टीम इंडिया का ये खिलाड़ी बनना चाहता था पुलिस कान्स्टेबल, पिता करते थे कोयले की खदान में काम

Updated: Tue, Jul 18 2017 10:45 IST
उमेश यादव ()

उमेश कुमार तिलक यादव यानी उमेश यादव भारत की टेस्ट और वन डे टीम का अहम हिस्सा बन चुके है। घरेलू क्रिकेट में विर्दभा का प्रतिनिधित्व करने वाले उमेश ने दो साल फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलने के बाद ही साल 2009 में भारत की तरफ से डैब्यू किया। आइए जानते हैं उमेश यादव से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें। 

# उमेश यादव के पिता उत्तरप्रदेश के एक गांव में कोयले की खदान में काम करते थे। उमेश के दो बड़े भाई हैं और उनके पिता नहीं चाहते थे कि उनका कोई बेटा कोयले की खदान में काम करे। उमेश की परवरिश नागपुर के पास एक गांव में हुई।   

आगे पढ़ें उमेश से जुड़ी अनसुनी बातें

 

# उमेश उन भारतीय क्रिकेटरों में से एक हैं जिन्होंने कभी पढ़ाई को कभी गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने 12वीं क्लास के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी।  ऐसा उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए नहीं बल्कि इसलिए किया था क्योंकि आगे पढ़ने को लेकर उनकी कोई रूचिन नहीं थी। 

 

# पढाई छोड़ने के बाद उमेश का  पहला लक्ष्य भारतीय सेना जॉइन कर के देश की सेवा करना था। कोशिश के बाद भी वह इसमें नाकामयाब रहे क्योंकि उनकी किस्मत में कुछ और ही लिखा था।

# आर्मी जॉइन करने में असफल होने के बाद उमेश यादव पुलिस कान्स्टेबल बनाना चाहते थे। उन्होंने इसमें भी हाथ आजमाया लेकिन कुछ अंको  से चूक गए। उन्होंने शारिरिक परीक्षा में 100 में से 90 अंक हासिल किए जबकि व्यक्तिगत परीक्षा में 2 अंक कम रहने की वजह से उनका सिलेक्शन नहीं हुआ। टीम इंडिया के इस खिलाड़ी के पिता पर हुआ चाकुओं से हमला

 

 

# उमेश बाकी आम लड़कों की तरह टेनिस की गेंद से क्रिकेट खेला करते थे। टेनिस की गेंद से वह शानदार गेंदबाजी करते थे और एक बार उन्हें एक लोकल टूर्नामेंट में मैन ऑफ द सीरीज भी चुना गया। इसके लिए उन्हें 10 हजार की इनामी राशि भी थी। 

# आर्मी, पुलिस में सिलेक्शन और किसी कॉलेज टीम में ना चुने जाने के बाद यादव को विदर्भ जिमखाना के तरफ से खेलने का मौका मिला। उनके पास मैच खेलने के लिए स्पाइक्स वाले जूते नहीं थे। जिसके चलते उन्हें फुटबॉल वाले जूते पहनकर खेलना पड़ा। इस मैच में उन्होंने 10 ओवर में 37 रन देकर तीन विकेट हासिल किए। जिसके बाद विदर्भ के इलाके में उनका नाम काफी मशहूर हो गया। रातों-रात उनकी दुनिया बदल गई और एक टी-20 मैच के दौरान विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन के कुछ अधिकारी उनकी गेंदबाजी देखने आए।  यादव ने डेथ ओवरों में लगातार यॉर्कर डाली और 2 से 3 बल्लेबाजों को अपना शिकार बनाया। 

 

# विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा चुने जाने कें बाद यादव को अमरावती में हुए तीन दिवसीय इंटर डिस्ट्रिक्ट टूर्नामेंट के सेमीफाइनल मुकाबले में खेलने का मौका मिला।  उस समय विदर्भ के कप्तान रहे प्रीतम गांधे ने उन्हें मुंबई में हुए एयर इंडिया टी-20 टूर्नामेंट में खिलाने में मदद की।  

# मुंबई से लौटने के बाद उन्हें विदर्भ रणजी टीम के 30 संभावित खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल किया गया।  कप्तान गांधे हर हाल में यादव को किसी भी कीमत पर टीम का हिस्सा बनाना चाहते थे जिसके चलते उन्हें फाइनल 15 में शामिल होने का मौका मिला। चोटिल मुरली विजय श्रीलंका दौरे से बाहर, इस खिलाड़ी की हुई टीम इंडिया में वापसी

 

 

# उमेश के रणजी ट्रॉफी डैब्यू से जुड़ी एक बहुत ही रोचक किस्सा है। विदर्भ के कप्तान गांधे ने उमेश को फाइनल 15 खिलाड़ियों में तो शामिल कर लिया था लेकिन उसके बाद उनके सामनें एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई थी। 2008-09 सत्र मे मध्य प्रदेश के खिलाफ इंदौर मे खेले जा रहे पहले मैच में धीमी पिच के चलते उमेश के खेलने पर संशय था। धीमी पिच के चलते माना जा रहा था कि टीम दो गेंदबाजों के साथ ही उतरेगी। दूसरी तऱफ यादव को घरेलू क्रिकेट खेलने का भी कोई अनुभव नहीं था। 

# लेकिन गांधे ने उमेश पर दांव खेला और टीम में एक बल्लेबाज कम कर उन्हें खेलने का मौका दिया। उमेश ने कप्तान विश्वास पर खरे उथरे और पहली पारी में 72 रन देकर 4 विकेट हासिल किए। हालांकि विदर्भ यह मुकाबला हार गई थी लेकिन उमेश के रूप में उन्हें एक नया रत्न मिला था। यादव में इतनी लगन थी कि एक महीने से भी कम समय लेदर की गेंद से खेलने के बाद उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में डैब्यू कर लिया था। 

 

# घरेलू क्रिकेट में लगातार शानदार प्रदर्शन के बाद साल 2010 में आईपीएल फ्रेंचाइजी दिल्ली डेयरडेविल्स ने उन्हें अपनी टीम में शामिल किया। इसके बाद उनकी जिदंगी पूरी तरह से बदल गई। दिल्ली की तरफ से 7 मुकाबलों में खेलते हुए उन्होंने 6 विकेट हासिल किए। इसी साल ही उन्हें टीम इंडिया से खेलने का मौका भी मिला। 

# नवबंर 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ उमेश यादव को टेस्ट क्रिकेट में डैब्यू करने का मौका मिला। जिसके बाद वह विदर्भ की तरफ से टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले पहले खिलाड़ी बन गए। जबकि विदर्भ की टीम में उन्हें खेलने का मौका देने वाले कप्तान प्रीतम गांधे को फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 340 विकेट लेने के बावजूद भी भारत की तरफ से खेलने का मौका नहीं मिला।  वो एक ओवर जिसने बदल दिया इशांत शर्मा का पूरा करियर, पोटिंग आ गए थे दहशत में

 

 

# 2015 आईसीसी वर्ल्ड कप के उमेश यादव ने भारत की तरफ से शानदार गेंदबाजी की थी। वह 8 मैचों में 17.83 की औसत से 18 विकेट लेकर भारत की तरफ से सबसे सफल गेंदबाज रहे थे।    

# उमेश यादव ने तीन साल के अफेयर के बाद साल 2013 मे अपनी गर्लफ्रेंड तान्या के साथ शादी के बंधन में बंध गए थे। तान्या पेशे से फैशन डिजाइनर है। उनकी पत्नी क्रिकेट की शौकीन हैं और दोनों की मुलाकात भी एक आईपीएल मैच के दौरान हुई थी।

सबसे ज्यादा पढ़ी गई खबरें