LET Order: भारत में गोल्फ धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा है। दीक्षा डागर का नाम उन खिलाड़ियों में लिया जाता है जिन्होंने गोल्फ को देश में एक सशक्त खेल के रूप में बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है। उनकी भूमिका इसलिए भी अहम है क्योंकि शारीरिक अक्षमता के बावजूद उन्होंने उस खेल में बड़ी सफलता हासिल की है जिसे देश में आज भी शीर्ष खेलों की सूची में शामिल होने का इंतजार है।
दीक्षा डागर का जन्म 14 दिसंबर 2000 को झज्जर, हरियाणा में हुआ था। दीक्षा बचपन से ही सुनने में कमजोर रही हैं। गोल्फ दीक्षा को विरासत में मिली है। उनके पिता नीरज डागर भी गोल्फर हैं। उन्होंने ही दीक्षा का परिचय गोल्फ से कराया था। 6 साल की उम्र में उन्होंने गोल्फ खेलना शुरू कर दिया था। पिता गोल्फर थे, इसलिए खेल की तकनीक बेटी को जल्द समझ आ गई और इसका असर 2011 में दिखा।
2011 में 11 साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला राष्ट्रीय जूनियर चैंपियनशिप जीता। इसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2016 में इंग्लैंड के यॉर्कशायर में आयोजित विश्व जूनियर गोल्फ चैंपियनशिप में उन्होंने एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता। इन दो पदकों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें पहचान दिलायी।