पृथ्वी शॉ ने 8 महीने का बैन लगने का बाद लिखी दिल की बात,बताया उनसे हुई क्या गलती
नई दिल्ली, 31 जुलाई | युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ ने मंगलवार को कहा है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा बैन किए जाने से वे निराश हैं, लेकिन वह अपने किए की पूरी जिम्मेदारी लेने को भी तैयार हैं। बीसीसीआई ने शॉ को डोपिंग नियमों का उल्लंघन करने के कारण बैन कर दिया है। बीसीसीआई ने शॉ को 15 नवंबर तक के लिए बैन किया है।
शॉ ने एक बयान जारी कर कहा, "मुझे आज पता चला कि मैं नवंबर-2019 तक क्रिकेट नहीं खेल पाऊंगा।"
उन्होंने कहा, "यह इसलिए हुआ क्योंकि मैंने खांसी की दवाई ली थी जिसमें प्रतिबंधित पदार्थ मिला हुआ था जिसके बारे में मुझे जानकारी नहीं थी। मैंने यह दवाई इंदौर में फरवरी 2019 में सैयद मुश्ताक अली ट्ऱॉफी खेलने के दौरान ली थी।"
इस युवा बल्लेबाज ने कहा, "मैं उस समय अपने पैर की चोट से वापसी कर चुका था जो मुझे ऑस्ट्रेलिया दौरे पर लगी थी। मैं इस टूर्नामेंट के जरिए वापसी की चाहत में था लेकिन खेलने की जल्दबाजी में मैंने प्रोटोकॉल को माना नहीं और गलती से वो दवाई पी ली। मैं पूरी गंभीरता से अपनी गलती स्वीकार करता हूं। मैं अभी भी चोट से जूझ रहा हूं जो मुझे पिछले टूर्नामेंट में लगी थी, ऐसे में इस खबर ने मुझे परेशान कर दिया है। मुझे इसे मानना होगा और उम्मीद करता हूं इससे खेल जगत को इस बात की प्ररेणा मिलेगी कि भारत में हम खिलाड़ियों को किसी भी तरह की दवाई लेने के मामले में काफी सतर्क रहना होगा और प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।"
शॉ ने कहा, "मैं बीसीसीआई का समर्थन के लिए शुक्रिया अदा करता हूं साथ ही अपने करीबी लोगों का भी जो हमेशा मेरे साथ खड़े रहे। क्रिकेट मेरी जिंदगी है और मेरे लिए अपने देश तथा मुंबई के लिए खेलने से बड़े गर्व की बात कुछ नहीं हो सकती। मैं इससे मजबूती से वापसी करूंगा।"
बीसीसीआई ने मंगलवार को ही एक बयान जारी कर शॉ के बैन की जानकारी दी। बोर्ड ने कहा कि शॉ ने अनजाने में प्रतिबंधित पदार्थ का सेवन किया जो आमतौर पर खांसी की दवा में पाया जाता है।
बीसीसीआई ने बयान में कहा, "बीसीसीआई के डोपिंग रोधी कार्यक्रम के तहत शॉ ने 22 फरवरी, 2019 को सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के दौरान अपना मूत्र सैम्पल दिया था। उनके सैम्पल की जांच हुई जिसमें प्रतिबंधित पदार्थ टर्बूटालाइन के अंश पाए गए थे। यह पदार्थ वाडा के प्रतिबंधित पदार्थ की सूची में शामिल है।"
बयान में कहा गया है, "16 जुलाई, 2019 को शॉ को बीसीसीआई के डोपिंग रोधी नियमों (एडीआर) के अनुच्छेद 2.1 के अंतर्गत डोपिंग रोधी नियम उल्लंघन (एडीआरवी) का दोषी पाया गया और उन्हें आरोप की जांच होने तक अस्थायी रूप से प्रतिबंधित किया गया। शॉ ने अपने ऊपर लगे आरोपों को माना, लेकिन कहा कि उन्होंने अनजाने में इस पदार्थ का सेवन किया, चूंकि उन्हें खांसी थी और इसके लिए उन्होंने जो दवाई ली थी उसमें प्रतिबंधित पदार्थ के अंश थे जिससे वो अनजान थे।"
बयान के मुताबिक, "बीसीसीआई ने शॉ द्वारा दी गई सफाई को कबूल किया है और माना है कि उन्होंने अपनी तबीयत ठीक करने के लिए वो पदार्थ लिया न कि प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए। सभी सबूतों और विशेषज्ञों की सलाह को मानते हुए बीसीसीआई ने शॉ की सफाई को कबूल किया और सहमति जताई कि उनकी अपात्रता के लिए आठ माह की अवधि को लागू किया जाना चाहिए।"
बयान में आगे कहा गया है कि शॉ 15 नंवबर तक खेल से दूर रहेंगे।
बयान में कहा गया है, "बीसीसीआई एडीआर के अनुच्छेद 10.10.3 के मुताबिक शॉ 16 जुलाई को लगाए गए अस्थायी बैन को पूरा करेंगे। इसके अलावा चूंकि शॉ ने अपनी गलती मानी है, ऐसे में बीसीसीआई एडीआर के अनुच्छेद 10.10.2 के मुताबिक यह प्रावधान है कि उनके बैन का समय तब से गिना जाए जब उन्होंने सैम्पल (22 फरवरी 2019) दिया था।"
बयान के मुताबिक, "हालांकि बीसीसीआई एडीआर के अनुच्छेद 10.10.2 के मुताबिक शॉ को उनके ऊपर लगे निलंबन का आधा हिस्सा गुजारना होगा, इसलिए उनका आठ महीने का बैन 16 मार्च 2019 से शुरू होगा जो 15 नवंबर 2019 की रात में खत्म होगा।"
शॉ नियमों के मुताबिक 15 सितंबर से ट्रेनिंग पर लौट सकते हैं।
बयान में कहा गया है, "बीसीसीआई एडीआर के अनुच्छेद 10.11.2 के मुताबिक क्रिकेट खिलाड़ी निलंबन के आखिरी दो महीनों या एक तिहाई हिस्से में टीम के साथ या क्लब में अभ्यास के लिए लौट सकता है। इसलिए शॉ सितंबर में ट्रेनिंग पर वापस आ सकते हैं।"
शॉ के अलावा बीसीसीआई ने राजस्थान के दिव्या गजराज और विदर्भ के अक्षय दुलारवर को भी डोपिंग नियमों के उल्लंघन के चलते बैन किया है।