वर्ल्ड कप 2003 का पूरा इतिहास, फाइनल में इंडिया ने टेक दिए थे घुटने

Updated: Fri, Sep 29 2023 15:28 IST
वर्ल्ड कप 2003 का पूरा इतिहास, फाइनल में इंडिया ने टेक दिए थे घुटने (Image Source: Google)

2003 आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप आठवां क्रिकेट वर्ल्ड कप था, जो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) द्वारा आयोजित किया गया था। इसकी सह-मेजबानी 9 फरवरी से 23 मार्च 2003 तक दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे और केन्या द्वारा की गई थी। वर्ल्ड कप का ये पहला संस्करण था जो कि अफ्रीका में खेला गया था। इस टूर्नामेंट का फाइनल ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच हुआ था लेकिन कंगारू टीम ने एकतरफा अंदाज़ में भारत को हराकर लगातार दूसरा वर्ल्ड कप जीत लिया। आइए आपको इस वर्ल्ड कप की पूरी कहानी बताते हैं।

इस वर्ल्ड कप में खेली थी सबसे ज्यादा टीमें

2003 के वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा 14 टीमें शामिल थीं, जो उस समय के वर्ल्ड कप के इतिहास में सबसे बड़ी संख्या थी। इन टीमों के बीच कुल 54 मैच खेले गए। 

वर्ल्ड कप का फॉर्मैट और ग्रुप्स

इस वर्ल्ड कप में भी 1999 क्रिकेट वर्ल्ड कप की ही तरह टीमों को दो ग्रुप्स में विभाजित किया गया और प्रत्येक ग्रुप से टॉप तीन टीमें सुपर सिक्स चरण तक पहुंची। इसके बाद सुपर 6 में से टॉप-4 टीमें सेमीफाइनल के लिए पहुंची और सेमीफाइनल की विजेता फाइनल में पहुंचे। ग्रुप ए में ऑस्ट्रेलिया, भारत, इंग्लैंड, जिम्बाब्वे, पाकिस्तान, नीदरलैंड्स, नामीबिया की टीमें थी जबकि ग्रुप बी में श्रीलंका, केन्या, न्यूज़ीलैंड, साउथ अफ्रीका, वेस्टइंडीज, कनाडा और बांग्लादेश की टीमें थी।

टूर्नामेंट में हुए कई उलटफेर

इस टूर्नामेंट में कई उलटफेर भी देखने को मिले, जिसमें दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, वेस्टइंडीज और इंग्लैंड जैसी मजबूत टीमें ग्रुप चरण में ही बाहर हो गई। (डकवर्थ-लुईस पद्धति के नियमों को गलत तरीके से पढ़ने के कारण दक्षिण अफ्रीका 1 रन से चूक गया)। देश में राजनीतिक अशांति के कारण इंग्लैंड ने बिना खेले ही जिम्बाब्वे को मैच दे दिया, जिससे अंततः जिम्बाब्वे की टीम सुपर सिक्स तक पहुंचने में सफल रही। इसी तरह, न्यूजीलैंड ने सुरक्षा कारणों से केन्या के साथ अपना मैच रद्द कर दिया, जिससे केन्या सेमीफाइनल में पहुंच गया। सेमीफाइनल में पहुंचने के साथ ही केन्या ऐसा करने वाला एकमात्र गैर-टेस्ट खेलने वाला देश भी बन गया था। टूर्नामेंट शुरू होने के दो दिन बाद एक और झटका लगा, जब शेन वार्न, जो उस समय खेल के प्रमुख स्पिनरों में से एक थे, को प्रतिबंधित पदार्थ के लिए पॉजीटिव टेस्ट के बाद अपमानित होकर घर भेज दिया गया।

सुपर सिक्स

ऑस्ट्रेलिया, भारत, न्यूजीलैंड, जिम्बाब्वे, केन्या और श्रीलंका ने सुपर सिक्स चरण के लिए क्वालीफाई किया। इस वर्ल्ड कप में भी 1999 वर्ल्ड कप की ही तरह सुपर सिक्स में पहुंचने वाली टीमों को सिर्फ दूसरे ग्रुप से पहुंची हुई टीमों के खिलाफ खेलना था और जो टीमें अपने-अपने ग्रुप की टीमों को ग्रुप स्टेज में हराकर सुपर सिक्स में पहुंची थी उनके खिलाफ उन्हें नहीं खेलना था और साथ ही उनके ग्रुप स्टेज वाले वो पॉइंट्स भी अंक तालिका में जोड़े गए थे।

 

सेमीफाइनल

भारत, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और केन्या ने सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई किया। जहां ऑस्ट्रेलिया ने पहले सेमीफाइनल में श्रीलंका को हराकर फाइनल में जगह बनाई तो वहीं, भारत ने दूसरे सेमीफाइनल में केन्या को हराकर फाइनल में जगह बनाई। दोनों ही टीमों ने एकतरफा अंदाज में जीत दर्ज की और फाइनल में पहुंचे।

फाइनल

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सौरव गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम फाइनल में पहुंच चुकी थी और करोड़ों भारतीय फैंस यही दुआ कर रहे थे कि किसी तरह एक और वर्ल्ड कप घर आ जाए। इसके लिए लोगों ने हवन और तरह तरह की पूजा तक की लेकिन फाइनल में भारत एकतरफा अंदाज में हार गया। इस मैच में टॉस जीतकर भारत ने पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया और ऑस्ट्रेलिया ने जोहान्सबर्ग के वांडरर्स स्टेडियम में चौके छक्कों की आतिशबाजी करते हुए स्कोरबोर्ड पर 2 विकेट के नुकसान पर 359 रन लगा दिए और भारत को दूसरा वर्ल्ड कप जीतने के लिए 360 रनों का पहाड़ जैसा लक्ष्य दिया। ऑस्ट्रेलिया के लिए रिकी पोंटिंग ने नाबाद 141 रनों की पारी खेली। वहीं, जवाब में भारतीय टीम ने सचिन तेंदुलकर का विकेट जल्दी ही खो दिया और इसके बाद वीरेंद्र सहवाग एक छोर से अकेले ही लड़ते रहे लेकिन उन्हें किसी का भी साथ नहीं मिला। वीरू के 82 क् स्कोर पर रनआउट होते ही भारत के जीतने की उम्मीदें भी खत्म हो गई और पूरी टीम 39.2 ओवरों में 234 रन बनाकर ऑलआउट हो गई और ऑस्ट्रेलिया ने 125 रनों से लगातार दूसरा वर्ल्ड कप जीत लिया।

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