वर्ल्ड कप फ्लैशबैक: 1983 में जिम्बॉब्वे के खिलाफ खेली गई कपिल देव की वो यादगार पारी

Updated: Sun, Apr 28 2019 12:00 IST
Image - Cricketnmore

साल 1983 में भारत ने वर्ल्ड कप अपने नाम करके पूरे देश को गौरवांवित किया। उस साल जितना यादगार वर्ल्ड कप जीतना रहा उतनी ही रोमांचक और यादगार रही कपिल देव द्वारा खेली गई 175 रनों की वो आतिशी पारी।

यह बेमिसाल पारी वर्ल्ड कप इतिहास के सबसे मशहूर और बड़ी पारियों में आज भी शामिल है। हालांकि दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि ज़िम्बाब्वे के खिलाफ खेले गए इस मैच की फुटेज कहीं भी मौजूद नहीं है।

18 जून 1983 को टनब्रिज वेल्स पर जिम्बाब्वे के खिलाफ भारतीय कप्तान कपिल देव ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। हालांकि शुरूआत में कपिल का यह फैसला गलत होता साबित दिखा जब टीम के टॉप 5 बल्लेबाज सिर्फ 17 रन के स्कर पर ही पवेलियन लौट गए। जिसमें  सुनील गावस्कर (0), श्रीकांत (0),मोहिंदर अमरनाथ (5),संदीप पाटिल और यशपाल शर्मा (9)। मध्यम गति के तेज गेंदबाज पीटर रॉसन और केविन कुर्रन ने भारत को बैकफुट पर धकेल दिया था। 

जब कपिल देव बल्लेबाजी करने आए उस समय भारत 9 रन पर 4 विकेट गंवा चुका था। इसके बाद 17 रन के कुल स्कोर पर यशपाल के रूप में पांचवां झटका लगा।

कपिल ने जिम्मेदारी भरी पारी खेलते हुए पहले रॉजर बिन्नी के साथ मिलकर छठे विकेट के लिए 60 रन, मदन लाल के साथ मिलकर आठवें विकेट के लिए 62 रन और अंत में सैयद किरमानी के साथ नाबाद 126 रन जोड़कर भारत को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया।

भारत का स्कोर था निर्धारित 60 ओवरों में 8 विकेट के नुकसान पर 266 रन और कपिल देव 138 गेंदों में 16 चौकों और 6 छक्कों की मदद से नाबाद 175 रन की धमाकेदार पारी खेलकर नाबाद लौटे।

 

लेकिन बीबीसी के कर्मचारियों के हड़ताल के वजह से इस मैच का प्रसारण ना तो टीवी पर हुआ और नाहीं भारतवासियों को रेडियो पर इसे सुनने का मौका मिला। इस एतेहासिक पारी का गवाह बनने का मौका सिर्फ मैदान पर मौजूद दर्शको को मिल सका। 

267 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी जिम्बाब्वे की टीम 57 ओवरों में सिर्फ 235 रनों पर ही ढेर हो गई और भारत ने 31 रनों से जीत दर्ज की। कपिल देव ने गेंदबाजी में भी एक विकेट अपने नाम किया और उनके इस ऑलराउंड प्रदर्शन के लिए उन्हें "मैन ऑफ द मैच" का अवॉर्ड मिला। 

बता दें कि यह वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट में किसी भी भारतीय बल्लेबाज द्वारा लगाया गया पहला शतक था। इसके अलावा उस समय वनडे औऱ वर्ल्ड कप के इतिहास का सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर था। मौजूदा समय में भी यह वर्ल्ड कप के इतिहास की सातवीं सबसे बड़ी पारी है। 

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Shubham Shah/Saurabh

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