पैरालंपिक तीरंदाजी : कैसे होता है आर्चर का वर्गीकरण?
World No: पैरालंपिक में सभी एथलीटों के लिए वर्गीकरण प्रणाली बनाई गई है। यह एथलीटों के बीच निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। एथलीट पैरालंपिक प्रतियोगिता में भाग लेने से पहले वर्गीकरण प्रक्रिया से गुजरते हैं, जहां उनकी इंपेयरमेंट की प्रकृति के अनुसार उन्हें एक खेल वर्ग आवंटित किया जाता है। यह वर्गीकरण मेडिकल और तकनीकी विशेषज्ञों के एक पैनल द्वारा किया जाता है। इस तरह से खेल में खिलाड़ियों की शारीरिक स्थिति के प्रभाव का मूल्यांकन किया जाता है।
World No: पैरालंपिक में सभी एथलीटों के लिए वर्गीकरण प्रणाली बनाई गई है। यह एथलीटों के बीच निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। एथलीट पैरालंपिक प्रतियोगिता में भाग लेने से पहले वर्गीकरण प्रक्रिया से गुजरते हैं, जहां उनकी इंपेयरमेंट की प्रकृति के अनुसार उन्हें एक खेल वर्ग आवंटित किया जाता है। यह वर्गीकरण मेडिकल और तकनीकी विशेषज्ञों के एक पैनल द्वारा किया जाता है। इस तरह से खेल में खिलाड़ियों की शारीरिक स्थिति के प्रभाव का मूल्यांकन किया जाता है।
हर खेल के खेलने के तरीके के कारण सभी खेलों के लिए एक ही वर्गीकरण प्रणाली नहीं होती है, यही कारण है कि प्रत्येक डिसिप्लिन का अपना एक सिस्टम होता है।
पैरालंपिक वर्गीकरण का उद्देश्य है कि एक ही कैटेगरी में कंपीट करने वाले सभी एथलीटों में एक समान कार्यात्मक क्षमताएं सुनिश्चित की जा सकें। पैरालंपिक वर्गीकरण में आमतौर पर खेल की शुरुआत वाला अक्षर होता है, जैसे स्विमिंग के लिए 'एस' के साथ एक नंबर का इस्तेमाल होगा। यह नंबर जितना कम होता है, विकलांगता उतनी ही अधिक होती है - हालांकि ऐसा हमेशा नहीं होता है।
पैरालंपिक में पैरा आर्चरी एक मुख्य इवेंट है, जिसमें वर्गीकरण की जानकारी नीचे दी गई है।
ओपन क्लास (रिकर्व धनुष) : आर्चर खड़े हुए 70 मीटर की दूरी से 122 सेमी के लक्ष्य पर निशाना साधते हैं। लक्ष्य में 10 कॉन्सन्ट्रिक सर्कल होते हैं, जिनमें सेंटर से बाहर की ओर बढ़ते हुए 10 से 1 अंक का स्कोर होता है।
ओपन क्लास (कमजोर बाहों वाले आर्चर के लिए कंपाउंड धनुष) : इसमें तीरंदाज बैठे हुए 50 मीटर की दूरी से 80 सेमी के पांच-रिंग वाले लक्ष्य पर निशाना साधते हैं।
डब्ल्यू 1 (कम्पाउंड धनुष, 45 पाउंड तक के खिंचाव वजन वाले आर्चर के लिए) : इस कैटेगरी में वह आर्चर खेलते हैं जो क्वाड्रिप्लेजिक होते हैं और उनके पैर, धड़, व एक आर्म में क्षति होती है। ऐसे आर्चर 50 मीटर की दूरी से 10 बैंड वाले 80 सेमी के लक्ष्य पर निशाना साधते हैं।
ओपन क्लास (कमजोर बाहों वाले आर्चर के लिए कंपाउंड धनुष) : इसमें तीरंदाज बैठे हुए 50 मीटर की दूरी से 80 सेमी के पांच-रिंग वाले लक्ष्य पर निशाना साधते हैं।
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Article Source: IANS