बर्थडे स्पेशल: जब पिता की मौत के बाद भी विराट कोहली ने खेली थी बड़ी साहसिक पारी

Updated: Sun, Nov 05 2017 15:01 IST
when virat kohli played courageous innings after his fathers death ()

टीम इंडिया के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली मौजूदा समय में क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज हैं। उन्होंने सिर्फ 29 साल की उम्र में ही दुनिया के कई महान बल्लेबाजों को रनों के रिकॉर्ड में पीछे छोड़ दिया है।  कोहली के महान बल्लेबाज बननें के पीछे एक ऐसी घटना है जिसको जानना हर एक क्रिकेट प्रेमी के लिए जरूरी है। शायद इस घटना के कारण ही कोहली मुश्किल भरे मैच में मुश्किलात हालात में दृढ़ संकल्प से बल्लेबाजी कर टीम को मुश्किल से निकाल कर जीत के द्वार पर पहुंचा देते हैं।

18 दिसंबर 2006 की बात है,  फिरोज शाह कोटला स्टेडियम में कर्नाटक के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मुकाबले में विराट कोहली दिल्ली की टीम की तरफ से खेल रहे थे। ये कोहली को डेब्यू रणजी मैच था। 

कर्नाटक ने पहली पारी में 446 रन का स्कोर पहले दिन खड़ा कर लिया था। जिसके जवाब में दूसरे दिन दिल्ली ने अपने 5 विकेट कम स्कोर पर ही गंवा दिए। इसके बाद 18 साल के बल्लेबाज कोहली बल्लेबाजी करने आए। दूसरे दिन के खेल खत्म होने तक कोहली और पुनित बिस्ट ने पारी को संभला और स्कोर को 103 तक ले गए। कोहली नाबाद 40 रन के स्कोर पर पवेलियन लौटे। लेकिन इसके बाद कोहली के लाइफ में एक ऐसी घटना घटी जिससे उनकी पूरी जिंदगी बदलकर रख दी।

उस रात ही उनके पिता प्रेम कोहली का ब्रेन हैमरेज के चलते देहांच हो गया था । जिस वक्त कोहली को ये पता चला उस वक्त कोहली दिल्ली के ओवरनाइट बैट्समैन थे, और दिल्ली को मैच में वापस लाने के लिए उनका बल्लेबाजी करना जरुरी था। देखिए भारतीय क्रिकेटर दिनेश कार्तिक की वाइफ है बेहद खूबसूरत 

जब कोहली के साथी खिलाड़ियों को कोच को इस घटना के बारे में पता चला तो उन्होंने उन्हें घर जाने की सलाह दी। लेकिन विराट ने टीम के हित को ध्याोन में रखते हुए अपनी निजी क्षति को नजरअंदाज कर दिया।

कोहली उस मुकाबले में 281 मिनट और 238 गेंद का सामना करते हुए 90 रन की पारी खेली थी। जिस वक्त कोहली आउट हुए उस समय तक दिल्ली को फॉलोओन बचाने के लिए सिर्फ 36 रनों की जरूरत थी। कोहली के इस बेहद ही महत्वपूर्ण पारी के कारण दिल्ली की टीम मैच बचानें में सफल रही थी।

 

90 रन की बेहतरीन पारी खेलने के बाद कोहली तुरंत अपने पिता की अंत्येष्टि में चले गए।

विराट की इस पारी ने उनके बड़े खिलाड़ी बनने की झलक दे दी थी।  इस पारी में दिखाया था कि विराट मानसिक रूप से कितने मजबूत हैं। शायद इसके चलते ही वह अब इंटरनेशनल क्रिकेट के दौरान मैदान पर हर मुसीबत का डटकर सामना करते हैं। 

"उस मैच में दिल्ली के कप्तान रहे मिथुन मन्हास ने उस वक्त के बारे में एक बयान में कहा था कि हमारी टीम ने कोहली को उस मुश्किल भरे वक्त में कहा कि तुम्हें घर जाना चाहिए, लेकिन कोहली ने खेलने का फैसला किया था। उस मैच में कोहली जिस तरह से बल्लेबाजी कर रहे थे उससे मुझे एहसास हो गया था कि कोहली कोई समान्य खिलाड़ी नहीं है।"देखिए भारतीय क्रिकेटर दिनेश कार्तिक की वाइफ है बेहद खूबसूरत 

इसके साथ - साथ उस वक्त दिल्ली के कोच रहे चेतन चौहान भी कोहली के इस फैसले से दंग रह गए थे। " कोहली उस वक्त 18 साल थे थे, उनके पिता के बारे में उनको खबर 4 बजे सुबह मिली थी। मैनें कोहली से बात भी करी थी लेकिन कोहली घर जाने से पहले टीम के लिए योगदान देना चाहते थे। कोहली के इस बर्दास्त करने की क्षमता को जानकर मैं भी हैरान रह गया। कहीं ना कहीं मुझे एहसास हो गया था कि आगे जाकर विराट कोहली महान खिलाड़ी बनेगें।

कोहली ने यह पारी उस वक्त खेली जब उन्हें पूरी तरह से मालूम था कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं ये सबके बावजूद जिस तरह से कोहली ने अपने भावनाओ पर काबू पाकर बल्लेबाजी करी थी वो किसी शब्द में बयान नहीं किया जा सकता है।

विराट के साथ हुई इस घटना ने कोहली को पूरी तरह से बदल दिया था। अपने पिता को खोने के बाद कोहली ने पूरी परिपक्वता के साथ क्रिकेट को अपना करियर बनानें के लिए कोशिश करते रहे थे। उनका मानना था कि उनके पिता का यह सपना था कि मैं एक अच्छा क्रिकेटर बनूं।

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