न्यूजीलैंड-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के लिए बनी ट्रॉफी खुद अपने आप में एक इतिहास है, बैट से जुड़ा है राज
The Story Behind Cricket’s New Crowe-Thorpe Trophy: इन दिनों खेली जा रही न्यूजीलैंड-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज, दोनों टीम के लिए तो ख़ास है ही, सीरीज के साथ जो ट्रॉफी जुड़ी हैं, उस नजरिए से भी ख़ास है। दो देशों के बीच टेस्ट सीरीज को, उन्हीं के बीच टेस्ट क्रिकेट में ख़ास भूमिका निभाने वाले क्रिकेटरों के नाम के साथ जोड़ने की नई परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, एक नई ट्रॉफी मिली है। इस बार भी, पुराने दौर में न झांक कर, उन क्रिकेटरों को सम्मान मिला है जिनके नाम मौजूदा दौर में चर्चा में हैं। न्यूजीलैंड के मार्टिन क्रो और इंग्लैंड के ग्राहम थोर्प की जोड़ी के सम्मान में क्रो-थोर्प ट्रॉफी बनाई है और सीरीज विजेता को अब यही ट्रॉफी मिलेगी।
ये क्रो-थोर्प ट्रॉफी, न्यूजीलैंड क्रिकेट, ईसीबी और इन दोनों खिलाड़ियों के परिवार के सहयोग का नतीजा है। क्राइस्टचर्च में मौजूदा सीरीज के पहले टेस्ट की सुबह इसका अनावरण किया गया। अन्य कुछ ट्रॉफी की तरह, इसे भी बनाने में इरादा महज एक मेटल की ट्रॉफी बनाने का नहीं था, ट्रॉफी अपने आप में भी एक इतिहास है।
ढेरों ऐसी नियमित टेस्ट सीरीज हैं जो बिना किसी ख़ास नाम वाली ट्रॉफी के खेली जाती हैं। टेस्ट सीरीज में मिलने वाली ट्रॉफी का किस्सा तो अपने आप में खुद एक इतिहास है और एशेज इसमें टॉप पर है। वास्तविक एशेज तो लॉर्ड्स के म्यूजियम में है, तब भी इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट सीरीज में इसे जीतने के सम्मान का कोई मुकाबला नहीं। हाल के सालों में, बिना किसी ख़ास ट्रॉफी के खेली जाने वाली टेस्ट सीरीज के लिए ट्रॉफी बनाने का प्रचलन बढ़ा है। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी, पटौदी ट्रॉफी, वॉर्न-मुरलीधरन ट्रॉफी, फ्रीडम ट्रॉफी (गांधी-मंडेला), बेनो-कादिर ट्रॉफी, चैपल-हेडली ट्रॉफी और टांगिवाई शील्ड ट्रॉफी इस कड़ी में ख़ास हैं और हर ट्रॉफी की अपनी एक अलग स्टोरी है।
ऐसी ही स्टोरी क्रो-थोर्प ट्रॉफी की है। इसे नाम मिला, इन दोनों देश के दो खिलाड़ियों का। मार्टिन क्रो, न्यूजीलैंड के कप्तान भी रहे, 1992 वर्ल्ड कप के एमवीपी थे और उन्हें सबसे महान कीवी बल्लेबाजों में से एक माना जाता है। टेस्ट क्रिकेट में 299 रन पर आउट होने वाले एकमात्र बल्लेबाज हैं। क्रो ने इंग्लैंड के विरुद्ध पांच 100 बनाए, जिसमें लॉर्ड्स में अपने आखिरी टूर में बनाए 142 भी शामिल हैं। ग्राहम थोर्प ने इंग्लैंड के लिए 100 टेस्ट मैच खेले, टॉप स्कोर 200* जो संयोग से 2002 में न्यूजीलैंड के विरुद्ध ही बनाया था और न्यूजीलैंड के विरुद्ध चार 100 एवं 53 की औसत से रन बनाए। दोनों अपने समय में बेहद कामयाब टेस्ट बल्लेबाज थे- क्रो का टेस्ट औसत 45.36 (17 शतक और टॉप स्कोर 299) जबकि थोर्प का टेस्ट औसत 44.66 (16 शतक और टॉप स्कोर 200*) था। एक निराशा ये कि इन दोनों खिलाड़ियों का देहांत हो चुका है- 2016 में क्रो और 2024 में थोर्प का।
अब ट्रॉफी बनाने की बात करें तो इसे 'खास' बनाने के लिए, इन दोनों ही खिलाड़ियों के एक-एक बैट से ली लकड़ी का इस्तेमाल किया गया। इस के लिए थोर्पे परिवार ने वह बैट (कूकाबुरा) दिया जिससे उन्होंने 1997 में न्यूजीलैंड के विरुद्ध अपने पहले दो टेस्ट 100, लगातार टेस्ट में बनाए थे। क्रो परिवार ने मार्टिन क्रो का वह जीएम बैट दिया जिससे 1994 में लॉर्ड्स में 100 बनाया था और ये उनके विरुद्ध उनका आखिरी टेस्ट 100 था। इस ट्रॉफी को महू क्रिएटिव (Mahu Creative) के डेविड नावती (David Ngawati) ने डिजाइन किया और न्यूजीलैंड-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज को एक नियमित ट्रॉफी मिल गई। डेविड वही शिल्पकार हैं, जिन्होंने पिछली न्यूजीलैंड-दक्षिण अफ्रीका टेस्ट सीरीज के समय, तांगीवाई शील्ड (Tangiwai Shield) को डिजाइन किया था।
ट्रॉफी के अनावरण के मौके पर ठीक कहा गया कि आज की पीढ़ी के खिलाड़ी, उन लोगों की बदौलत मिली चर्चा पर खड़े हैं जो उनसे पहले खेले- ग्राहम और मार्टिन जैसे खिलाड़ी। इसलिए अच्छा है कि इसे पहचानते हैं और उनकी विरासत का सम्मान करते हैं। ये दोनों खिलाड़ी वास्तव में अच्छे बल्लेबाज थे और खेल को गहराई से समझते थे- वे जहां भी गए उन्हें सम्मान मिला। ट्रॉफी का अनावरण डेब क्रो (मार्टिन की बहन) और इंग्लैंड के पूर्व टेस्ट कप्तान माइकल आथर्टन ने ग्राउंड पर किया।
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- चरनपाल सिंह सोबती