ऑस्ट्रेलिया वाकई चैंपियन की तरह खेली थी
23 मार्च 2003, वर्ल्ड कप के फाइनल में पहली बार ऑस्ट्रेलिया का सामना भारत से हुआ। भारत के लिए लगभग 20 साल बाद ऐसा मौका आया जब भारत ने वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाई थी। जोहानसबर्ग में भारत के कप्तान सौरव गागुली ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग करने का फैसला किया।
कप्तान सौरव गांगुली ने पहला ओवर युवा गेंदबाज जहीर खान को दिया औऱ उनका यह फैसला गलत साबित हुआ। अनियंत्रित गेंदबाजी के कारण जहीर खान ने अपने 6 गेंद पर 15 रन लूटा दिए जिससे दोनों ऑस्ट्रेलियाई ओपनर गिलक्रिस्ट औऱ हेडन के ऊपर से वर्ल्ड कप के फाइनल का पूरा दबाव छू-मंतर हो गया। दोनों बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजी के ऊपर के दबाव का पूरा फायदा उठाया औऱ केवल 9 ओवर में 74 रन जोड़ दिए। सौरव गांगुली का हर एक पैंतरा जैसे कहीं गुल हो गया था , कोई भी भारतीय गेंदबाज ऑस्ट्रेलिया के सामने प्रभावी नहीं लग रहा था। गिलक्रिस्ट ने 40 गेंद पर अपना अर्धशतक ठोक भारत की स्थिति को डवाडोल कर दिया। 14वें ओवर में हरभजन सिंह ने गिलक्रिस्ट(57) को आउट कर भारत को पहली सफलता दिलाई। 105 रन पर पहला विकेट गिरने के लगभग 20 रन के अंतराल पर हेडन को भी हरभजन ने आउट कर मैच में भारत के लिए उम्मीद को जगाया।
कप्तान रिकी पॉन्टिंग औऱ डेमियन मार्टिन ने इसके बाद जो बल्लेबाजी की वो वर्ल्ड कप के एतिहासिक बल्लेबाजी पार्टनरशिप में शामिल हो गई। हालांकि पॉन्टिंग शुरू में बेहद ही संभल कर बल्लेबाजी कर रहे थे जहां एक तरफ मार्टिन ने केवल 46 गेंद खेलकर हाफ सेंचुरी पूरी की तो पॉन्टिंग ने हाफ सेंचुरी पूरी करने के लिए 74 गेंद का सामना किया। लेकिन जब एक बार पॉन्टिंग के पैर पिच पर जम गए तो फिर भारतीय गेंदबाजो का जो हश्र पॉन्टिंग ने किया उससे भारतीय खेमा पूरी तरह से विचलित हो गया।
डेमियन मार्टिन ने पॉन्टिंग के साथ निर्णायक पार्टनरशिप कर भारत के हर एक मुमकिन योजनाओं को तितर –बितर कर दिया। दोनों ने तीसरे विकेट के लिए 234 रन की पार्टनरशिप कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया और भारत के सामने एक विशाल लक्ष्य खड़ा कर दिया। रिकी पॉन्टिंग ने केवल 121 गेंद पर धमाकेदार 140 रन की पारी खेली जिसमें 4 चौके और 8 छक्के शामिल थे। पॉन्टिंग का बखूबी साथ देने वाले डेमियन मार्टिन ने 84 गेंद पर 88 रन की पारी खेली। ऑस्ट्रेलिया ने वर्ल्ड कप के इतिहास में फाइनल स्कोर 2 विकेट पर 359 रन बनाए लिए थे ।
अब भारत को फाइनल में जीत के लिए 360 रन बनानें थे। सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग ने भारत के लिए पारी की शुरूआत की। ग्लेन मैकग्रा ने पहले ही ओवर की चौथी गेंद पर भारत की सबसे बड़ी उम्मीद सचिन तेंदुलकर को आउट कर भारत को बड़ा झटका दिया। तेंदुलकर के आउट होते ही भारतीय टीम के ऊपर बहुत अधिक दबाव आ गया था।
वीरेंद्र सहवाग के अलावा कोई भी भारतीय बल्लेबाज ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी के सामनें अधिक समय तक नहीं टिक सका। हालांकि द्रविड़, सहवाग और बारिश ने थोड़ी देर के लिए ऑस्ट्रेलिया की जीत में खलल डाला। मैच के बीच में जब बारिश आई तो ऐसा प्रतित हो रहा था वो भी ऑस्ट्रेलिया को जीताने के पक्ष में ही है।
39.2 ओवरों में भारत की पूरी टीम 234 रन पर सिमट गई और ऑस्ट्रेलिया कुल तीसरी बार और लगातार दूसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बना । भारत का दूसरी बार वर्ल्ड कप जीतने का सपना धरा का धरा रह गया। वीरेंद्र सहवाग ने 81 गेंद पर 82 रन की पारी खेली पर यह पारी क्रिकेट वर्ल्ड कप के इतिहास में दफन हो गई।
रिकी पॉन्टिंग के शानदार 140 रन के लिए मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया।
मैच के बाद रिकी पॉन्टिंग ने कहा – हमारी टीम पूरी तरह से सतर्क थी, मुझे एहसास हो रहा था कि भारत की टीम फाइनल में मजबूत टीम के होने से नर्वस थी। हमारे बल्लेबाजों ने इसका ही फायदा उठाया जिसके चलते हमें सफलता वर्ल्ड कप के रूप में मिली।
सचिन तेंदुलकर – हमारी टीम सपनों के पूरा होने के बिल्कुल करीब पहुंच गई थी। उस दिन पॉन्टिंग ने हमें असहाय बना दिया, उनकी बल्लेबाजी ने हमें मैच से पूरी तरह से बाहर कर दिया। मैन ऑफ द टूर्नामेंट से नवाजे जाने पर मुझे लगा कि यह कोई सांत्वना पुरस्कार है- हम बेहद ही शानदार टीम से हारे थे।
विशाल भगत/CRICKETNMORE