सुप्रीम कोर्ट का आदेश, बीसीसीआई राज्यों को दिए गए पैसे का रखे हिसाब

Updated: Wed, Apr 06 2016 00:27 IST

नई दिल्ली, 5 अप्रैल | सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से कहा कि वह अपने सहयोगी राज्य संघों को दिए गए पैसों का 'मुकम्मल हिसाब' रखे और कहा कि कुछ राज्यों को बहुत अधिक तो कुछ राज्यों को कुछ भी नहीं मिल रहा है। प्रधान न्यायाधीश टी. एस. ठाकुर और न्यायमूर्ति फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला की खंडपीठ ने कहा, "आपके पास एक संपूर्ण लेखा प्रणाली होनी चाहिए जो कि पारदर्शी हो। आप हर साल भारी रकम का वितरण करते हैं जो हर साल बढ़ती है। यह एक हजार करोड़ तक भी जा सकती है।" 

न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, "लोढ़ा समिति की रिपोर्ट से ऐसा आभास हो रहा है कि आप (बीसीसीआई) कुछ राज्यों को (राज्य क्रिकेट संघों को) पैसा दे रहे हैं और उन्हें उसे उनके मनचाहे ढंग से खर्च करने की आजादी भी दे रहे हैं, साथ ही खर्च का हिसाब भी नहीं मांग रहे हैं।" 

कोर्ट ने यह बात बीसीसीआई द्वारा लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने में आ रही दिक्कतों पर दायर की गई अपील की सुनवाई के दौरान कही। 

बीसीसीआई को लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने में समस्या आ रही है। इन सिफारिशों में अधिकारी का कार्यकाल दो बार तक सीमित रखने, एक राज्य एक वोट का पालन करने, बीसीसीआई बोर्ड में सीएजी का प्रतिनिधित्व होने और अधिकारियों की आयु सीमा 65 साल करना भी शामिल हैं। 

बीसीसीआई द्वारा सहयोगी राज्य संघों को दिए जा रहे धन के हिसाब की जवाबदेही में कमी के संदर्भ में बीसीसीआई के वकील के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि बोर्ड की अंतिम एजीएम में बीसीसीआई ने अपने खातों की जांच करने और उसके द्वारा राज्यों को दिए जा रहे पैसों का हिसाब रखने के लिए एक बाहरी ऑडिटर नियुक्त करने का फैसला किया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने तीन मार्च को हुई सुनवाई में बीसीसीआई से पूछा था, "हम चाहते हैं कि आप हमें बताएं कि आपने अपने सहयोगी राज्यों को कितना धन दिया है। उनके दिए गए धन को खत्म करने के लिए आपने उन्हें क्या दिशा-निर्देश दिए हैं और क्या उसकी किसी प्रकार की निगरानी की जा रही है।" 

वेणुगोपाल ने कोर्ट से कहा, "समिति की कुछ सिफारिशों को हमने अपना लिया है और लागू भी कर दिया है, लेकिन कुछ सिफारिशों को अपनाने और लागू करने में हमें समस्या आ रही है।" 

वेणुगोपाल ने कोर्ट में जब लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशों को लागू करने की दृष्टि से कठिन बताने की कोशिश की तो न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, "यह सरकारी अधिकारियों की कोई साधारण समिति नहीं है। यह काफी महत्वपूर्ण समिति है जिसके मुखिया पूर्व प्रधान न्यायाधीश आर.एम.लोढ़ा हैं।" 

न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा, "लोढ़ा समिति ने खेल के नियम नहीं बदले हैं। बदलाव सिर्फ उनके लिए हैं जो क्रिकेट की शीर्ष संस्था को चलाते हैं। समिति ने यह नहीं कहा है कि एक ओवर में सात गेंद होनी चाहिए।" 

सहयोगी राज्यों को दिए जा रहे धन पर बीसीसीआई का जवाब सुनते हुए कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र और गुजरात में क्रमश: चार और तीन संघों को बोर्ड धन देता है जबकि 11 राज्यों को एक भी पैसा नहीं दिया जाता। 

पंजाब क्रिकेट संघ (पीसीए) की तरफ से वरिष्ठ वकील अशोक देसाई ने दलील देते हुए कोर्ट में कहा कि सारे सहयोगी राज्य लोढ़ा समिति द्वारा सुझाए गए नियमों के अंतर्गत नहीं आते क्योंकि इनमें से कोई सोसाइटी के तौर पर पंजीकृत है तो कोई कंपनी के तौर पर पंजीकृत है। 

देसाई ने अधिकारियों की आयु सीमा 65 वर्ष करने की सिफारिश पर दलील देते हुए कहा कि पीसीए में उच्चतम आयु 70 साल है। इसके जवाब में न्यायमूर्ति ठाकुर का कहना था कि 70 साल के अधिकारी को स्टेडियम जाने में समस्या आएगी। 

मामले की अगली सुनवाई आठ अप्रैल को होगी।

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