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कश्मीर की पहली अंतरराष्ट्रीय व्हीलचेयर बास्केटबॉल खिलाड़ी इशरत अख्तर अब मोटिवेशनल स्पीकर

Ishrat Akhtar उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले की रहने वाली इशरत अख्तर ने अपनी शारीरिक कमजोरी को आशीर्वाद के रूप में स्वीकार किया है, जो कई अन्य लोगों के लिए एक आदर्श बनकर उभरी है। अख्तर ने कश्मीर के पहले अंतरराष्ट्रीय...

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IANS News
By IANS News September 28, 2022 • 11:11 AM
कश्मीर की पहली अंतरराष्ट्रीय व्हीलचेयर बास्केटबॉल खिलाड़ी इशरत अख्तर अब मोटिवेशनल स्पीकर
कश्मीर की पहली अंतरराष्ट्रीय व्हीलचेयर बास्केटबॉल खिलाड़ी इशरत अख्तर अब मोटिवेशनल स्पीकर (Image Source: Google)

Ishrat Akhtar उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले की रहने वाली इशरत अख्तर ने अपनी शारीरिक कमजोरी को आशीर्वाद के रूप में स्वीकार किया है, जो कई अन्य लोगों के लिए एक आदर्श बनकर उभरी है।

अख्तर ने कश्मीर के पहले अंतरराष्ट्रीय व्हीलचेयर बास्केटबॉल खिलाड़ी होने का सम्मान जीता है। वह अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर कई बार देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं और अब एक मोटिवेशनल स्पीकर भी बन चुकी हैं। उनके शब्द विशेष रूप से उन लोगों की मदद करते हैं जो शारीरिक रूप से अक्षम हैं।

मीडिया से बात करते हुए इशरत अख्तर का कहना है कि 24 अगस्त 2016 को उनका एक्सीडेंट हो गया था जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी। इसके बाद वह स्थायी रूप से विकलांग हो गई और उसे अपना शेष जीवन व्हीलचेयर में बिताने के लिए मजबूर होना पड़ा। वह पहले एक स्वस्थ गांव की लड़की थी जब तक कि वह गलती से अपने घर की बालकनी से गिर नहीं गई।

इस हादसे के बाद अख्तर को काफी मुश्किलों से गुजरना पड़ा जिस दौरान उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि वह फिर से अपने पैरों पर खड़ी हो पाएंगी। इस दौरान उन्हें मानसिक तनाव भी हुआ, लेकिन साहस और आजादी ने उन्हें ऐसा मौका दिया कि आज वह सफल लोगों की सूची में एक हैं।

अख्तर का कहना है कि एक दिन वह श्रीनगर के इंडोर स्टेडियम में गई, जहां व्हीलचेयर बास्केटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया कैंप का आयोजन किया जा रहा था, और राष्ट्रीय स्तर के लिए चुना गया था।

अख्तर का कहना है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह व्हीलचेयर बास्केटबॉल खिलाड़ी बन सकती हैं और अपने देश का प्रतिनिधित्व कर सकती हैं। चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए उन्हें अलग-अलग राज्यों में जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के लिए उन्हें हर दिन बारामूला से श्रीनगर जाना पड़ता था क्योंकि बारामूला में बुनियादी ढांचे की कमी के कारण कई समस्याएं थीं। यह उनके लिए एक कठिन दौर था, लेकिन इससे उबरने के बाद ही उन्हें अपने माता-पिता का पूरा सहयोग मिला। उनके माता-पिता ने हमेशा उन्हें प्रोत्साहित किया और उन्हें कभी भी निराश नहीं होने दिया।

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अख्तर ने कहा कि दुनिया में कोई भी काम मुश्किल नहीं होता और अगर दिल में लगन हो तो इंसान दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकता है। वह कहती हैं कि वह भविष्य में और अधिक व्हीलचेयर बास्केटबॉल चैंपियनशिप में भाग लेना चाहती हैं और न केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि पूरे भारत को गौरवान्वित करना चाहती हैं।


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