भारतीय एथलेटिक्स में पी.टी. उषा को 'उड़न परी' के नाम से जाना जाता है। उन्हें यह उपनाम उनकी बिजली की गति से दौड़ने वाली क्षमता की वजह से मिला था। पी.टी. उषा के बाद जिस महिला धावक ने अपनी दौड़ने की क्षमता से पूरे देश को प्रभावित किया और एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड जीता, वो थीं ज्योतिर्मयी सिकदर। सिकदर को 'नई गोल्डन गर्ल' के नाम से जाना गया।
ज्योतिर्मयी सिकदर का जन्म 11 दिसंबर, 1969 को पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के एक छोटे से गांव देबग्राम में हुआ था। ज्योतिर्मयी को एथलेटिक्स विरासत में मिली थी। उनके पिता, गुरुदास सिकदर, पोल वॉल्टर थे। ज्योतिर्मयी की दौड़ने की क्षमता को उनके पिता ने ही पहचाना था। उन्हें अपने पिता से कड़ा प्रशिक्षण मिला। इसके बाद मेंटर सत्यराम रॉय ने ज्योतिर्मयी की क्षमता को पहचाना और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई।
1992 में ऑल इंडिया ओपन मीट में उनका नेशनल डेब्यू शानदार था। 800मी में शानदार समय निकालते हुए, उन्होंने रजत पदक जीता। 1994 तक, ज्योतिर्मयी ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए। 1500 मीटर में एक नया नेशनल रिकॉर्ड बनाया और नेशनल एथलेटिक्स मीट में स्वर्ण पदक जीता। 1994 के अंतरराष्ट्रीय आईटीसी एथलेटिक्स मीट में 800मी में कांस्य पदक जीता। जकार्ता में 1995 की एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में, उन्होंने 800मी में स्वर्ण पदक जीता। 1997 में, फुकुओका एशियन ट्रैक एंड फील्ड मीट में, उन्होंने 800मी और 1500मी श्रेणी में कांस्य पदक जीता। साथ ही 4x400मी रिले में रजत पदक जीता।