IPL 2021: मैच के दौरान मॉर्गन ने अश्विन को कहा 'डिसग्रेस', गेंदबाज ने ट्विटर पर मांगा जवाब
रविचंद्रन अश्विन ने कहा है कि दिल्ली कैपिटल्स और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच मुकाबले में ओवर थ्रो लेने से पहले उन्हें पता नहीं था की गेंद उनके कप्तान ऋषभ पंत के शरीर पर लगी थी। हालांकि अश्विन का कहना है कि 19वें ओवर में घटे इस किस्से में रन लेना उनका अधिकार था।
इस ओवर थ्रो के चलते कोलकाता के खेमे से टीम साउदी और इयोन मॉर्गन व दिल्ली के अश्विन के बीच कहासुनी भी हुई और अश्विन ने बताया कि मॉर्गन ने उन्हें डिसग्रेस बुलाकर उनका अपमान किया।
बल्लेबाज के शरीर पर लगने के बाद गेंद अगर छिटक कर चली जाए तो ओवर थ्रो लेने में खेल के नियमों में कोई पाबंदी नहीं है लेकिन आम तौर पर बल्लेबाज ऐसे रन लेने से इंकार करते हैं। मजे की बात यह है कि ऐसे में गेंद अगर सीमा रेखा लांघ जाए तो अंपायर बॉउंड्री देने के सिवाय कुछ नहीं कर सकते।
अश्विन ने ट्विटर पर घटनाक्रम का विवरण दिया और कहा कि मॉर्गन और साउदी दोनों को इस पर भाषण देने का कोई अधिकार नहीं है। अश्विन ने लिखा,
1. मैं फील्डर के थ्रो करने पर ही दौड़ पड़ा था और मुझे यह नहीं पता था कि गेंद ऋषभ के शरीर पर लगी है।
2. अगर मुझे यह दिख भी जाए तो क्या मैं भागूंगा? जी हां और यह मेरा अधिकार है।
3. क्या मॉर्गन का मुझे डिसग्रेस बुलाकर अपमान करना उचित था? बिलकुल नहीं।
अश्विन ने तथाकथित स्पिरिट ऑफ द गेम (खेल भावना) के अलग-अलग मापदंडों पर भी अपनी राय रखते हुए कहा, इस खेल में लाखों युवक और युवतियां अपने अंदाज में खेलते हुए अपने करियर को संवारने की कोशिश करते हैं।
उन्हें सिखाइए कि एक गलत थ्रो पर रन चुराने से आप अपना करियर बना सकते हैं और नॉन स्ट्राइकर छोर पर बाहर खड़े रहने से आपके करियर को नुकसान हो सकता है। आप उन्हें ऐसा कहकर भ्रमित मत कीजिए कि ऐसी परिस्थितियों में रन ना लेने से या खिलाड़ी को चेतावनी देने से आप अच्छे इंसान बन जाते हैं। यह हिदायत वही देते हैं जो खेल से पेट पाल चुके हैं और सफलता प्राप्त कर चुके हैं। आप मैदान पर डटकर मुकाबला करिए और मैच खत्म होने पर हाथ मिला लीजिए। 'स्पिरिट ऑफ द गेम' की परिभाषा मेरे लिए यही है।
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अश्विन ने नॉनस्ट्राइकर को क्रीज के बाहर रहने पर रन आउट करके पहले भी क्रिकेट जगत में सोच के ध्रुवीकरण में योगदान दिया है। यह भी क्रिकेट के नियमों के अनुसार जायज है लेकिन आम तौर पर दिखाई नहीं देती। 2011 में आईसीसी ने एक नए नियम के तहत इस आउट करने के तरीके को और आसान बना दिया था लेकिन अश्विन की फिर भी कड़ी आलोचना हुई थी।