीलैंड दोनों के लिए खेले 

आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले जिस टीम को सबसे ज्यादा चर्चा मिल रही है वह वेस्टइंडीज है- वर्ल्ड कप में हिस्सा न लेने के लिए। उनकी क्वालीफाई न करने की नाकामयाबी के लिए जानकार अलग-अलग वजह बता

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti August 16, 2023 • 12:57 PM
 Logan Van Beek’s grandfather Sammy Guillen featured in five Tests for West Indies & three for New Z
Logan Van Beek’s grandfather Sammy Guillen featured in five Tests for West Indies & three for New Z (Image Source: Google)
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आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले जिस टीम को सबसे ज्यादा चर्चा मिल रही है वह वेस्टइंडीज है- वर्ल्ड कप में हिस्सा न लेने के लिए। उनकी क्वालीफाई न करने की नाकामयाबी के लिए जानकार अलग-अलग वजह बता रहे हैं पर कैरिबियन यूथ इसके लिए नीदरलैंड के क्रिकेटर लोगान वैन बीक (Logan Van Beek)a को सबसे ज्यादा जिम्मेदार मानता है। ऐसा क्यों- वह बीक ही थे जो क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में पहले तो अपनी टीम को, वेस्टइंडीज के विरुद्ध मैच में, 374 के स्कोर तक ले गए जिस से मैच सुपर ओवर में  पहुंचा और वहां बीक के 2 विकेट और जेसन होल्डर के ओवर में 4,6,4,6,6,4 के शॉट जीत तक ले गए नीदरलैंड को- ऐसी जीत जिसे हमेशा ख़ास चर्चा मिलेगी।  

कौन हैं ये वैन बीक? इस सवाल के जवाब में मजेदार बात ये है कि वैन बीक उन सैमी गुइलिन के पोते हैं जिन्होंने वेस्टइंडीज और न्यूजीलैंड दोनों के लिए टेस्ट क्रिकेट खेला। वैन का जन्म क्राइस्टचर्च में हुआ, वहीं शुरू में क्रिकेट सीखा लेकिन उनके पास डच पासपोर्ट है- पिता की वजह से जो डच हैं। वैन, शुरू से न्यूजीलैंड के क्रिकेटर के तौर पर पहचाने गए- 2010 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में भी उनके लिए ही खेले थे। एक ही परिवार में कई देशों से जुड़ा नाता बड़ा मजेदार नजारा पेश करता है।  

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बीक की बदौलत उन के दादा सैमी गुइलिन का नाम चर्चा में आ गया। मशहूर क्रिकेटरों की लिस्ट में उन का नाम नहीं लिया जाता पर वे भी कमाल थे। 1956 में, उन्होंने ही आख़िरी विकेट लेकर वेस्टइंडीज के विरुद्ध न्यूजीलैंड को पहली टेस्ट जीत दिलाई थी। अब 2023 में, उन के पोते ने वेस्टइंडीज के विरुद्ध नीदरलैंड की पहली जीत में आख़िरी विकेट लिया।

सैमी गुइलिन कीपर-बल्लेबाज थे- 1951-52 में वेस्टइंडीज के लिए 5 टेस्ट खेले (सभी ऑस्ट्रेलिया में) और उसके बाद ही बस गए न्यूजीलैंड में। 1956 में उनके लिए 3 टेस्ट खेले और मजेदार बात ये है कि सभी अपनी पिछली टीम, वेस्ट इंडीज के विरुद्ध। सैमी, दो देशों के लिए टेस्ट खेलने वाले गिने-चुने खिलाड़ियों में से एक हैं। 

एक और मजेदार स्टोरी ये है कि जब वे न्यूजीलैंड के लिए वेस्टइंडीज के विरुद्ध टेस्ट खेले तब तक 4 साल के क्वालीफाइंग दौर वाली कंडीशन को पूरा नहीं किया था। वेस्टइंडीज टीम को ये बात मालूम थी पर उन्होंने कोई आपत्ति नहीं की। यहां तक कि वेस्टइंडीज टीम ने, अपने इस पुराने क्रिकेटर को, अपनी कैप उतारकर 3 चीयर किया। गुइलिन ने अल्फ वेलेंटाइन को स्टंप कर न्यूजीलैंड को पहली टेस्ट जीत दिलाई थी- वे 26 साल (45 मैच) से इस का इंतजार कर रहे थे। इस टेस्ट के फौरन बाद वे रिटायर हो गए।

गजब का क्रिकेट परिवार है ये। सैमी गुइलिन से देखें तो विक्टर गुइलिन- सैमी के पिता वेस्टइंडीज में एक टेस्ट अंपायर थे, नोएल गुइलिन- सैमी के भाई और क्वींस पार्क ओवल के आउटडोर प्रैक्टिस नेट्स का नाम, उन के नाम पर है, जेफरी गुइलिन- नोएल के बेटे जो 1930 के दशक में क्रिकेट खेले पर मशहूर हुए रियल एस्टेट व्यापार में, चार्ल्स गुइलिन- भूतपूर्व क्रिकेटर जो ज्यादा मशहूर हुए वेस्टइंडीज के ड्वेन ब्रावो के कोच के तौर पर, जस्टिन गुइलिन- ऑलराउंडर और अब उनके पोते लोगान वैन बीक। सैमी अपनी पत्नी वैल के साथ क्राइस्टचर्च में रहते थे- वे भी क्रिकेटर (कैंटरबरी स्टेट की महिला टीम की विकेटकीपर) थीं। 2004 में सैमी ने अपनी बायोग्राफी 'कैलिप्सो कीवी' लिखी।

24 अप्रैल 2011 को कॉलिन स्नोडेन की मौत पर, सैमी गुइलिन न्यूजीलैंड के सबसे बड़ी उम्र के जीवित टेस्ट क्रिकेटर बन गए थे और वेस्टइंडीज के दूसरे सबसे बड़ी उम्र के जीवित टेस्ट क्रिकेटर भी थे। 1 मार्च 2013 को क्राइस्टचर्च में उनकी मृत्यु हो गई।

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सैमी गुइलिन की एक और खासियत ये है कि न्यूजीलैंड की नंबर 1 एसोसिएशन फुटबॉल चैंपियनशिप, चैथम कप के फाइनल में भी खेले थे वे और 1954 में वेस्ट एएफसी के लिए फाइनल खेलने का मेडल हासिल किया। क्रिकेट में विकेटकीपर थे और मजे की बात ये है कि फुटबॉल में गोलकीपर।
   


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