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सियालकोट में उस दिन PAK कप्तान इमरान खान ने वह किया जो उनसे पहले किसी कप्तान ने नहीं किया था, वो आखिरी सीरीज थी

Imran Khan: इंटरनेशनल क्रिकेट में ऐसी मिसाल कम नहीं जब सेट बल्लेबाज को अपना बड़ा रिकॉर्ड बनाने का मौका देने के लिए टेस्ट और दर्शकों की चिंता किए बिना, पारी को फिजूल में लंबा खींचा गया। इसके उलट ऐसी मिसाल

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सियालकोट में उस दिन PAK कप्तान इमरान खान ने वह किया जो उनसे पहले किसी कप्तान ने नहीं किया था, वो आखि
सियालकोट में उस दिन PAK कप्तान इमरान खान ने वह किया जो उनसे पहले किसी कप्तान ने नहीं किया था, वो आखि (Image Source: Twitter)
Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
Jan 07, 2025 • 08:57 AM

Imran Khan: इंटरनेशनल क्रिकेट में ऐसी मिसाल कम नहीं जब सेट बल्लेबाज को अपना बड़ा रिकॉर्ड बनाने का मौका देने के लिए टेस्ट और दर्शकों की चिंता किए बिना, पारी को फिजूल में लंबा खींचा गया। इसके उलट ऐसी मिसाल भी हैं जब कप्तान ने बल्लेबाज के बड़े रिकॉर्ड की चिंता न कर, टेस्ट की जरूरत को देखा। पिछले दिनों, श्रीलंका के कामिंडू मेंडिस, न्यूजीलैंड के विरुद्ध गॉल में दूसरे टेस्ट में 182* पर थे यानि कि अपना पहला 200 बनाने के बहुत करीब पर कप्तान धनंजय डि सिल्वा ने पारी समाप्त घोषित कर दी।

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
January 07, 2025 • 08:57 AM

आम तौर पर जब भी किसी कप्तान ने ऐसा किया तो न सिर्फ उस खिलाड़ी के गुस्से और उसे चाहने वालों की नाराजगी को भी झेला। यही तो हुआ था जब 194* पर थे सचिन तेंदुलकर 2004 में मुल्तान में पाकिस्तान के विरुद्ध और राहुल द्रविड़ ने पारी घोषित कर दी। द्रविड़ दिन का खेल खत्म होने से पहले किसी विकेट की तलाश में थे। तेंदुलकर बड़े नाराज रहे द्रविड़ के इस फैसले से और कई जगह इसका जिक्र किया है। खैर ये किस्सा एक अलग स्टोरी है। ऐसी मिसाल भी हैं जब खुद कप्तान ने अपने रिकॉर्ड की चिंता नहीं की। 182* पर थे सुनील गावस्कर 1978 में कोलकाता में वेस्टइंडीज के विरुद्ध और टेस्ट जीतने की चाह में अपने 200 तक नहीं रुके और पारी समाप्त घोषित कर दी। 

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इसी संदर्भ में एक क्लासिक मिसाल और भी है। उसके लिए सीधे श्रीलंका के पाकिस्तान टूर में सियालकोट में दिसंबर 1991 में खेले टेस्ट पर चलते हैं। श्रीलंका के कप्तान अरविंद डि सिल्वा ने टॉस जीत कर बल्लेबाजी को चुना पर टीम 270 रन ही बना पाई- सनथ जयसूर्या 77 और हसन तिलकरत्ने 49 के स्कोर इसमें सबसे ख़ास थे जबकि वकार यूनिस ने 5 विकेट लिए। पाकिस्तान ने इसका जवाब 423/5 पारी समाप्त घोषित से दिया। रमीज राजा ने 98 और सलीम मालिक ने 101 रन बनाकर पारी को मजबूती दी पर स्कोर एकदम बढ़ाने का काम कप्तान इमरान खान ने किया और 189 गेंद में 9 चौके और 3 छक्के के साथ 93* बनाए। उनके साथ युवा वसीम अकरम क्रीज पर थे और ये दोनों 6वें विकेट की पार्टनरशिप में 58 रन जोड़ चुके थे। 

पहले 3 दिन की साधारण बल्लेबाजी के बाद इमरान की बदौलत, चौथे दिन, स्कोरिंग में कुछ तेजी आई थी और बल्लेबाजों में सबसे तेज स्ट्राइक रेट इमरान का ही था। इमरान की नजर सिर्फ पहली पारी की बढ़त पर नहीं था- वे टेस्ट को जीत की तरफ मोड़ना चाहते थे। इसलिए जब पाकिस्तान की टीम 153 रन से आगे थी तो इमरान ने वह फैसला लिया जिसकी किसी ने उम्मीद भी नहीं की थी। इमरान ने उस समय पारी समाप्त घोषित कर दी जब वे खुद 93* पर थे। नोट कीजिए- खुद कप्तान थे पर अपने 100 का लालच नहीं किया। 

ये बात अलग है कि टेस्ट आखिर में ड्रा रहा पर कप्तान इमरान खान ने अपनी आखिरी टेस्ट सीरीज में एक अनोखी मिसाल कायम की। पाकिस्तान टीम के कप्तान ऐसे नजरिए के लिए मशहूर नहीं थे। इमरान खान ने इसके बाद जल्दी ही टेस्ट खेलना छोड़ दिया और वर्ल्ड कप जीतने के बाद इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं खेले। उनके टेस्ट रिकॉर्ड में 6 स्कोर हैं 100 के पर ये उस दिन आसानी से 7 हो सकते थे। तब टेस्ट इतिहास में ये अकेली ऐसी मिसाल थी जब किसी कप्तान ने अपने नाइनटी (90) वाले स्कोर पर पारी घोषित कर दी।

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- चरनपाल सिंह सोबती
 

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