Hangzhou : Men's Javelin Throw Final event (Image Source: IANS)
Javelin Throw Final: किसने सोचा था कि ओलंपिक में भारत जैवलिन थ्रो में एक मजबूत दावेदार होगा। यह एक ऐसा खेल है, जहां भारत कई वर्षों तक संघर्ष करता आया है। लेकिन पहले जूनियर मंच और फिर भारत के लिए ऐतिहासिक टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा के रूप में भारत को पदक का एक मजबूत दावेदार मिला।
यहां से देश भर में जैवलिन की एक ऐसी लहर पैदा हुई कि चंद वर्षों में ही भारत जैवलिन का पावरहाउस बन गया। जैवलिन में ऐसा दबदबा कभी जर्मनी और चेक गणराज्य का हुआ करता था।
'गोल्डन ब्वाय' नीरज चोपड़ा की स्वर्णिम सफलता ने तो अनगिनत भारतीय थ्रोअर्स को प्रेरित किया है, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण किशोर जेना हैं। इस एथलीट ने बेशक नीरज चोपड़ा जितनी सुर्खियां नहीं बटोरी लेकिन कौशल में किशोर जेना भी नीरज से किसी भी पैमाने पर कम नहीं हैं।