एक नजर 1979 वर्ल्ड कप पर

Updated: Sun, Feb 01 2015 01:41 IST

1975 में वर्ल्ड कप के सफल आयोजन के बाद 1979 के वर्ल्ड कप की मेजबानी भी इग्लैंड को ही मिली। वर्ल्ड कप के फॉर्मेट को 1975 की तरह ही रखा गया लेकिन ईस्ट अफ्रीका की जगह इस बार कनाडा की टीम वर्ल्ड कप खेल रही थी। रंगभेद की नीति के कारण 1975 का वर्ल्ड कप खेलने वाली साउथ अफ्रीका की टीम प्रतिबंध के कारण इस वर्ल्ड कप में भी हिस्सा नहीं ले पाई। पहले वर्ल्ड कप में चैंपियन बनी वेस्टइंडीज की टीम इस वर्ल्ड कप में खिताब की सबसे बड़ी दावेदार मानी जा रही थी। वेस्टइंडीज ग्रुप बी में भारत,न्यूजीलैंड,श्रीलंका के साथ थी जबकि ग्रुप में ऑस्ट्रेलिया,पाकिस्तान,इंग्लैंड और कनाडा की टीम शामिल थी

इस वर्ल्ड कप की शुरूआत भारत और वेस्टइंडीज के मुकाबले के साथ हुई लेकिन भारत को वेस्टइंडीज के हाथों 9 विकेट की करारी हार का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा श्रीलंका के खिलाफ दूसरा मैच बारिश के कारण रद्द हो गया था जबकि आखिरी मुकाबले में वेस्टइंडीज ने न्यूजीलैंड को 32 रन से हरा दिया था। भारत को लीग राउंड के अपने तीनों मैचों में हार का मुंह देखना पड़ा था। ग्रुप बी में से वेस्टइंडीज और न्यूजीलैंड ने सेमीफाइनल में प्रवेश किया था।  

1975 के वर्ल्ड कप में फाइनल तक का सफर तय करने वाली ऑस्ट्रेलिया की टीम इस बार पूरी नई टीम के साथ वर्ल्ड कप खेल रही थी जिसका कारण था टीम की कई बड़े खिलाड़ियों का कैरी पैकर्स वर्ल्ड सीरीज के साथ करार कर लिया था और ऑस्ट्रेलियन टीम को इसका बड़ा खमियाजा भुगतना पड़ा । ऑस्ट्रेलिया इस वर्ल्ड कप में केवल एक ही मैच जीत पाई थी वह भी पहली बार वर्ल्ड कप खेल रही कनाडा के खिलाफ। ग्रुप ए में इंग्लैंड ने सारे मैच जीतकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया था जबकि पाकिस्तान को अपने आखिरी लीग मैच में इंग्लैंड के हाथों 14 रन की हार मिली थी। लेकिन दो जीत के साथ पाकिस्तान ने सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली थी।

पहला सेमीफाइनल वेस्टइंडीज और पाकिस्तान के बीच हुआ जिसमें वेस्टइंडीज ने 43 रन से जीत दर्ज कर लगातार दूसरी बार वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाई वहीं इंग्लैंड के हाथों एक करीबी मुकाबले में न्यूजीलैंड को 9 रनों से हार का सामना करना पड़ा । इसके साथ मेजबान इंग्लैड और उस समय की मौजूदा चैंपियन वेस्टइंडीज की टीम फाइनल में एंट्री कर चुकी थी। 

23 जून 1979 का दिन था और लॉर्ड्स के एतेहासिक मैदान में क्लाइव लॉयड की कप्तानी वाली वेस्टइंडीज टीम और माइक बेयरेल की कप्तानी वाली इंग्लैंड की टीम आमनें सामनें थी। इंग्लैंड ने टॉस जीता और वेस्टइंडीज को बल्लेबाजी का न्यौता दिया और विवियन रिचर्ड्स के शानदार शतक (138 रन) की बदौलत निर्धारित 60 ओवरों में 9 विकेट के नुकसान पर 286 रनों का सम्माजनक स्कोर खड़ा कर दिया था। 

287 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी इंग्लैंड के लिए कप्तान माइक बेयरेल और ज्यॉफ बॉयकॉट की जोड़ी ने मिलकर पहले विकेट के शतकीय साझेदारी (129 रन ) करी। एक समय इंग्लैंड का स्कोर 3 विकेट पर 183 रन था। लेकिन जॉएल गार्नर की आग उगलती गेंदबाजी के सामनें इंग्लैंड की पूरी टीम बिखर गई थी, गार्नर ने 38 रन देकर 5 विकेट लिए थे। इंग्लैंड के 7 बल्लेबाज सिर्फ 11 रन ही बना पाए और 194 पर इंग्लैंड की पूरी टीम सिमट गई थी। इंग्लैंड के 5 बल्लेबाज तो अपना खाता भी नहीं खोल पाए थे। 

इसके साथ ही वेस्टइंडीज 92 रनों से फाइनल मैच जीत गई थी और वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड ने लगातार दूसरी बार लॉर्ड्स की बॉलकोनी में वर्ल्ड कप उठाया था। बेहतरीन शतकीय पारी के लिए विवियन रिचर्ड्स को मैन ऑफ द मैच चुना गया था।   
 

सौरभ शर्मा/CRICKETNMORE 

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