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पुजारा ने पिंक और लाल गेंद का अंतर बताया

Cheteshwar Pujara: ऑस्‍ट्रेलिया दौरे पर पर्थ टेस्‍ट में 295 रनों से जीत से शुरुआत करने के बाद भारत अब जल्‍दी ही उस शहर में जाएगा जहां वे पिछली बार दिसंबर 2020 में 36 रनों पर ढेर हो गए थे। भारत यहां एडिलेड में एक बार फ‍िर डे-नाइट टेस्‍ट खेलेगा और चेतेश्‍वर पुजारा का मानना है कि गुलाबी गेंद से जल्‍दी ही सामंजस्‍य बैठाना होगा क्‍योंकि यह थोड़ा अधिक स्किड होती है।

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IANS News
By IANS News December 02, 2024 • 14:08 PM
Cheteshwar Pujara,
Cheteshwar Pujara, (Image Source: IANS)

Cheteshwar Pujara: ऑस्‍ट्रेलिया दौरे पर पर्थ टेस्‍ट में 295 रनों से जीत से शुरुआत करने के बाद भारत अब जल्‍दी ही उस शहर में जाएगा जहां वे पिछली बार दिसंबर 2020 में 36 रनों पर ढेर हो गए थे। भारत यहां एडिलेड में एक बार फ‍िर डे-नाइट टेस्‍ट खेलेगा और चेतेश्‍वर पुजारा का मानना है कि गुलाबी गेंद से जल्‍दी ही सामंजस्‍य बैठाना होगा क्‍योंकि यह थोड़ा अधिक स्किड होती है।

पुजारा ने ईएसपीएनक्रिकइंफो से कहा, "अगर आप लाल गेंद को देखें तो यह अधिक चमकती नहीं है। आप देख सकते हैं कि गुलाबी गेंद लाल गेंद से थोड़ा अधिक चमकती है। इसका कारण यह है कि इस पर कलर के कोट कुछ अधिक होते हैं, इसमें पेंट की कुछ अधिक लेयर होती हैं, जो जल्‍दी से नहीं जाती है। जब आप लाल गेंद का सामना कर रहे हो तो यह आम लेदर गेंद है जो जल्‍दी से पुरानी हो जाती है। जबकि गुलाबी गेंद में अधिक समय तक चमक बनी रहती है।"

उन्होंने कहा, "और क्‍योंकि गुलाबी गेंद पर पेंट की अधिक लेयर होती हैं, तो जब यह पिच पर पड़ती है, सीम पर गिरती है या चमकीले हिस्‍से पर भी गिरती है तो यह थोड़ा अधिक स्किड करती है। तो बल्‍लेबाज़ के तौर पर आपके पास कम समय होता है। आपके पास लाल गेंद खेलने जितना समय नहीं होता है और यही बड़ा अंतर है जिसमें ढलना होगा।"

पांच साल पहले एडिलेड में जब भारत ने 21.2 ओवर में ऑलआउट होकर टेस्‍ट में अपना सबसे कम स्‍कोर बनाया था, तो भारतीय बल्‍लेबाज़ शाम के समय ताश के पत्‍तों की तरह नहीं ढहे थे, जब गुलाबी गेंद को उस समय खेलना अधिक मुश्किल होता है, ख़ासतौर से तेज़ गेंदबाज़ों के ख़‍िलाफ़। पिछले दिन के स्‍कोर एक विकेट पर नौ रन से आगे बढ़ते हुए भारतीय टीम ने दोपहर में बल्‍लेबाज़ी की और अगले एक घंटे के भीतर ही नौ विकेट गंवा दिए थे।

लेकिन शाम के समय जब सूरज ढल जाता है और आसमान में ना तो पूरा उजाला रहता है और ना ही पूरा अंधेरा, उस समय डे-नाइट टेस्‍ट में बल्‍लेबाज़ी करना सबसे मुश्किल होता है।

पांच साल पहले एडिलेड में जब भारत ने 21.2 ओवर में ऑलआउट होकर टेस्‍ट में अपना सबसे कम स्‍कोर बनाया था, तो भारतीय बल्‍लेबाज़ शाम के समय ताश के पत्‍तों की तरह नहीं ढहे थे, जब गुलाबी गेंद को उस समय खेलना अधिक मुश्किल होता है, ख़ासतौर से तेज़ गेंदबाज़ों के ख़‍िलाफ़। पिछले दिन के स्‍कोर एक विकेट पर नौ रन से आगे बढ़ते हुए भारतीय टीम ने दोपहर में बल्‍लेबाज़ी की और अगले एक घंटे के भीतर ही नौ विकेट गंवा दिए थे।

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Article Source: IANS


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