सीओए द्वारा सचिन, लक्ष्मण को नोटिस देना, गड़बड़ की जानकारी की ओर इशारा
7 मई। सचिन तेंदुलकर, सौरभ गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण हालिया दौर में काफी सुर्खियों में थे। ऐसा प्रतित हुआ था कि वह आसानी से प्रभावित होने वाले हितों के टकराव मामले में घिर गए जो क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) का सदस्य रहते इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की टीमों के साथ जुड़ने को लेकर उत्पन्न हुआ था।
सर्वोच्च अदालत द्वारा गठित की गई प्रशासकों की समिति (सीओए) ने भी माना था कि तीन पूर्व खिलाड़ियों का इस मसले पर खुलकर अपनी बात रखना किसी भी मुद्दे को सुलझा देगा, लेकिन भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के एक सीनियर अधिकारी ने कहा है कि इन तीनों पूर्व खिलाड़ियों को उस स्थिति में क्यों आने दिया गया जहां हितों के टकराव की बात हो वो भी तब जब सीओए जानती थी की यह सीएसी के सदस्य हैं और आईपीएल टीमों के साथ जुड़कर हितों के टकराव का मुद्दा जोर पकड़ सकता है।
उन्होंने कहा, "सीओए का यह कहना है कि यह मसला आसानी से प्रभावित होने वाला था तब सीओए इस बात को मान रही है कि हितों के टकराव का मुद्दा था। यह किसी आम शिकायत की तुलना में काफी गंभीर है। इसका मतलब है कि सीओए इस बात को जानती थी कि यह हितों के टकराव का मुद्दा है बावजूद इसके उन्होंने ऐसा होने दिया।"
अधिकारी ने कहा, "इन तीनों दिग्गजों ने अपने काम को लेकर सफाई मांगी थी, लेकिन कोई सफाई नहीं दी गई बल्कि उनकी बात को नजरअंदाज किया गया साथ ही गलत तरीके से उनके साथ व्यवहार किया गया। जब उन्होंने महिला टीम के कोच को नियुक्त करने के काम के लिए ज्यादा समय मांगा तो, उन्हें नहीं दिया गया।"
अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, "बीसीसीआई प्रशासन इस समय अपने निचले स्तर पर है और यह ताकत की भूख में हुआ है जिसने भारतीय क्रिकेट के इस दौर को और मुश्किल कर दिया है।"
इसी बात का समर्थन करते हुए एक और अधिकारी ने कहा, "इतना ज्यादा रायता फैला दिया है कि इनको समेटना मुश्किल हो जाएगा। कई ऐसे मामले हैं जिनसे सीओए और बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी को कोई मतलब नहीं है। इन लोगों से कुछ पूछा जाता है तो वह इसका जवाब भी नहीं देते हैं, लेकिन सचिन, लक्ष्मण को जवाब न देना उनके घमंड को बताता है।"
अधिकारी ने कहा कि हितों के टकराव का मुद्दा आसानी से प्रभावित होने वाला था लेकिन वह लोकपाल को नहीं देख रही है।
उन्होंने कहा, "उन्होंने काफी चीजों को लेकर असमंजस पैदा कर दी है और प्रक्रिया को भी नजरअंदाज किया है साथ ही लोकपाल के पद को भी नजरअंदाज किया है।"
मुंबई इंडियंस से मेंटॉर सचिन तेंदुलकर और सनराइजर्स हैदराबाद के मेंटॉर लक्ष्मण ने बीसीसीआई के लोकपाल डी.के. जैन को यह बताया था कि जब वह सीएसी के सदस्य के तौर पर अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहते थे तब उन्हें इस मामले में कोई सफाई नहीं दी गई।